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म्यांमार से मणिपुर में घुसे 718 लोगों को वापस भेजेगा असम राइफल्स, सरकार ने आदेश में क्या कहा?

सरकार ने अवैध घुसपैठ पर मांगी विस्तृत रिपोर्ट. बताना होगा भारत में आने की मंजूरी कैसे मिली?

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मणिपुर सरकार ने कहा म्यांमार के अवैध शरणार्थियों को वापस भेजे असम राइफल्स. (फोटो क्रेडिट - ट्विटर)

मणिपुर सरकार ने असम राइफल्स से म्यांमार के 718 लोगों को तुरंत वापस भेजने के लिए कहा है. इसमें 301 बच्चे भी शामिल हैं. ये वे लोग हैं जो 22 और 23 जुलाई को अवैध रूप से राज्य में घुस आए थे. मणिपुर सरकार ने 24 जुलाई को ये आदेश जारी किया. उन्होंने इसमें सीमा सुरक्षा बल से एक विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी है. इसमें बताया जाएगा कि इन लोगों को अवैध रूप से राज्य में आने की मंजूरी कैसे मिली?

द हिन्दू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, असम राइफल्स ने चंदेल जिले के डिप्टी कमिश्नर को इस घुसपैठ की सूचना दी थी. उन्होंने बताया था कि म्यांमार के चिन राज्य के खमपत इलाके में हिंसा भड़की है. इसके चलते 22 और 23 जुलाई को कुल 718 लोगों ने चंदेल के न्यू लाजांग इलाके में घुसपैठ की है. असम राइफल्स ने अवैध प्रवासियों के एक प्रतिनिधि को बुलाने की मांग भी की थी, ताकि उन सभी का वेरिफिकेशन किया जा सके.

म्यांमार सेना और PDF के बीच झड़प

रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि इन 718 लोगों में 208 महिलाएं शामिल हैं. म्यांमार की सेना और विद्रोही पीपुल्स डिफेंस फोर्सेस (PDF) के बीच करीब 48 घंटों तक गोलीबारी हुई. इसके बाद ये लोग भागकर भारत आ गए.

मणिपुर के मुख्य सचिव विनीत जोशी ने 24 जुलाई को असम राइफल्स से लिखित बातचीत की. उन्होंने कहा,

"पहले भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं. तब भी राज्य सरकार ने असम राइफल्स को साफ तौर पर बताया था कि सीमा सुरक्षा बल होने के नाते किसी भी आधार पर म्यांमार के लोगों को मणिपुर में आने से रोकने के लिए सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए. भारत सरकार के गृह मंत्रालय के नियमों के अनुसार वैध वीज़ा और यात्रा के दस्तावेज़ों के बिना किसी को भी यहां आने की इजाज़त नहीं है."

चिट्ठी में मुख्य सचिव आगे कहते हैं कि राज्य सरकार 718 लोगों की इस घुसपैठ को गंभीरता से देखती है. खासतौर पर अभी की कानून व्यवस्था के मुद्दों को देखते हुए इसके अंतरराष्ट्रीय प्रभाव हो सकते हैं.

पत्र में चंदेल के डिप्टी कमिश्नर और पुलिस अधीक्षक को भी साफ निर्देश दिए गए हैं. उन्हें घुसपैठ करने वालों को वापस भेजने की कार्रवाई की निगरानी करने के लिए कहा गया है. साथ ही सभी लोगों के बायोमेट्रिक्स और फोटो का रिकॉर्ड रखने की सलाह भी दी गई है.

वहीं दी लल्लनटॉप के सिद्धांत मोहन मामले से जुड़ा जमीनी सूरत-ए-हाल बताते हुए कहते हैं,

"असम राइफल्स में जो मेरे सूत्र हैं, उन्होंने बताया है कि इस तरह की गतिविधियां लंबे समय से होती रही हैं. बर्मा और इंडिया के बॉर्डर से लोग इधर-उधर आते-जाते रहते हैं. समय-समय पर असम राइफल्स उन्हें वापस भेजते रहे हैं. और इधर से जो लोग उधर गए हैं उनको वापस बुलाते हैं. कई सारे लोग ऑफ द रिकार्ड ये बात भी बोल रहे हैं कि इस बार ये सब जानबूझकर करवाया जा रहा है... क्योंकि राज्य सरकार भी मैत्री समुदाय की तरफ़ देखी जा रही है. तो इस जानकारी को जानबूझकर लीक कराया गया है, ताकि लोगों को ऐसा लगे कि असम राइफल्स की शय में लोग सीमा से इस तरफ़ आ रहे हैं.

 

लेकिन मेरे सूत्रों का कहना है कि लोगों के सीमा के इस पार आने की ख़बर असम राइफल्स ने खुद सरकार को दी है. इसके बाद ये कहा जा रहा है कि ये लीक हो गई है. जो लोग आए हैं उन सभी को वापस भेजने के प्रयास भी जारी हैं. कुछ लोगों को वापस भेजा भी जा चुका है. उनमें से ज़्यादातर महिलाएं हैं. आने वाले दिनों में इन्हें यूएन कन्वेंशन के नियमों के उल्लंघन बिना सहमति के साथ वापस बर्मा भेजा जाएगा."

फरवरी 2021 में पड़ोसी देश म्यांमार में सैन्य तख्तापलट हुआ. इसके बाद से करीब 40,000 शरणार्थियों ने भारत के उत्तरपूर्वी राज्यों मिज़ोरम और मणिपुर में शरण ली है.

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