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मणिपुर में बम-धमाके, गोलीबारी, 9 लोगों की मौत, एक सॉन्ग राइटर की मौत हो गई

मणिपुर में लगातार हिंसा हो रही है. ताजा झड़प 29 अगस्त को शुरु हुई थी.

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मणिपुर में फिर हिंसा, चार दिनों में नौ लोगों की मौत (सांकेतिक फोटो- PTI)

मणिपुर (Manipur) में चुराचांदपुर-बिष्णुपुर बॉर्डर पर तीन दिनों से हिंसा (Violence) हो रही है. कुकी और मैतेई समुदाय के लोगों के बीच रुक-रुक कर फायरिंग (Firing) हो रही है. खबर है कि इन तीन दिनों में नौ लोग की मौत हो गई है. सिर्फ 31 अगस्त को ही छह लोगों ने जान गंवा दी. मरने वालों में 41 साल के सॉन्ग राइटर एल एस मांगबोई भी शामिल हैं. बम विस्फोट में उनके सिर में चोट लगी थी. वो स्थानीय तौर पर काफी पॉपुलर थे और हिंसा पर फेमस गाना 'आई गम हिलो हैम' लिखा था. हिंदी में मतलब है- 'क्या ये हमारी जमीन नहीं है?'

ये झड़प 29 अगस्त की सुबह शुरू हुई थी. बॉर्डर पर पड़ने वाले कुकी समुदाय के खोइरेंटक गांव में बदमाशों ने हमला कर दिया था. जवाब में गांव वालों की तरफ से भी भारी फायरिंग की गई. धीरे-धीरे आसपास के इलाकों में भी हिंसा शुरू हो गई.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि नगंगखलावई, थम्नापोकपी, कांगथेई, खौसाबुंग और एल फीनोम इलाकों में गोलीबारी हो रही है. डिफेंस सोर्स से पता चला है कि जरूरत के हिसाब से सुरक्षा बलों को तैनात करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन महिला कार्यकर्ता उन्हें रोक रही हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, 31 अगस्त को शाम करीब साढ़े पांच बजे फुबाला इलाके में गोलीबारी तेज हो गई.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 31 अगस्त को सुबह कुकी समुदाय के दो घायलों ने दम तोड़ दिया. सॉन्ग राइटर के अलावा 36 साल के रिचर्ड हेमखोलिन गुइटे ने भी जान गंवाई. दोनों 30 अगस्त को गोलीबारी में घायल हुए थे जिसके बाद उन्हें चुराचांदपुर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 31 अगस्त को ही चुराचांदपुर जिले में गोलीबारी में घायल हुए दो और लोग मारे गए. उनकी पहचान 45 साल के पाओकम किपगेन और 32 साल के पौसोंडम के तौर पर हुई है.

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पुलिस ने बताया कि बिष्णुपुर में भी दो मैतेई लोगों की विस्फोटों में घायल होने के चलते मौत हो गई. उनकी पहचान 50 साल के पेबाम देबन और 48 साल के मोइरांगथेम गोपेन के रूप में हुई. हिंसा के दौरान कई लोग घायल भी हुए हैं.

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