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मनोज मुंतशिर ने तुलसीदास की लाइनों की घटिया पैरोडी बनाई, लोगों ने ट्विटर पर दौड़ा लिया

मनोज मुंतशिर ने जो लिखा है - 'धमक चलत राम भक्त फाटत पैजमिया'. इसका मतलब यह है, 'रामजी के भक्त जब धमक के साथ चलते हैं, तो लोगों का पैजामा फट जाता है.'

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मनोज मुंतशिर (Manoj Muntashir) मशहूर गीतकार, अपने एक ट्वीट को लेकर विवादों में हैं. उन्होंने गुरुवार, 7 अप्रैल को एक ट्वीट किया, जिसमें लिखा,

'निम्नलिखित पद मेरा नहीं है, कहीं सुना तो सोचा आपको भी सुना दूं.
बहुत हुआ, “ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैजनिया”.
अब होना चाहिए, “धमक चलत राम भक्त फाटत पैजमिया”.'

मनोज मुंतशिर ने जो पद शेयर किया है, वह गोस्वामी तुलसीदास की लिखी एक कविता का है. इस पद में वे रामजी के बचपन का जिक्र करते हुए कहते हैं, 'जब छोटे से रामजी घर में ठुमक-ठुमक कर चलते हैं तो उनकी पैंजनिया बजती है.'

वहीं, मनोज मुंतशिर ने जो लिखा है - 'धमक चलत राम भक्त फाटत पैजमिया'. इसका मतलब यह है, 'रामजी के भक्त जब धमक के साथ चलते हैं, तो लोगों का पैजामा फट जाता है.'

मनोज मुंतशिर द्वारा ट्विटर पर लिखी गईं इन लाइनों को लेकर कई लोगों ने प्रतिक्रिया दी है. इनमें कुछ लोगों ने उन पर जमकर निशाना साधा है.

मशहूर लेखक राहुल पंडिता ने मनोज मुंतशिर को सुझाव देते हुए लिखा है,

'सॉरी, मनोज (मुंतशिर), पैजामा मानसिक रूप से विक्षिप्त लोग फाड़ते हैं, राम भक्त नहीं. ऐसे समय में जब राम के नाम पर चंद गुंडे दूसरे समुदाय की बहू-बेटियों के साथ बलात्कार करने की खुली धमकी दे रहे हैं, हमें ऐसी वाहियात क्रिएटिविटी से बचना चाहिए.'

सॉरी, मनोज, पजामा मानसिक रूप से विक्षिप्त लोग फाड़ते हैं, राम भक्त नहीं। ऐसे समय में जब राम के नाम पर चंद गुंडे दूसरे समुदाय की बहु-बेटियों के साथ बलात्कार करने की खुली धमकी दे रहे हैं, हमें ऐसी वाहियात क्रीएटिविटी से बचना चाहिए। https://t.co/ey2ejgQtAH

— Rahul Pandita (@rahulpandita) April 8, 2022

एक अन्य ट्विटर यूजर अंशुल चौधरी ने लिखा,
 

'इतना मत गिरो मनोज मुंतशिर साहब! भगवान के लिए साहित्य को बदनाम मत करो. साहित्य अमर है, सत्ता जमींदोज होते देर नहीं लगती. तय कर लो सत्ता के साथ रहना है या साहित्य के.'

 
 

इतना मत गिरो @manojmuntashir साहब! भगवान के लिए साहित्य को बदनाम मत करो। साहित्य अमर है, सत्ता जमींदोज होते देर नहीं लगती। तय कर लो सत्ता के साथ रहना है या साहित्य के। — Anshul A. Choudhary (@ImAnshulAnkit) April 8, 2022

 

हरेश्याम शुक्ल नाम के यूजर लिखते हैं,

'बाबा तुलसीदास की कालजयी रचना जिसमें प्रभु श्री राम के बाल लीला को दर्शाया गया है, जिसे सुनकर या देखकर कोई भी भारतीय हिन्दू, मुसलमान, सिख, बौद्ध और जैन सब आनंदित हो जाते हैं. उनका अपमान करते हुए तुम्हें शर्म भी न आई.'

बाबा तुलसीदास की कालजयी रचना,,
जिसमे प्रभु श्री राम के बाल लीला को दर्शाया गया है,जिसे सुनकर या देखकर कोई भी भारतीय हिन्दू,मुसलमान,सिक्ख बौद्ध जैन सब आनंदित हो जाते है उनका अपमान करते हुए तुम्हे शर्म भी न आई ।
चुल्लू भर पानी मे डूब मरो,अधर्मी ।

— हरेश्याम शुक्ल *नीरज* (@IncNiraj) April 8, 2022

पत्रकार राजा पाल ने मनोज मुंतशिर के ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया,
 

'यह आदमी कतई जहर है गुरु. तुलसी कृत को विकृत करके घृणा बो रहा है. यह नैतिक दरिद्रता आपके बौद्धिक पतन का कारण है.'

