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महाराष्ट्र: 24 घंटों में 24 मौतों के बाद 7 और जानें गईं, दवाई की कमी के आरोपों पर क्या जवाब मिला?

Maharastra के नांदेड़ स्थित शंकरराव चव्हाण अस्पताल में मरीजों की मौत का आंकड़ा अब 31 तक पहुंच चुका है. इनमें 15 बच्चे शामिल हैं.

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शंकरराव चव्हाण अस्पताल में दो दिनों में 31 मरीजों की मौत पर महाराष्ट्र के मंत्री ने क्या कहा? (PTI)

महाराष्ट्र (Maharastra) के नांदेड़ स्थित शंकरराव चव्हाण अस्पताल में लोगों की मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. बीते 2 अक्टूबर को 24 घंटे में 24 लोगों के मौत की खबर सामने आई थी. अब इस अस्पताल में 7 और लोगों के मौत की बात सामने आ रही है. जिससे मरीजों की मौत का आंकड़ा अब 31 तक पहुंच चुका है. इनमें 15 बच्चे शामिल हैं. आरोप लग रहे हैं कि ये मौतें दवाइयों की कमी के चलते हो रही हैं.  

इधर, राज्य के मेडिकल एजुकेशन मिनिस्टर हसन मुश्रीफ का बयान सामने आया है. उन्होंने इस घटना को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है. हसन मुश्रीफ का कहना है कि सरकार इसकी जांच करेगी. मुश्रीफ ने आगे कहा कि उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस को इस घटना के संबंध में जानकारी दे दी है. साथ ही मुश्रीफ ने कहा कि वो इस अस्पताल का दौरा करेंगे और डॉक्टरों की एक कमेटी बनाई जाएगी.

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अस्पताल के डीन ने क्या कहा?

इससे पहले इस घटना को लेकर शंकरराव चव्हाण सरकारी अस्पताल के डीन एस आर वाकोडे का बयान सामने आया था. इंडिया टुडे से जुड़े कुवरचंद मंडले की रिपोर्ट के मुताबिक, डीन ने बताया कि 2 अक्टूबर को 12 वयस्कों की मौत अलग-अलग वजह से हुई है. उन्होंने कहा,

"डॉ शंकर राव चव्हाण शासकीय मेडिकल कॉलेज एक टर्सरी लेवल का केयर सेंटर है. 70 से 80 किलोमीटर की परिधि में ऐसा अस्पताल न होने की वजह से इलाके के अति गंभीर मरीज़ यहां भर्ती होते हैं. पिछले 24 घंटों में यहां 12 छोटे बच्चों की मृत्यु हुई है. इनमें 6 लड़के थे और 6 लड़कियां. सांप के काटने और दूसरे तरह के ज़हर के चलते और 12 लोगों की मौत हुई है."

उन्होंने बताया कि अस्पताल में कुछ तबादले हुए हैं, जिनके चलते कुछ दिक्कतें आई हैं. लेकिन रोगियों की देख-रेख में कोई कमी नहीं आई है. उन्होंने कहा,

"बीते कुछ समय से यहां दवाइयों की खरीद होनी थी, वो नहीं हो पाई, इससे कुछ असर पड़ा है. हमें जो बजट आवंटित हुआ, उसके मुकाबले यहां रोगियों की संख्या काफी बढ़ गई है. तो बजट की कुछ कमी है. लेकिन इसके चलते अति गंभीर या जो मरीज़ यहां भर्ती हैं, उनकी दवा की कमी के चलते जान चली जाए, ऐसी स्थिति हम नहीं आने देते. स्थानीय स्तर पर खरीद की जाती है. कभी कभी रोगियों की संख्या बढ़ जाती है. तब कुछ छोटी-मोटी बीमारियों के मामले में दवाओं की कमी हो जाती है, इस बात को हम नहीं नकारते हैं. लेकिन तब भी उपलब्ध बजट के मुताबिक हम स्थिति को संभालने की कोशिश करते हैं."

वहीं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि उन्होंने इस मामले में जानकारी ली है और वो इसपर जरूरी कार्रवाई भी करेंगे.