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मशरूम खाकर ऐसा नशा हुआ, कुल्हाड़ी से अपने प्राइवेट पार्ट के टुकड़े कर डाले

मैजिक मशरूम, एक ख़ास क़िस्म का मशरूम है, जिसमें साइलोसाइबिन होता है. एक प्राकृतिक साइकेडेलिक पदार्थ, जिसके दिमाग़ में घुसते ही कई तरह के अलग-अलग अनुभव होते हैं.

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मैजिक मशरूम या साइलोसाइबिन मशरूम. (सांकेतिक फ़ोटो)

ऑस्ट्रिया के डॉक्टरों को एक अजब-अभूतपूर्व केस मिला है. ‘मैजिक मशरूम’ (नशीला पदार्थ) खाने के बाद एक व्यक्ति ने कुल्हाड़ी से अपना लिंग काट लिया. उसकी हालत बेहद गंभीर थी. जान पर बन आई. लेकिन गनीमत से डॉक्टर्स ने कटे हुए अंग को फिर से जोड़ दिया. अब पूरा मामला चर्चा में है (Man chops penis magic mushroom).

क्या! ऐसा कैसे किया?

इस केस का पूरा ब्यौरा मेगा जर्नल ऑफ़ सर्जरी में छपा है. मैजिक मशरूम (या साइकेडेलिक मशरूम्य, या श्रूम्स) एक ख़ास क़िस्म का मशरूम है, जिसमें साइलोसाइबिन होता है. एक प्राकृतिक साइकेडेलिक पदार्थ, जिसके दिमाग़ में घुसते ही कई तरह के अलग-अलग अनुभव होते हैं. मसलन मतिभ्रम, समय की धारणा से कटाव या भावनाओं में तेज़ बदलाव. असर हर व्यक्ति पर अलग-अलग हो सकता है.

इनका इस्तेमाल सदियों से अलग-अलग समाजों ने किया है. आध्यात्मिक और धार्मिक उद्देश्यों के लिए. कुछ रिसर्च में ऐसा भी है कि इसका इस्तेमाल कैंसर एंग्ज़ायटी जैसी कई समस्याओं से निपटने के लिए भी किया जाता है. वैज्ञानिक जांच कर रहे हैं कि क्या इसका इस्तेमाल अवसाद, चिंता और अभिघातजन्य तनाव जैसी स्थितियों के इलाज के लिए किया जा सकता है. 

साइलोसाइबिन के अध्ययन से इस बारे में जानकारी मिल सकती है कि दिमाग़, चेतना कैसे पैदा करता है, भावनाओं को कैसे डील करता है और आत्म-बोध कैसे बनाता है. इन निष्कर्षों में अलग-अलग मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों के बारे में हमारी समझ बेहतर हो सकती है. इलाज के नए रास्ते खुल सकते हैं.

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मगर नियंत्रिण के बाहर इसका इस्तेमाल बहुत बहुत ख़तरनाक हो सकता है. ऑस्ट्रिया का यह केस इसी बात की याद दिलाता है. 37 साल का एक आदमी. अवसादग्रस्त था और उसे शराब की लत थी. उसने साइलोसाइबिन की एक बड़ी ख़ुराक ले ली और एक गंभीर मानसिक प्रकरण के दौरान, कुल्हाड़ी से अपना लिंग काट दिया. पूरा नहीं कटा, कुछ हिस्सा.

ऑस्ट्रिया में फेल्डकिर्च अस्पताल के डॉक्टरों ने जो लेख छापा है, उसके अनुसार, मशरूम का सेवन करने के बाद व्यक्ति को एक भयानक मतिभ्रम का अनुभव हुआ. इस वजह से उसने एक कुल्हाड़ी ली और अपने लिंग एक से ज्यादा टुकड़ों में काट दिया. 

मरीज़ बहुत डिटेल नहीं दे पाया, उसे ख़ुद पूरी तरह याद नहीं है कि क्या हुआ था. कथित तौर पर उसने ख़ून को रोकने के लिए जांघ और कमर के चारों ओर कपड़ा लपेट लिया. अपने लिंग के कटे हुए हिस्सों को बर्फ़ से भरे जार में रख दिया. फिर वह मदद की तलाश में घर से बाहर निकल गया. एक राहगीर ने उसे देखा और फ़ौरन आपातकालीन सेवाओं को सूचना दी. व्यक्ति को पास के गांव में ले जाया गया. अस्पताल में भर्ती करा दिया गया.

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पहुंचने पर उसकी हालत गंभीर थी. बहुत ख़ून बह चुका था. तुरंत सर्जरी के लिए ले जाया गया. डॉक्टरों ने उसे स्थिर करने और ख़ून रोकने के प्रयास किए. उसका लिंग मिट्टी और बर्फ़ से लथपथ था. कुछ हिस्से बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए थे.

हालांकि सर्जरी सफल रही. इसके बाद मरीज़ की हालत में सुधार हुआ. लेख में बताया गया है कि ओवरडोज़ की वजह से मतिभ्रम सहित गंभीर मानसिक लक्षण बने रहे. उसे मनोचिकित्सकीय देखभाल में रखा गया. धीरे-धीरे उसकी मानसिक स्थिति स्थिर हो गई. एक हफ़्ते बाद वापस उसकी सर्जरी की गई. 

यह केस सर्जरी की दुनिया में मिसाल है. साइलोसाइबिन से संबंधित ‘क्लिंगसर सिंड्रोम’ का पहला प्रलेखित उदाहरण. क्लिंगसर सिंड्रोम एक दुर्लभ मनोरोग स्थिति है, जिसमें मनोरोग से ग्रस्त मरीज़ आत्महत्या करने के इरादे के बिना अपने जननांगों को नुक़सान पहुंचाता है. 

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