बांग्लादेश में छात्रों के आंदोलन के दौरान हुई हिंसा में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. देशभर में कर्फ्यू लगा है. कॉलेज-यूनिवर्सिटी बंद पड़े हैं. इस बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ा बयान दिया है (Mamata Banerjee Bangladesh UN). उन्होंने कहा है कि अगर हिंसा प्रभावित बांग्लादेशी मदद के लिए उनके पास आए तो वो उन्हें शरण देंगी. इस दौरान उन्होंने एक UN समझौते का भी हवाला दिया.
बांग्लादेशी शरणार्थियों पर जिस समझौते की दुहाई दे रही हैं ममता बनर्जी, उस पर भारत ने साइन ही नहीं किए
Bangladesh Quota Protest: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और TMC सुप्रीमो Mamata Banerjee ने UN प्रस्ताव का हवाला देते हुए बांग्लादेशी शरणार्थियों को Asylum देने की बात कही थी. संयुक्त राष्ट्र का ये प्रस्ताव (The 1951 Refugee Convention) यूरोप के शरणार्थियों के लिए 1951 में एक प्रस्ताव पारित किया गया था.
21 जुलाई को शहीद दिवस के मौके पर TMC सुप्रीमो ममता बनर्जी कोलकाता में भारी बारिश के बीच रैली को संबोधित कर रही थीं. इस दौरान उन्होंने कहा,
मैं बांग्लादेश के बारे में कुछ नहीं बोल सकती क्योंकि वो दूसरा देश है. इस बारे में भारत सरकार बोलेगी. लेकिन अगर बांग्लादेश से असहाय लोग बंगाल का दरवाजा खटखटाते हैं, तो हम उन्हें आश्रय देंगे. संयुक्त राष्ट्र का प्रस्ताव है कि अगर कोई मुसीबत में है, तो पड़ोसी क्षेत्र मदद कर सकते हैं.
दरअसल UN ने यूरोप के शरणार्थियों के लिए 1951 में एक प्रस्ताव पारित किया था. The 1951 Refugee Convention. इसे 1954 में लागू किया गया और फिर 1967 में संशोधन कर दुनियाभर के अलग-अलग देशों में लागू किया गया. समझौते के तहत वैश्विक स्तर पर शरणार्थियों की सुरक्षा और उनके अधिकार सुनिश्चित किए जाते हैं. हालांकि भारत ने इस समझौते पर साइन नहीं किए हैं. ऐसे में भारत UN के प्रस्ताव के तहत किसी को नागरिकता नहीं देता है.
भारत में शरणार्थियों को लेकर अपने नियम कानून हैं जिसके तहत बाहर के लोगों को शरण देने का प्रावधान है. राज्यों के पास किसी विदेशी नागरिक को शरणार्थी का स्टेटस देने का अधिकार नहीं है.
इस बीच ममता बनर्जी ने एक पोस्ट में लिखा,
संकटग्रस्त बांग्लादेश से सैकड़ों छात्र और अन्य लोग पश्चिम बंगाल/भारत लौट रहे हैं. मैंने अपने राज्य प्रशासन से वापस लौटने वालों को मदद देने के लिए कहा है. लगभग 300 छात्र आज हिली सीमा पर पहुंचे और उनमें से अधिकांश सुरक्षित रूप से अपने-अपने गंतव्यों के लिए रवाना हो गए. उनमें से 35 को मदद की जरूरत थी और हमने उन्हें बुनियादी सुविधाएं और मदद दी.
बता दें, बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरियों के लिए कोटा प्रणाली को वापस ले लिया है. कोर्ट ने निचली अदालत के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें आरक्षण को बहाल कर दिया गया था. आरक्षण को लेकर निचले अदालत के फैसले से ही वहां प्रदर्शन हो रहे थे. रिपोर्टों में कहा गया है कि अब तक वहां 133 लोग मारे जा चुके हैं.
वीडियो: दुनियादारी: बांग्लादेश में हिंसा से भारत को कैसा ख़तरा है?