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मालदीव के 3 मंत्रियों के बयान पर इतनी हैरानी क्यों, भारत विरोधी सरकार में ये तो होना था

अपने चुनावी कैंपेन में मुइज्जू ने ऐलान किया था कि चुनाव जीतकर वो भारतीय सैनिकों को मालदीव से बाहर निकालेंगे. इस चुनाव के कई सालों पहले से मुइज्जू ‘इंडिया आउट’ कैंपेन को लीड कर रहे हैं.

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मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू और पीएम मोदी (फाइल फोटो: इंडिया टुडे)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लक्षद्वीप (Lakshadweep) के दौरे पर गए थे. लेकिन बवाल शुरू हो गया मालदीव (Maldives) में. यहां के तीन मंत्रियों ने PM मोदी को टारगेट करते हुए बयान दिए हैं. हालांकि, मालदीव की सरकार ने इन बयानों से खुद को अलग कर लिया. कहा कि ये उन नेताओं के व्यक्तिगत बयान हैं. इन मंत्रियों के नाम हैं- मरियम शिउना, मालशा और महजूम माजिद. हाल के वर्षों में मालदीव की राजनीतिक घटनाओं पर नजर डालें तो इन बयानों पर हैरानी नहीं होनी चाहिए.

मालदीव के राष्ट्रपति हैं- मोहम्मद मुइज्जू. साल 2023 में उन्होंने प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव (PPM) की टिकट पर राष्ट्रपति का चुनाव जीता. उन्होंने मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (MDP) के तत्कालीन राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को हराया था. मुइज्जू को प्रो-चीन नेता के तौर पर देखा जाता है. मतलब कि मुइज्जू चीन के प्रति ज्यादा सहानुभूति रखते हैं. माना जाता है कि मुइज्जू भारत विरोधी हैं. लेकिन इसका कारण क्या है? 

इंडिया मैटर्स नाम से यूट्यूब चैनल चलाने वाले वरिष्ठ पत्रकार रोहित शर्मा इस बारे में बताते हैं

"मुइज्जू भारत विरोधी ग्राउंड्स पर ही चुनाव जीत कर आए हैं. उन्होंने 2023 का चुनाव इसी को मुद्दा बनाकर लड़ा था. पहले और अभी की घटनाओं पर गौर करें तो एक तरह से मालदीव को चीन की झोली में डाला जा रहा है."

उन्होंने आगे कहा,

“मालदीव भारत के हाथ से निकलता जा रहा है. हालांकि, मालदीव को भारत से मदद की जरूरत है. इसके बावजूद भी वहां के मंत्रियों ने इस तरह का बयान दिया. जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके खिलाफ कुछ बोला भी नहीं था. उन्होंने तो बस लक्षद्वीप की बात की थी.”

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डिफेंस डिटेक्टिव नाम के यूट्यूब चैनल पर जियो पॉलिटिक्स की जानकारी देने वाले वरिष्ठ पत्रकार आलोक रंजन भी कुछ ऐसी ही बातें कहते हैं. उन्होंने बताया

"इन तीन मंत्रियों ने मिलकर मालदीव को बड़ा नुकसान पहुंचा दिया है. वहां की विपक्ष को बड़ा हथियार मिल गया है. वहां की टूरिज्म को बड़ा नुकसान हो सकता है. वहां की विपक्ष सिर्फ सस्पेंशन से नहीं मानेगी."

आलोक रंजन ने कहा कि इसके बाद अगर दोनों देशों के रिश्ते और बिगड़ते हैं तो मालदीव, चीन के ट्रैप में फंस सकता है. उन्होंने कहा,

“चीन ऐसे ही देशों को फंसाता है. टूरिज्म को नुकसान होगा तो पैसों की कमी होगी. फिर चीन मदद के लिए आगे आएगा और फिर हो सकता है कि मालदीव उनके ट्रैप में फंस जाए.”

साथ ही उन्होंने इसे तीनों नेताओं की अनुभवहीनता से भी जोड़ा. उन्होंने कहा,

"मुइज्जू ने चुनाव के दौरान भारत के विरोध में कैंपेन चलाए थे. ऐसे में उनके मंत्रियों को लगा होगा कि भारत सरकार के खिलाफ कुछ भी बोलने पर कोई दिक्कत नहीं होगी. लेकिन शायद वो भूल गए थे कि मुइज्जू अब एक संवैधानिक पद पर हैं."

भारत और मालदीव के बिगड़ते रिश्ते को उन्होंने मोदी सरकार की हिंदुत्व वाली छवि से भी जोड़ा.

गौर करते हैं कुछ राजनीतिक घटनाओं पर-

साल 2018 में वहां के तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन चुनाव हार गए. उन्हें भी प्रो-चीन माना जाता था. यामीन के बाद मालदीव के राष्ट्रपति बने- इब्राहिम मोहम्मद सोलिह. उन्हें प्रो-इंडिया माना जाता था. उनके शपथग्रहण में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचे थे. जबकि 2023 में जब मुइज्जू राष्ट्रपति बने तब यहां केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू को भेजा गया. जानकार कहते हैं, ये दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव का संकेत था.

मुइज्जू ने जब चुनाव लड़ा तब अपने चुनावी कैंपेन में उन्होंने ऐलान किया था कि चुनाव जीतकर वो भारतीय सैनिकों को मालदीव से बाहर निकालेंगे. इस चुनाव के कई सालों पहले से मुइज्जू ‘इंडिया आउट’ कैंपेन को लीड कर रहे हैं. क्या है ये कैंपेन और मालदीव में भारत के कितने सैनिक हैं?

मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स (MNDF) के मुताबिक, उनके यहां फिलहाल 77 भारतीय सैनिक मौजूद हैं. ‘इंडिया आउट’ कैंपेन के तहत मुइज्जू चाहते हैं कि ये भारतीय सैनिक वहां से हट जाएं.

भारत ने मालदीव को 2013 में 02 ध्रुव हेलिकॉप्टर्स लीज पर दिए थे. फिर 2020 में 01 डोर्नियर एयरक्राफ्ट भेजा. इनका इस्तेमाल हिंद महासागर में निगरानी रखने और मेडिकल ट्रांसपोर्ट में होता है. भारतीय सैनिक इन एयरक्राफ्ट्स की देख-रेख करते हैं. साथ ही, मालदीव के पायलट्स को ट्रेनिंग भी देते हैं. इनका पूरा खर्च भारत सरकार उठाती है. इसके अलावा भी भारत सरकार, मालदीव की मदद करती रही है.

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