उद्धव ठाकरे लगातार एनसीबी पर हमला बोल रहे हैं. (फाइल फोटो)
महाराष्ट्र. यहां नगर निगम के चुनाव होने हैं. उससे पहले शिवसेना, औरंगाबाद का नाम बदलने की अपनी तीन दशक पुरानी मांग को पूरा करना चाहती है. लेकिन गठबंधन में शामिल कांग्रेस इसका विरोध कर रही है. पार्टी ने शिवसेना के औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर करने के प्रस्ताव का विरोध किया है. कांग्रेस का कहना है कि चुनाव में भावनात्मक मुद्दों के बजाय विकास और जनहित के मुद्दों को तरजीह देनी चाहिए. वहीं शनिवार दो जनवरी को मराठा कार्यकर्ता कांग्रेस के खिलाफ सड़क पर उतरे. औरंगाबाद में मराठा क्रांति मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष और राज्य के राजस्व मंत्री बालासाहेब थोराट का पुतला जलाया, जिन्होंने नाम बदलने का विरोध किया था. इससे एक दिन पहले यानी शुक्रवार, एक जनवरी को बालासाहेब थोराट ने साफ कर दिया था कि उनकी पार्टी कांग्रेस प्रस्ताव का विरोध कर रही है. उन्होंने कहा था,
नाम बदलने का मुद्दा कॉमन मिनिमम प्रोग्राम का हिस्सा नहीं है. औरंगाबाद का नाम बदलना इसका हिस्सा नहीं है. ऐसी बातों का हम विरोध करेंगे. कांग्रेस छत्रपति शिवाजी महाराज और छत्रपति संभाजी महाराज के प्रति श्रद्धा रखती है. इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए, लेकिन शहर का नया नाम रखे जाने के मुद्दे का उपयोग नफरत फैलाने और समाज में विभाजन के लिए नहीं किया जाना चाहिए.
कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता एवं राज्य में मंत्री अशोक चव्हाण ने कहा कि शहर का नाम बदलना महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार की प्राथमिकता नहीं थी. चव्हाण ने कहा,
यह तीन दलों की गठबंधन सरकार है और प्रत्येक दल का अपना अलग नजरिया है, इसलिए हम सभी एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम के आधार पर साथ आए थे. नाम बदलना प्राथमिकता नहीं है.
दो जनवरी को एक और कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने इस मुद्दे पर कहा,
नाम बदलने का मुद्दा शिवसेना का पुराना एजेंडा है, लेकिन यह तीन पार्टी की सरकार है. सरकार के कामकाज के लिए एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तैयार किया गया है. नाम बदलना इसका हिस्सा नहीं है. सरकार व्यक्तिगत एजेंडा पर काम नहीं कर सकती.
शिवसेना का क्या कहना है?
शिवसेना ने शनिवार को अपने मुखपत्र 'सामना' में कहा कि कांग्रेस ने औरंगाबाद का नाम बदलने के प्रस्ताव का विरोध किया, जिससे भाजपा खुश हो गई. संपादकीय में कहा गया है,
प्रस्ताव का विरोध करना कांग्रेस के लिए कोई नई बात नहीं है, लिहाजा इसे महा विकास अघाड़ी सरकार से जोड़ना मूर्खता है. थोराट ने घोषणा की है कि अगर औरंगाबाद का नाम बदलने का कोई भी प्रस्ताव सरकार के सामने आता है तो उनकी पार्टी इसका विरोध करेगी. उनके इस बयान के बाद भाजपा नेताओं ने शिवसेना से इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करने की मांग करना शुरू कर दिया है, लेकिन शिवसेना ने अपना रुख नहीं बदला है.
दूसरी ओर महाराष्ट्र में बीजेपी के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल का कहना है कि यदि औरंगज़ेब रोड एपीजे अब्दुल कलाम रोड हो सकता है, इलाहाबाद प्रयागराज हो सकता है, फ़ैज़ाबाद अयोध्या हो सकता है तो औरंगाबाद संभाजीनगर क्यों नहीं हो सकता?' छत्रपति संभाजी छत्रपति शिवाजी के पुत्र थे, जो मुगल सम्राट औरंगजेब की हिरासत में मारे गए थे. जून 1995 में, औरंगाबाद नगर निगम (एएमसी), जो कि तीन दशकों से अधिक समय से शिवसेना के अधीन है, ने राज्य सरकार को शहर के नाम में बदलाव की सिफारिश करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया था. इस दौरान कई सरकारें आईं और गईं लेकिन इस मुद्दे का निर्णायक अंत करने में असफल रहीं. दिलचस्प बात यह है कि देवेंद्र फड़नवीस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने भी नाम नहीं बदला.