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मणिपुर के CM बीरेन सिंह की सुरक्षा टीम पर जानलेवा हमला, एक गार्ड जख्मी

जिस गांव के पास हमला हुआ है, वो इंफाल से लगभग 26 किमी दूर कांगपोकपी ज़िले के अंतर्गत आता है. पिछले हफ़्ते हुई हिंसा के बाद ही CM बीरेन सिंह ने यहां जाने की योजना बनाई थी.

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घटना 10 जून की सुबह 10:40 की है. (फ़ोटो - PTI/सोशल)

सोमवार, 10 जून को मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह (Manipur CM N Biren Singh) के काफ़िले पर हमला हुआ है. काफ़िले का रास्ता सुरक्षित करने के लिए जो दो गाड़ियां (ऐडवांस पार्टी)  पहले गई थीं, कांगपोकपी ज़िले में हथियारबंद उग्रवादियों ने उसपर घात लगाकर हमला किया. इस हमले में एक सुरक्षाकर्मी घायल हो गया है.

घटना सुबह क़रीब 10.40 बजे की है. सुरक्षाकर्मी इंफाल और जिरीबाम ज़िले को जोड़ने वाले नैशनल हाईवे-37 से जा रहे थे. जैसे ही एडवांस पार्टी कोटलेन गांव के पास पहुंची, उन पर ताबड़तोड़ गोलियां चलने लगीं. सुरक्षा बल ने जवाबी फ़ायरिंग की. पुलिस सूत्रों के मुताबिक़, गोलीबारी कुछ देर तक जारी रही. 

ऐडवांस पार्टी में कुल तीन लोग थे. (फ़ोटो - इंडिया टुडे)

गाड़ी में कुल तीन लोग थे. घायल पुलिसकर्मी का नाम मोइरंगथेम अजेश बताया जा रहा है. उम्र, 32 साल. बिष्णुपुर ज़िले के रहने वाले हैं. पुलिस सूत्रों ने बताया है कि उनके दाहिने कंधे पर गोली लगी है, और उन्हें इंफाल के एक अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है.

किसने किया हमला?

अभी तक पुलिस को हमलावरों के बारे में कोई सबूत या जानकारी नहीं मिली है. जिस गांव के पास हमला हुआ है, वो इंफाल से लगभग 26 किमी दूर कांगपोकपी ज़िले के अंतर्गत आता है. यहां कुकी-ज़ोमी आबादी रहती है. 

इंडिया टुडे ने मुख्यमंत्री दफ़्तर में मौजूद सूत्रों के हवाले से छापा है कि मुख्यमंत्री बीरेन सिंह जिरीबाम का दौरा करने की योजना बनाई थी, क्योंकि वो जगह पिछले कुछ दिनों से अशांति की चपेट में है. बीते 6 जून को अज्ञात उग्रवादियों ने मैतेई समुदाय के एक व्यक्ति की हत्या कर दी थी. इसके बाद शहर में ख़ूब हिंसा हुई. जिरीबाम में दो पुलिस चौकियों, एक वन बीट दफ़्तर और क़रीब 70 घरों को आग के हवाले कर दिया गया था.

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जिरीबाम में मैतेई, मुस्लिम, नागा, कुकी और गैर-मणिपुरी रहते हैं. पिछले साल 3 मई से शुरू हुई जातीय हिंसा के बीच भी यहां की स्थिति तुलनात्मक रूप से अन्य जगहों से शांतिपूर्ण थी. मगर इस एक हत्या के बाद वहां भी जान-माल का नुक़सान हुआ है. लगभग 239 मैतेई लोगों को अपना घर छोड़कर निकलना पड़ा है. 

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