बजट सेशन के दौरान राज्यसभा में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की सीट को सबसे आगे से शिफ्ट करके सबसे पीछे कर दिया गया. ऐसा इसलिए ताकि उनकी व्हीलचेयर को लाने और ले जाने में कोई परेशानी न हो. इसको लेकर विकलांगता अधिकार कार्यकर्ताओं ने आवाज उठाई है (Disability Activist on Manmohan Singh Seat Shift). मांग की है कि सार्वजनिक बिल्डिंगों में विकलांग लोगों (PwD) के लिए इस तरह की समस्या का समाधान निकाला जाए.
संसद में मनमोहन सिंह की कुर्सी पीछे लगाई गई, जानिए क्या हुआ?
मनमोहन सिंह राज्यसभा में सबसे आगे बैठते थे, इस बार सबसे पीछे बैठे रहे
विकलांगता अधिकार कार्यकर्ताओं का तर्क है कि इससे ना सिर्फ बुजुर्गों, विकलांगों को सुविधा होगी, बल्कि हर वो व्यक्ति जो बीमारी या चोट की वजह से अस्थायी विकलांगता का अनुभव करता है सुविधा का फायदा उठा सकता है. NGO समर्थ्यम की फाउंडर अंजली अग्रवाल, विकलांग अधिकारों की एडवोकेट भी हैं.
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा-
PwD के साथ सम्मान भरा व्यवहार नहीं किया जाता है और उन्हें पीछे की सीट दे दी जाती है. लेकिन हमें इसे मानने की जरूरत नहीं है. संविधान और विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016, हमें गैर-भेदभाव की गारंटी देते हैं.
उन्होंने कहा-
ये VVIP या VIP के बारे में नहीं है. ये समान रूप से व्यवहार किए जाने के बारे में है.
अंजली का कहना है कि नए संसद भवन के निर्माण के दौरान ये सुनिश्चित किया जाएगा कि जो डॉ मनमोहन सिंह के साथ जो हुआ वह किसी और के साथ न हो.
बता दें, अंजलि 2011 में संसद में थर्ड-पार्टी एक्सेसिबिलिटी ऑडिट में शामिल रही थीं. उन्होंने बताया था कि पीडब्ल्यूडी के लिए शौचालय बनाना ही काफी नहीं, ये भी सुनिश्चित करना जरूरी है कि वो यूजर फ्रेंडली हो. ऑडिट के दौरान अंजली को पता चला कि शौचालय में व्हीलचेयर को घुमाने या मोड़ने के लिए जगह नहीं थी, फर्श पर फिसलन थी और दरवाजे की कुंडी काफी ऊंचाई पर थी.
इंडियन एक्सप्रेस ने कांग्रेस सूत्रों के हवाले से बताया कि मनमोहन सिंह ने पार्टी से अपनी सीट बदलने को कहा था. उनके लिए आगे की लाइन में चलकर जाना मुश्किल था. इसके बाद ही उनके लिए लास्ट रो में सीट का इंतजाम किया गया. वो बढ़ती उम्र से जुड़ी परेशानी के चलते व्हीलचेयर का इस्तेमाल करते हैं.
वीडियो: तारीख: किसका ठीकरा मनमोहन सिंह के सर फोड़ने को तैयार थे नरसिम्हा राव?