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ऑक्सीजन मास्क में 'आग' लगने से मरीज की मौत, परिवार का आरोप- अस्पताल वाले भाग गए

मरीज को ICU में डायरेक्ट करंट (डीसी) कार्डियोवर्जन शॉक दिया जा रहा था. तभी मास्क में आग लगी गई.

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मृतक वैभव के परिजन प्रदर्शन करते हुए. (फोटो- इंडिया टुडे)

राजस्थान के कोटा स्थित मेडिकल कॉलेज के न्यू हॉस्पिटल में एक मरीज की कथित रूप से मास्क में आग लगने से मौत हो गई. मृतक का एक वीडियो भी सामने आया है. इसमें मास्क के जलने के निशान दिखाई दे रहे हैं. आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक आग लगने से मास्क मृतक मरीज की गर्दन पर चिपक गया था. घटना के बाद प्रशासन में मामले में जांच के आदेश दिए हैं.

कोटा स्थित मेडिकल कॉलेज के न्यू हॉस्पिटल में हुई ये घटना 12 जुलाई की है. यहां के अनंतपुरा तालाब इलाके के निवासी वैभव शर्मा को आईसीयू में इलेक्ट्रिक शॉक ट्रीटमेंट दिया जा रहा था. इसी दौरान वैभव के चेहरे पर लगे ऑक्सीजन मास्क में कथित तौर पर आग लग गई. मास्क उनकी गर्दन पर चिपक गया. इस कारण वैभव की मौत हो गई.

दैनिक भास्कर की खबर के मुताबिक वैभव को आंतों में इन्फेक्शन की वजह से अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उन्हें गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल परफोरेशन नामक बीमारी थी. इस बीमारी में बड़ी आंत या छोटी आंत के बीच एक छेद हो जाता है. वैभव का इलाज कर रहे डॉक्टर के मुताबिक उनको ICU में डायरेक्ट करंट (डीसी) कार्डियोवर्जन शॉक दिया जा रहा था. इसी दौरान उनके चेहरे पर लगे ऑक्सीजन मास्क में आग लग गई.

हालांकि, न्यू मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों ने इस मामले में किसी भी तरह की लापरवाही की बात को खारिज किया है. उनके मुताबिक मरीज को डीसी शॉक देने से पहले उन्हें सीपीआर दिया गया था.

परिवार बोला स्टाफ भाग गया था

वहीं वैभव के परिवार ने आजतक को बताया कि उनकी हालत 12 जुलाई दोपहर 3 बजे के आसपास बिगड़ी थी. उसके बाद उन्हें ICU में भर्ती किया गया. रात करीब 10 बजे उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट दिया गया. लेकिन वैभव की हालत में कोई भी सुधार नहीं हुआ. इस वजह से उन्हें डीसी कार्डियोवर्जन शॉक दिए गए. वैभव के भाई गौरव ने दावा किया कि इलाज के दौरान इलेक्ट्रिक शॉक देने के बाद उनके भाई की हालत बेहतर थी. लेकिन ऑक्सीजन मास्क में अचानक आग लगने के बाद मेडिकल स्टाफ अपने कमरे से भाग खड़ा हुआ. गौरव ने आरोप लगाया कि आग लगने के कारण वैभव झुलस गए और उनकी मौत हो गई.

अस्पताल की सफाई, जांच के लिए टीम गठित

मामले को लेकर अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर आरपी मीणा ने बताया कि मरीज की पहले ही मौत हो चुकी थी. उन्हें पुनर्जीवित करने के लिए सीपीआर देने के एक घंटे के बाद डीसी शॉक दिया गया था. आरपी मीणा के मुताबिक मृतक पहले से दोनों फेफड़ों में संक्रमण के साथ टीबी से भी पीड़ित था. उसे गंभीर स्थिति में भर्ती कराया गया था. डॉक्टर ने आगे बताया कि आग लगने के पीछे के कारणों का पता नहीं चल सका है.

वहीं मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल डॉक्टर संगीता सक्सेना ने बताया कि घटना की जांच के लिए सर्जरी और फॉरेंसिक के वरिष्ठ प्रोफेसरों की 4 सदस्यीय टीम बनाई गई है. बायोमेडिकल इंजीनियरों को भी बुलाया गया था. 24 घंटे में मामले को लेकर रिपोर्ट सौंप दी जाएगी. हालांकि, डॉक्टर सक्सेना ने दावा किया है कि मरीज की लंबी बीमारी के कारण पहले ही मौत हो गई थी.

वहीं डीएसपी हर्षराज ने बताया की घटना को लेकर CrPC की धारा 174 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है. मौत के वास्तविक कारणों की जांच की जा रही है. 

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