कनाडा (Canada) में रह रहे भारतीयों के लिए विदेश मंत्रालय (MEA) ने एक एडवाइज़री जारी की है. एडवाइज़री में कनाडा में रह रहे भारतीयों को वहां बढ़ रहे हेट क्राइम, सांप्रदायिक हिंसा और भारत विरोधी गतिविधियों के लिए चेताया गया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची (Arindam Bagchi) ने इस एडवाइज़री के बारे में जानकारी दी है.
"कनाडा में बढ़े हेट क्राइम और भारत विरोधी गतिविधियां"- विदेश मंत्रालय ने सतर्क रहने को कहा
मंत्रालय ने भारतीयों के लिए जारी की एडवाइजरी. कनाडा में 19 सितंबर को खालिस्तानी रेफरेंडम पास किया गया. इस कार्यक्रम को भारत में प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस ने आयोजित कराया था.
एडवाइजरी में कहा गया है,
कनाडा में भारत विरोधी गतिविधियांकनाडा में हेट क्राइम, सांप्रदायिक हिंसा और भारत विरोधी गतिविधियां काफी बढ़ गई हैं. भारतीय विदेश मंत्रालय और कनाडा में हाई कमीशन ने इन घटनाओं को कनाडा प्रशासन के सामने उठाया है और उनसे इन अपराधों में उचित कार्रवाई की मांग की है. हालांकि इन अपराधियों को अबतक उचित सजा नहीं मिली है.
इन घटनाओं को देखते हुए कनाडा में रह रहे सभी भारतीयों और जो कनाडा आने वाले हैं उन्हें सावधान रहने और सतर्क रहने की सलाह दी जाती है.
कनाडा में रह रहे भारतवासी और भारतीय छात्र, ओटावा में भारतीय हाईकमीशन या टोरॉन्टो और वैंकूवर के कॉन्सूलेट जनरल में खुद को रजिस्टर करा सकते हैं. इसके लिए MADAD पोर्टल की भी शुरुआत की गई है. madad.gov.in पर भी रजिस्टर कर सकते हैं. ऐसा करने से हाईकमीशन और कॉन्सूलेट, भारतीयों से बेहतर तरीके से संपर्क कर सकते हैं और जरूरत पड़ने पर मदद पहुंचा सकेंगे.
दरअसल, कनाडा में भारत विरोधी गतिविधियों में हाल ही तेजी देखी गई है. 19 सितंबर को ऑन्टोरियो में खालिस्तानी रेफरेंडम पास किया गया. इस कार्यक्रम में एक लाख से ज्यादा कनाडाई सिखों से भाग लिया. ये कार्यक्रम सिख फॉर जस्टिट (SFJ) ने आयोजित कराया था. SFJ पर भारत में 2019 में प्रतिबंध लगा दिया था. इस संस्था का एजेंडा अलग खालिस्तान की मांग है.
इससे पहले टोरॉन्टो में ही खालिस्तान समर्थकों ने श्री स्वामीनारायण मंदिर में तोड़फोड़ की थी. इस बारे में कनाडा के सांसद चंद्र आर्य ने चिंता जताई थी. उन्होेंने कहा था कि इन घटनाओं से कनाडा में रह रहे हिंदुओं के मन में भय पैदा हो गया है. NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक कनाडा में 16 लाख से ज्यादा भारतीय और NRI रहते हैं. इनकी संख्या कनाडा की 3 प्रतिशत जनसंख्या के बराबर है.
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