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ऐसी गुमनाम जनजाति जिसके लोग उड़ता प्लेन देखकर डर जाते हैं, वीडियो आया तो दुनिया को पता चला

माश्को-पीरो पेरू के अमेज़न वर्षावन में रहने वाली जनजाति है. माश्को-पीरो का ज़िक्र सबसे पहले सन 1894 में आया. पेरू में अमेज़न वर्षावन के पास एक नदी बहती है. नाम है मनु. इसी नदी के आसपास इस जनजाति की बसाहट पाई गई.

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माश्को-पीरो समुदाय के लोगों की तस्वीर. (फोटो-रॉयटर्स)

सर्वाइवल इंटरनेशनल नाम के X अकाउंट से 16 जुलाई को एक वीडियो पोस्ट किया गया. इस वीडियो में कुछ अर्धनग्न लोग दिख रहे थे. बताया गया कि ये लोग अमेज़न जंगल के पास किसी नदी के पास भटक रहे हैं. वीडियो के बारे में हमने जानकारी जुटाई तो पता चला ये फुटेज जून 2024 का है. 

वीडियो में दिखने वाले लोग एक दुर्लभ जनजाति से आते हैं. इस जनजाति का नाम है ‘माश्को-पीरो’. ये जनजाति दुनिया की ऐसी सबसे बड़ी जनजाति है जिसका बाहरी दुनिया से कोई संपर्क नहीं हुआ है. जानेंगे कि ये कौन सी जनजाति है, इसका इतिहास क्या है और इस जनजाति के बारे में क्या चिंता ज़ाहिर की गई?

कौन है माश्को-पीरो?

पेरू के अमेज़न वर्षावन में रहने वाली जनजाति है. माश्को-पीरो का ज़िक्र सबसे पहले सन 1894 में आया. पेरू में अमेज़न वर्षावन के पास एक नदी बहती है. नाम है ‘मनु’. इसी नदी के आसपास इस जनजाति की बसाहट पाई गई. जहां ये लोग रहते थे वहां के जंगलों में रबर की पैदावार होती थी. औद्योगिक क्रांति के बाद पेरू में रबर बनाने की होड़ बढ़ी. रबर के तस्कर यहां एक्टिव हो गए. उन्होंने रबर निकालने के लिए माश्को-पीरो लोगों को परेशान करना शुरू किया. ये लोग अपना घर बचाने के लिए कभी-कभार हमले भी कर देते. ऐसे में तस्करों ने इस जनजाति के लोगों को मारना शुरू कर दिया. इस तरह ये प्रजाति विस्थापित होकर जंगल में अलग-अलग जगह चली गई.

जानकार बताते हैं कि, 

- बाहरी दुनिया से ये लोग एकदम नावाकिफ़ है. इतना कि कम ऊंचाई पर उड़ते एयरक्राफ्ट को देखकर डर जाते हैं. 
- ये लोग ताड़ के पेड़ से झोपड़ियां बनाकर रहते हैं. गर्मी के दिनों में वे मछली पकड़ कर पेट भरते थे. वहीं बारिश में वो वापस वर्षावनों में लौट जाते हैं. 
- 2013 में बीबीसी की एक रिपोर्ट में कहा गया कि कई बार खाने की कमी से ये लोग आसपास के गांवों में जाकर भोजन भी मांगते हैं. 

ख़बर में क्यों आई ये जनजाति?
क्योंकि ये अमेज़न के जंगलों में रहने वाली सबसे बड़ी जनजाति है. इस समुदाय के लगभग 750 लोग इन जंगलों में रहते हैं. इनकी भाषा भी कोई समझ नहीं पाया है.

अब किससे खतरा है इन्हें?
जंगल काटने वाले लोगों से. पेरू में कई कंपनियां लकड़ी से सामान बनाने के लिए इन जंगलों की कटाई कर रही हैं. जानकार कहते हैं कि इसी वजह से ये लोग जंगल से बाहर आ जाते हैं.

सरकार का क्या कहना है?
पेरू सरकार ने उनसे किसी भी तरह से संपर्क करने पर रोक लगाई हुई है. सरकार का मानना है कि शहरी लोग उनके कॉन्टैक्ट में न आएं, इससे उन्हें बीमारी का खतरा हो सकता है. इन लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम है. अगर उन्हें कोई बीमारी हुई तो ये जल्दी से मर सकते हैं.

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