उत्तर प्रदेश के मथुरा में एक लड़की के ऊपर तेजाब फेंक दिया गया. आयरनी देखिए, वो खुद पुलिस कॉन्स्टेबल है.वो ड्यूटी पर जा रही थी. रास्ते में एक कार आई. उसके अंदर चार लोग थे. उन्होंने लड़की के ऊपर तेजाब फेंका और उसे झुलसता-पिघलता छोड़कर भाग गए. उसकी चीख सुनकर कुछ स्थानीय लोग वहां पहुंचे. उन्होंने उसे अस्पताल पहुंचाया. फिलहाल आगरा के एम एन मेडिकल कॉलेज में उनका इलाज हो रहा है. पुलिस का काम होता है क्राइम रोकना. यहां पीड़ित खुद पुलिस में है. कुछ दिनों पहले उससे किसी ने अपने प्यार का इज़हार करते हुए कहा था, मुझसे शादी कर लो. लड़की ने इनकार कर दिया. पुलिस का कहना है कि इसी इनकार का बदला है एसिड अटैक. आरोपी का नाम है संजय सिंह. पुलिस के मुताबिक, संजय को लड़की की ना सुनकर गुस्सा आया. उसने अपने एक दोस्त के साथ मिलकर प्लानिंग की और तेजाब फेंक दिया. पुलिस अभी तक चारों आरोपियों को खोज रही है. गर्म तेल की एक बूंद शरीर पर गिर जाए तो इंसान छटपटा जाता है. जब तेजाब शरीर पर फेंक दे कोई, तो क्या हाल होता होगा? एसिड अटैक कोई 'कभी-कभार' होने वाला क्राइम नहीं है. नैशनल क्राइम्स रेकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक, 2016 में 283 एसिड अटैक्स हुए. औसतन 200 से 300 घटनाएं सालाना होती हैं. माना जाता है कि ये आंकड़े असली घटनाओं के मुकाबले बहुत कम हैं. क्योंकि सारे मामले रिपोर्ट ही नहीं होते. ऐसा नहीं कि बस महिलाएं इसका शिकार होती हों. पुरुष भी होते हैं. मगर ज्यादातर वारदातें महिलाओं के साथ ही होती हैं. ये अपराध क्यों मुमकिन हो पाते हैं? क्योंकि तमाम वारदातों के बावजूद तेजाब खुले में बिक रहा है. कोई भी इंसान 10-20 रुपये में मांस गलाने, शरीर झुलसाने वाला ये खतरनाक केमिकल खरीद सकता है. फिर चाहे वो उससे अपने घर का टॉइलेट साफ करे. या कोई साइकोपैथ अपराधी उस बोतल भर केमिकल के सहारे किसी को झुलसाए, कौन जानता है.
समझौता ब्लास्ट केस में फैसला देने के बाद स्पेशल कोर्ट के जज ने NIA को क्यों फटकारा?