अंधविश्वास हानिकारक ही नहीं, जानलेवा भी हो सकता है. इसका एक उदाहरण पश्चिम बंगाल में देखने को मिला. पूर्व बर्दवान के जमालपुर में एक शख्स को सांप ने काट लिया. अगर सामान्य ज्ञान के हिसाब से देखा जाए तो जिसे सांप ने काटा उसे अस्पताल ले जाना चाहिए था. लेकिन उसके परिजनों ने ऐसा नहीं किया. वो बेटे को लेकर गए चर्च. उन्हें 'विश्वास' (असल में अंधविश्वास) था कि अस्पताल की जगह चर्च ले जाने से सांप का जहर उतर जाएगा और मरीज ठीक हो जाएगा. उन्होंने ऐसा ही किया. लेकिन उनका ये 'विश्वास' जानलेवा साबित हुआ. कुछ घंटे बाद शख्स की मौत हो गई.
बेटे को सांप ने काटा, अस्पताल की जगह चर्च ले गए, मंत्र पढ़ कर 'पवित्र' जल पिलाया, फिर...
तपन मुर्मू पुआल निकालने गए थे. इसी दौरान एक जहरीले सांप ने उन्हें काट लिया. परिवार के सदस्यों को पता चला तो वो उन्हें चर्च लेकर गए. ये सोचकर कि चर्च में मंत्र पढ़ कर ‘पवित्र जल’ पिलाया जाएगा तो तपन के शरीर में सांप के जहर का असर ही नहीं होगा. फिर क्या हुआ?
घटना पूर्व बर्दवान के जमालपुर की है. मृतक का नाम तपन मुर्मू है. वो पुआल निकालने गए थे. इसी दौरान एक जहरीले सांप ने उन्हें काट लिया. परिवार के सदस्यों को पता चला तो वो उन्हें चर्च लेकर गए. ये सोचकर कि चर्च में मंत्र पढ़ कर ‘पवित्र जल’ पिलाया जाएगा तो तपन के शरीर में सांप के जहर का असर ही नहीं होगा. चर्च भी गए और मंत्र पढ़कर जल भी पिलाया गया. लेकिन कुछ देर बाद तपन की तबीयत बिगड़ने लगी. क्योंकि इलाज मिला नहीं था, जिससे जहर शरीर में फैल चुका था.
अब परिवार को लगा कि उनसे गलती हो गई है. तपन को अस्पताल ले जाया गया. लेकिन देर हो गई थी. डॉक्टरों ने तपन को मृत घोषित कर दिया. घटना की जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने शव को अपने कब्जे में ले लिया. शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है.
जागरूकता की कमी की कीमत परिवार को तपन की जान के रूप में चुकानी पड़ी. अगर समय पर इलाज मिल जाता तो उनकी जान बचाई जा सकती थी. पश्चिम बंगाल की ये घटना दर्शाती है कि हमारे देश में शिक्षित लोगों की संख्या बढ़ने के बावजूद आज भी जागरूकता की कमी है. ईश्वर पर भरोसा करना आस्था का मामला है, लेकिन इलाज से समझौता नहीं किया जा सकता.
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