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मनोहर लाल ने इस्तीफा देने से पहले भूपेंद्र यादव के अलवर से चुनाव लड़ने पर क्या कहा था?

मनोहर लाल खट्टर ने हरियाणा के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. उनकी जगह नायब सैनी, सूबे के अगले सीएम होंगे. इससे पहले BJP ने इस बार Bhupender Yadav को Alwar से Lok Sabha का टिकट दिया है. जबकि उनकी तैयारी Mahendragarh से थी. ये बदलाव क्यों हुआ? Manohar Lal Khattar ने खुद लल्लनटॉप से इस बारे में विस्तार से बताया था.

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मनोहर लाल खट्टर ने इस्तीफा दे दिया है. (फाइल फोटो: PTI/इंडिया टुडे)

मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) हरियाणा (Haryana) के मुख्यमंत्री थे. अब पूर्व मुख्यमंत्री हो गए क्योंकि 12 मार्च को उन्होंने इस्तीफा दे दिया है. इससे पहले 5 मार्च को उन्होंने लल्लनटॉप के संपादक सौरभ द्विवेदी से हरियाणा की राजनीति पर विस्तार से चर्चा की थी. चर्चा उन्होंने केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव (Bhupender Yadav) के बारे में भी बातें की. भाजपा ने इस बार यादव को अलवर से लोकसभा का टिकट दिया है.

उनसे यादव की अलवर से उम्मीदवारी के बारे में सवाल पूछा गया था. पूछा गया कि भूपेंद्र यादव ने महेंद्रगढ़ में दफ्तर खोल लिया था, अब अलवर चले गए लड़ने. आपका मन नहीं टटोला उन्होंने? कोई चर्चा हुई?

इसपर मनोहर लाल ने कहा,

“अब यादव के मन में क्या है, मैं तो नहीं कह सकता. हमारी जो अपनी एसेसमेंट होती है उसमें हम अपने लेवल पर किसी को ना नहीं करते और ना ही हां करते हैं. एक कहानी सुनाता हूँ छोटी सी."

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पूर्व मुख्यमंत्री ने इसके बाद एक कहानी सुनाई. कहा,

"आप जंगल में जा रहे हैं और सामने से शेर आ जाए तो आप क्या करेंगे? तो हम तो कहते हैं कि हम क्या करेंगे, जो करेगा, शेर करेगा. तो ये एक ऐसा विषय है कि जिस पर हम कुछ भी कहे, अल्टीमेटली करना किसने है? जिनको करना है वो कर देंगे. ये एक चुनावी सिस्टम है. इस सिस्टम में बहुत लोगों की इच्छा होती है चुनाव लड़ने की. और कभी कभी तो निर्णय करने वाले भी उस समय बहुत स्पष्ट नहीं होते हैं."

उन्होंने कहा,

“मैं तो अपने साथियों से कहता हूं कि कभी-कभी तो दो-तीन लोग एक जैसे होते हैं. किसी को भी खड़ा करें, वो जीत जाएगा. तो उस समय मालूम है क्या काम करता है- मुकद्दर. जो सिकंदर होगा वो ले जाएगा. बहुत लोग ऐसे हैं.”

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें भी सुनने को मिला है कि उन्होंने वहां कोई ऑफिस खोल लिया था. उन्होंने यादव के बारे में कहा,

"मेरे उनके संबंध अच्छे हैं, इस विषय में कोई बात नहीं हुई."

इस पर सौरभ द्विवेदी ने कहा कि चर्चा चली कि राव इंद्रजीत सिंह को थोड़ा खुलकर खेलने का मौका मिला. जो गुड़गांव से सांसद हैं और वो नहीं चाहते थे कि उनके बगल से कोई ऐसा प्रतिद्वंदी आ जाए जो आगे चलकर उनके लिए संकट पैदा करे. ये अमित शाह कितने करीबी हैं, केंद्रीय मंत्री हैं. ऐसे में ये भी कहा गया कि वो हरियाणा के मुख्यमंत्री पद के भी दावेदार हो सकते हैं. सारे फैक्टर को ध्यान में रखते हुए उन्हें अलवर खिसका दिया गया. 

इस पर उन्होंने जवाब दिया,

“समझाने वाला और समझने वाला जो भी हो, मेरा उसमें कोई रोल नहीं है.”

मुख्यमंत्री की दावेदारी वाले सवाल पर उन्होंने कहा,

"अब मुझे कुल मिलाकर दो बार इस प्रदेश की सेवा करने का मौका मिला. अगर मौका मिलेगा तो एक बार और मिलेगा. आज मैं 70 साल के पार कर रहा हूं. 75 साल हमारे यहां मोदी जी ने सबको बता रखा है. उसके बाद तो जो आएगा वो नया आएगा."

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा,

"नया आएगा तो उसकी तलाश आज ही करनी पड़ेगी. फिर चाहे वो यादव हो या चाहे कोई और नाम हो. दस-पांच लोगों में से कोई एक नाम आगे आएगा. मुझे इस बात की चिंता नहीं है. मुझे 2014 में कहा गया कि हरियाणा में सात-आठ लोग ऐसे हैं जो मुख्यमंत्री के दावेदार हैं."

उन्होंने कहा कि वो 90 सीट पर विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं और 90 के 90 उम्मीदवारों को खुद को मुख्यमंत्री का दावेदार कहना चाहिए. इससे लाभ होगा. उन्होंने कहा कि ऐसा करने से कार्यकर्ताओं में उत्साह आएगा और वोट 2 से 4 परसेंट बढ़ जाएंगे.

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