 
 

यह आदमी कत्तई जहर है गुरु। तुलसी कृत को विकृत करके घृणा बो रहा है। यह नैतिक दरिद्रता आपके बौद्धिक पतन का कारण है। — Raja Pal (@Rraja_pal) April 7, 2022

 

कमलेश पांडेय नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा है,

'श्री राम के विषय में ऐसी परिकल्पना तो इनका आख्यान लिखने वाले बाबा तुलसीदास जी या महर्षि वाल्मीकि जी ने भी नहीं की थी. आदरणीय (मनोज मुंतशिर) किस हद तक जाने की सोचे हैं आप?'

श्री राम के विषय में ऐसी परिकल्पना तो इनका आख्यान लिखने वाले बाबा तुलसीदास जी या महर्षि वाल्मीकि जी ने भी नहीं की थी आदरणीय। किस हद तक जाने की सोचे हैं आप?

— Kamalesh Pandey (@Kamales67514692) April 7, 2022

पूजा राय ने लिखा है,
 

'मैं आपकी बहुत बड़ी प्रशंसक हूं, किंतु आपसे ऐसी अपेक्षा नहीं थी, किसी भी राजनीतिक दल अथवा धर्म का अनुयाई तथा विरोधी बनना अलग है, किन्तु रामचरित मानस के छंदों का इस तरह मजाक बनाने वाले को आप बढ़ावा देकर अपना ही कद छोटा कर रहे हैं.'

 
 

मैं आपकी बहुत बड़ी प्रशंसक हूं, किंतु आपसे ऐसी अपेक्षा नहीं थी, किसी भी राजनीतिक दल अथवा धर्म का अनुयाई तथा विरोधी बनना अलग है किन्तु रामचरितमानस के छंदों का इस तरह मजाक बनाने वाले को आप बढ़ावा देकर अपना ही कद छोटा कर रहे हैं। 🙏🏻🙏🏻 — पूजा राॅय 🇮🇳 (@RoyPooja1230) April 8, 2022

 

डॉ पूजा त्रिपाठी ने मनोज मुंतशिर पर कड़े शब्दों में लिखा है,

'स्वयं गोस्वामी तुलसीदास के पद का जो मखौल तुमने उड़ाया है, यह घिनौना और विदरूप है!
रामभक्त तुम क़तई नहीं, कवि कहलाने के लायक़ भी नहीं!'

स्वयं गोस्वामी तुलसीदास के पद का जो मखौल तुमने उड़ाया है यह घिनौना और विदरूप है !

रामभक्त तुम क़तई नहीं , कवि कहलाने के लायक़ भी नहीं! https://t.co/tbJfREwb5b

— Dr Pooja Tripathi (@Pooja_Tripathii) April 7, 2022

आइये इन प्रतिक्रियों के बाद उस बेहतरीन कविता को भी जान लेते हैं, जिसमें गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचंद्र जी के बचपन का बेहद सुंदर वर्णन किया है-

ठुमक चलत रामचंद्र

ठुमक चलत रामचंद्र, बाजत पैंजनियां

ठुमक चलत रामचंद्र, बाजत पैंजनियां

ठुमक चलत रामचंद्र

किलकि-किलकि उठत धाय

किलकि-किलकि उठत धाय, गिरत भूमि लटपटाय

धाय मात गोद लेत, दशरथ की रनियां

ठुमक चलत... बाजत पैंजनियां

ठुमक चलत रामचंद्र

अंचल रज अंग झारि

अंचल रज अंग झारि, विविध भांति सो दुलारि

विविध भांति सो दुलारि

तन मन धन वारि-वारि, तन मन धन वारि

तन मन धन वारि-वारि, कहत मृदु बचनियां

ठुमक चलत... बाजत पैंजनियां

ठुमक चलत रामचंद्र

विद्रुम से अरुण अधर

विद्रुम से अरुण अधर, बोलत मुख मधुर-मधुर

बोलत मुख मधुर-मधुर

सुभग नासिका में चारु, लटकत लटकनियां

ठुमक चलत... बाजत पैंजनियां

ठुमक चलत रामचंद्र

तुलसीदास अति आनंद

तुलसीदास अति आनंद, देख के मुखारविंद

देख के मुखारविंद

रघुवर छबि के समान

रघुवर छबि के समान, रघुवर छबि बनियां

ठुमक चलत

ठुमक चलत रामचंद्र

ठुमक चलत रामचंद्र, बाजत पैंजनियां

ठुमक चलत रामचंद्र