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भारत आए मलेशिया के PM ने अल्पसंख्यकों का मुद्दा छेड़ सरकार को क्या सलाह दे दी?

ध्यान देने वाली बात है, PM इब्राहिम की टिप्पणी की टाइमिंग. मलेशिया के पूर्व-प्रधानमंत्री महाथिर मोहम्मद ने अनुच्छेद-370 को निरस्त करने और नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) पारित करने के लिए भारत सरकार की आलोचना की थी. तब से दोनों देशों के संबंधों में कुछ तनाव आ गया था. अब इब्राहिम ने ये टिप्पणी कर दी.

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अनवर इब्राहिम ने 2022 में मलेशिया के प्रधानमंत्री का पदभार संभाला है. (फ़ोटो - एजेंसी)

मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम (Malaysia PM Anwar Ibrahim) भारत की राजकीय यात्रा पर हैं. इस दौरान मंगलवार, 20 अगस्त को उन्होंने कहा कि भारत में अल्पसंख्यकों से जुड़े कुछ गंभीर मसले हैं. साथ ही ये अपील की कि भारत सरकार इन मुद्दों को सुलझाए.

दिल्ली में इंडियन काउंसिल ऑफ़ वर्ल्ड अफ़ेयर्स (ICWA) में आयोजित एक सत्र में पीएम अनवर इब्राहिम ने कहा,

“मैं इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि आपको अल्पसंख्यकों या धार्मिक भावनाओं से जुड़े कुछ गंभीर मुद्दों से जूझना पड़ता है. लेकिन हमारी उम्मीद है कि भारत सरकार अपनी सही भूमिका निभाएगी.”

उन्होंने आगे कहा,

"मैं प्रधानमंत्री मोदी से कह रहा था कि कैसे नेहरू और झोउ एनलाई, और सुकर्णो और न्येरेरे ग्लोबल साउथ के लिए खड़े हुए थे. उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़. ये सुनिश्चित करने के लिए कि हम मानवता, स्वतंत्रता और इंसान की गरिमा के मायने पहचानें."

ध्यान देने वाली बात है, PM इब्राहिम की टिप्पणी की टाइमिंग. दरअसल, मलेशिया के पूर्व-प्रधानमंत्री महाथिर मोहम्मद ने अनुच्छेद-370 को निरस्त करने और नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) पारित करने के लिए भारत सरकार की आलोचना की थी. तब से दोनों देशों के संबंधों में कुछ तनाव आ गया था. भारत सरकार ने भी अपनी आपत्ति ज़ाहिर की थी. मलेशियाई तेल आयात पर प्रतिबंध लगा दिए थे.

अब जाकर भारत-मलेशिया संबंध धीरे-धीरे पटरी पर वापस आ रहे थे. तब ही इब्राहिम ने ये टिप्पणी कर दी.

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साल 2022 में इब्राहिम ने कार्यभार संभाला. प्रधानमंत्री बनने के बाद यह उनकी पहली भारत यात्रा है. जब सत्ता उनके हाथ में आई, तो कहा जा रहा था कि उनका नेतृत्व भारत के लिए पॉज़िटिव हो सकता है, क्योंकि वो भी खुले संवाद और मज़बूत द्विपक्षीय संबंध बनाए रखने के पक्षधर हैं. अल्पसंख्यक मुद्दों और समावेशिता बढ़ाने पर ज़ोर देते हैं, जो भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ जाता है. हालांकि, भारत के ‘इंटर्नल मैटर’ पर उनकी टिप्पणी नए विवाद को जन्म दे सकती है.

वैसे भारत-मलेशिया संबंधों के तनाव की एक वजह और है, ज़ाकिर नाइक. एक विवादास्पद इस्लामी उपदेशक. भारत में वॉन्टेड. आतंकवाद और हेट स्पीच से जुड़े गंभीर आरोप. जुलाई, 2016 में ढाका में होली आर्टिसन बेकरी आतंकी हमले में नाम आया था. 2016 में ही उसके इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन पर बैन लगा दिया गया. इसके फ़ौरन बाद जाकिर भारत से भाग गया. इस वक़्त मलेशिया में है. जब 2018 में उसे वहां शरण मिली, तो भारत ने इसका विरोध किया था.

भारत नाइक को प्रत्यर्पित करना चाहता है. अपने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री इब्राहिम ने संकेत दिया कि अगर भारत सरकार उसके ख़िलाफ़ सबूत मुहैया कराती है, तो उनकी सरकार भारत के अनुरोध पर विचार कर सकती है. ये भी बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के साथ जो उनकी बातचीत हुई है, उसमें भारत ने ये मुद्दा नहीं उठाया था और इससे दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ना चाहिए. मलेशिया के प्रधानमंत्री ने साफ़ शब्दों में कहा कि वो आतंकवाद को शह नहीं देंगे.

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एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान PM मोदी ने भी कहा कि भारत-मलेशिया साझेदारी को ‘व्यापक रणनीतिक साझेदारी’ के रूप में दर्ज किया गया है. इसके साथ ही आर्थिक संबंधों का विस्तार करने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया.

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