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ई श्रीधरन ने राजनीति को कहा बाय-बाय, 10 महीने पहले ही BJP जॉइन की थी

ऐसा क्या हुआ कि एक साल में ही मेट्रो मैन ने सियासत से तौबा कर ली?

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ई. श्रीधरन ने एक्टिव पॉलिटिक्स से संन्यास लिया. (फाइल फोटो-PTI)
ई श्रीधरन ने राजनीति से तौबा कर ली है. मतलब सियासत छोड़ दी है. ‘मेट्रो मैन’ के नाम से देशभर में मशहूर ई श्रीधरन ने इसी साल फरवरी में BJP जॉइन की थी. लेकिन अब खबर है कि उन्होंने एक साल से भी कम समय में ही राजनीति छोड़ दी है. इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक गुरुवार, 16 दिसंबर को केरल के मल्लापुरम में उन्होंने इसकी घोषणा की.

क्या बोले मेट्रो मैन?

ई श्रीधरन ने कहा कि वे कभी भी राजनेता नहीं थे और इसी साल अप्रैल में हुए विधानसभा चुनाव में हुई हार से उन्होंने बहुत कुछ सीखा है. एक्टिव पॉलिटिक्स से बाहर निकलने की घोषणा करते हुए कहा उन्होंने कहा कि राजनीति में सक्रिय नहीं होने का मतलब ये नहीं है कि वे राजनीति को पीछे छोड़ रहे हैं. उन्होंने कहा,
जब मैं हार गया तो मैं निराश हो गया था. लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. वो समय अब बीत चुका है. निर्वाचित होने पर मैं विधायक होता. मैं अकेले विधायक बनकर कुछ ज्यादा नहीं कर सकता था. मैं अब 90 साल का हूं. राजनीति में आगे बढ़ना खतरनाक है. मेरा अब राजनीति में कोई सपना नहीं है. मुझे अपनी मातृभूमि की सेवा के लिए राजनीति की जरूरत नहीं है. मैं पहले से ही तीन ट्रस्टों के माध्यम से ऐसा कर रहा हूं.
इससे पहले पॉलिटिक्स में अपनी एंट्री की घोषणा करते समय ई श्रीधरन ने मुख्यमंत्री का पद संभालने और केरल की राजनीति में बड़ी भूमिका निभाने में रुचि व्यक्त की थी. उस समय चर्चा थी की बीजेपी ने मेट्रो मैन को केरल में मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया है. हालांकि बाद में पार्टी की ओर से ही इस खबर का खंडन भी आ गया था. इसी साल हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने ई श्रीधरन को केरल की पलक्कड़ सीट से उम्मीदवार बनाया था. उनका मुकाबला कांग्रेस के शफी परम्बिल और CPI(M) के सीपी प्रमोद से था. चुनाव में शफी परम्बिल को 54 हजार से ज्यादा, जबकि ई श्रीधरन को 50 हजार से ज्यादा वोट मिले थे. शफी परम्बिल ने बीजेपी के ई श्रीधरन को 3859 वोटों से हरा दिया था.

बतौर इंजीनियर शानदार रहा करियर

ई श्रीधरन पेशे से सिविल इंजीनियर रहे हैं. 12 जून 1932 को केरल के पलक्कड़ में पत्ताम्बी में उनका जन्म हुआ था. उनकी शुरुआती पढ़ाई पलक्कड़ के ही स्कूल से हुई. फिर उन्होंने आंध्र प्रदेश के काकीनाड़ा स्थित गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. 1953 में उन्होंने इंडियन इंजिनियरिंग सर्विस (आईईएस) की परीक्षा पास की और दक्षिण रेलवे में उनकी पहली नियुक्ति हुई. यहां उन्होंने प्रोबेशनरी असिस्टेंट इंजीनियर के तौर पर काम किया. श्रीधरन को प्रसिद्धि तब मिली थी जब 1963 में चक्रवात में बह गए पम्बन पुल की मरम्मत हुई थी. रेलवे को लगा था कि ये काम 6 महीने में पूरा होगा लेकिन इस काम को श्रीधरन ने 46 दिन में पूरा करवा दिया था. कोंकण रेल परियोजना की कामयाबी के पीछे ई श्रीधरन के दिमाग, मेहनत और कार्यप्रणाली की अहम भूमिका रही. इस परियोजना की सफलता ने उन्हें दिल्ली मेट्रो परियोजना का प्रमुख बनाया. श्रीधरन ने यहां भी बेहतरीन काम किया और देश की राजधानी को मेट्रो की सौगात दी. इसके बाद तो उनके नाम के आगे 'मेट्रो मैन' हमेशा के लिए जुड़ गया.