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मणिपुर हिंसा पर SC पैनल ने कहा, प्रभावितों को पहचान पत्र दो, ताकि मुआवज़ा मिल सके

मणिपुर हिंसा पर गठित सुप्रीम कोर्ट के पैनल ने तीन रिपोर्ट सौंपी हैं. इनमें हिंसा पीड़ितों को दोबारा आईडी जारी करने, मुआवजे के जल्दी भुगतान और इन सब कामों के लिए विशेषज्ञों की नियुक्ति का सुझाव है.

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सुप्रीम कोर्ट पैनल के सुझावों पर अगली सुनवाई 25 अगस्त को करेगा. (तस्वीर साभार- India today)

तकरीबन 3 महीने से चली आ रही मणिपुर हिंसा के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए गठित कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. तीन अलग-अलग रिपोर्ट्स में कमेटी ने हिंसा पीड़ितों को दोबारा आईडी (पहचान पत्र) जारी करने, मुआवजे के जल्दी भुगतान और इस काम के लिए विशेषज्ञों की नियुक्ति का सुझाव दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में तीन पूर्व महिला जजों - जस्टिस गीता मित्तल, जस्टिस शालिनी फणसलकर और जस्टिस आशा मेनन की एक कमेटी बनाई थी. इसी कमेटी ने मणिपुर हिंसा के मसले पर सुप्रीम कोर्ट को तीन रिपोर्ट दी हैं.

1. कमेटी ने पहले सुझाव में कहा है कि हिंसा में लोगों के जरूरी कागज या आईडी खो गए हैं, जो दोबारा जारी होने चाहिए. आधार कार्ड जैसे पहचान पत्र समेत अन्य जरूरी कागजों की रिकवरी के लिए नोडल ऑफिसर बनाए जाने का भी सुझाव दिया गया है.

2. कमेटी ने दूसरी रिपोर्ट में पीड़ित मुआवजा योजना को लेकर भी सुझाव दिया है. कमेटी ने कहा है कि मौजूदा मणिपुर पीड़ित मुआवजा स्कीम, 2019 में कुछ खामियां हैं. कमेटी ने अपने सुझाव में विशेषतौर मौजूदा स्कीम के एक प्रावधान पर सवाल उठाया है. ये प्रावधान कहता है कि अगर पीड़ित पहले से ऐसी किसी अन्य स्कीम का लाभ ले रहे हैं, तो उन्हें मुआवजा स्कीम का फायदा नहीं दिया जाएगा. कमेटी का मानना है कि मणिपुर की मौजूदा मुआवजा योजना को नैशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (NALSA) की मुआवजा योजना के हिसाब से अपग्रेड करने की जरूरत है. 

3. तीसरी रिपोर्ट में हिंसा से संबंधित मामलों से जुड़े प्रशासनिक कामकाज में तेजी लाने के लिए नोडल एडमिनिस्ट्रेशन के एक्सपर्ट्स की नियुक्ति का भी सुझाव दिया गया है.

सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने कमेटी के इन सुझावों पर संज्ञान लिया और तीनों रिपोर्ट सभी वकीलों से साझा करने का आदेश दिया. बेंच ने वकीलों से सुझावों पर जवाब भी मांगा है. बेंच में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी परदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा हैं.

बेंच ने ये भी कहा कि कमेटी के कामों को अमल में लाने के लिए कुछ निर्देश जारी करने की जरूरत होगी. इनमें प्रशासनिक समर्थन, कमेटी और प्रशासनिक खर्चों के लिए वित्तीय सहायता शामिल हैं. इसके अलावा बेंच ने कमेटी के काम के प्रचार प्रसार के लिए वेब पोर्टल बनाने का भी सुझाव दिया है. सुझावों पर अगली सुनवाई 25 अगस्त को होगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस दिन बेंच कमेटी के सुझावों पर विस्तार से आदेश जारी करेगी.