राजस्थान के कोटा में एक शख्स अस्पताल में अपना स्कूटर तीसरी मंजिल तक लेकर चढ़ गया. वजह हैरान करने वाली है. दरअसल, यहां जिस शख्स की बात हो रही है उनके बेटे का पैर में फ्रैक्चर हो गया था. लेकिन जब वो अपने बेटे को अस्पताल लेकर पहुंचा तो वहां पता चला कि वहां में व्हीलचेयर नहीं है.
बेटे का पैर टूटा, अस्पताल में व्हीलचेयर नहीं थी, तीसरी मंजिल पर स्कूटर चढ़ा ले गए पिता
अस्तपाल की तीसरी मंजिल पर स्कूटर पहुंची तो हंगामा मच गया. पुलिस को भी अस्पताल आना पड़ा.

वीडियो में दिखता है कि कोट-सूट में एक शख्स स्कूटर चला रहा है. उसके पीछे नारंगी रंग की टीशर्ट में उसका बेटा भी बैठा है. शख्स अस्पताल के बरामदे में स्कूटर घुमाते हुए सीधे लिफ्ट के सामने रोकता है. फिर स्कूटर को लिफ्ट के अंदर ले जाता है.
इंडिया टुडे/आजतक से जुड़े चेतन गुर्जर की रिपोर्ट के मुताबिक शख्स का दावा है कि अस्तपाल पहुंचने पर जब उन्हें पता चला कि व्हीलचेयर की कमी है तो उन्होंने अस्पताल प्रशासन से स्कूटर को तीसरी मंजिल ले जाने की इजाजत ली थी. रिपोर्ट के मुताबिक घटना पर अस्पताल में लोगों ने नाराज़गी जताई, जिसके बाद पुलिस भी अस्पताल पहुंची. पुलिस ने स्कूटर को तीसरी मंजिल पर ले जाना सही ठहराया. एक पुलिस अधिकारी ने कहा -
"आपने जो किया है, सही किया. अगर अस्पताल में सुविधाओं की कमी है, तो कोई भी अपने मरीज के लिए भगवान के भरोसे नहीं रहेगा. उनके पास जो भी साधन है, उनका इस्तेमाल करेंगे. चूंकि व्हीलचेयर नहीं थी." अस्पताल के अंदर लाचार पिता को प्लास्टर लगने के बाद अपने बच्चे को स्कूटर पर बाहर लाना पड़ा."
दरअसल, व्हीलचेयर की जररूत लड़के के पैर पर प्लास्टर चढ़ने के बाद थी. क्योंकि उस स्थिति में चलना मुश्किल था. और प्लास्टर तीसरी मंजिल में हुआ था. ऐसे में नीचे आने के लिए जब व्हीलचेयर नहीं मिली तो उन्होंने स्कूटर को ऊपर ले जाना ही बेहतर समझा.
इस मामले में अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों का कहना है कि स्कूटर को तीसरी मंजिल तक ले जाने की इजाजत नहीं दी थी. बावजूद इसके ऐसा किया गया. चेतन की रिपोर्ट के मुताबिक अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि व्हीलचेयर का प्रपोज़ल दिया गया था लेकिन अस्पताल प्रशासन ने खारिज कर दिया.
वीडियो: फ्री इलाज, फ्री बिजली, OPS... बीजेपी के साथ-साथ राजस्थान साधने की कोशिश में अशोक गहलोत