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महाराष्ट्र: मंत्रियों के घरों की मरम्मत के लिए PWD से दिए गए करोड़ों, रिपोर्ट ने मचाई खलबली!

Maharashtra PWD: आमतौर पर उपयोगिता बिलों का भुगतान PWD द्वारा सीधे सर्विस प्रोवाइडर्स को किए जाते हैं. राज्य सरकार के एक अधिकारी ने पुष्टि की है कि इस प्रक्रिया में 2018 के नियमों का उल्लंघन किया गया है.

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PWD ने 26 करोड़ रुपये निजी ठेकेदारों को दिए हैं. (फाइल फोटो: PWD, महाराष्ट्र)

महाराष्ट्र (Maharashtra) के मंत्रियों के लिए आवंटित सरकारी घरों के रखरखाव और मरम्मत के लिए निजी ठेकेदारों को 26 करोड़ रुपये दिए गए. इन पैसों का भुगतान मुबंई में लोक निर्माण विभाग (PWD) के अधिकारियों ने किया था. ये पैसे उस फंड से दिए गए थे, जो इन घरों में पानी और बिजली के बिलों के भुगतान के लिए जारी किए गए थे. इंडियन एक्सप्रेस से जुड़े वल्लभ ओजारकर ने इस मसले को रिपोर्ट किया है. रिपोर्ट के मुताबिक, कथित तौर पर निजी ठेकेदारों को पैसा देने के लिए जांच की प्रक्रियाओं को दरकिनार किया गया और नियमों का उल्लंघन किया गया. 

इंडियन एक्सप्रेस की जांच में पता चला कि ये पैसे राज्य के PWD के मुंबई प्रेजिडेंसी डिवीजन की ओर से 52 करोड़ रुपये के फंड से दिए गए थे. मार्च 2017 से मार्च 2023 तक 36 सरकारी बंगलों में बिजली और पानी के बिलों के भुगतान के लिए ये पैसे जारी किए गए थे. इस अवधि में राज्य में तीन सरकारें बनीं. इन घरों पर इन तीन राज्य सरकारों के मंत्रियों का कब्जा रहा, भाजपा-शिवसेना, शिवसेना-NCP-कांग्रेस और भाजपा-शिव सेना.

रिकॉर्ड के अनुसार, मुख्यमंत्री आवास ‘वर्षा’ के लिए इन 6 सालों के यूटिलिटी बिले के लिए 6.2 करोड़ रुपये जारी किए गए. इनमें से 2.37 करोड़ रुपये उन ठेकेदारों को दिए गए, जिन्होंने वहां रखरखाव और मरम्मत का काम किया था. उपमुख्यमंत्री आवास ‘सागर’ के यूटिलिटी बिल के लिए 2.76 करोड़ रुपये जारी किए गए. इनमें से 1.47 करोड़ रुपये उन्हीं कामों के लिए ठेकेदारों को दिए गए.

बंगलाठेकेदारों को दिए गए रुपये
वर्षा (CM आवास)2.37 करोड़
अग्रदूत (CM)1.08 करोड़
नंदावन (CM)0.94 करोड़
सागर (उपमुख्यमंत्री)1.47 करोड़
मुक्तागिरी और ध्यानेश्वरी (कैबिनेट मिनिस्टर)2.02 करोड़
A-10 (चीफ सेक्रेटरी)1.47 करोड़
C-1 (कैबिनेट मिनिस्टर)1.43 करोड़
A-9 (कैबिनेट मिनिस्टर)1.33 करोड़
अजंता1.26 करोड़
B-1 (कैबिनेट मिनिस्टर) 

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एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से लिखा कि प्रारंभिक जांच में इन पैसों के भुगतान में कुछ 'फैक्ट' नजर आए. इसके बाद इस बात की गहराई से जांच की गई कि सरकारी नियमों का उल्लंघन करते हुए, पानी और बिजली के बिलों के नाम पर ये पैसे ठेकेदारों को क्यों दिए गए? हालांकि, अब इन बिलों की जांच की जा रही है. जल्द ही रिपोर्ट पेश की जा सकती है. 

खबर लिखे जाने तक इस मसले पर महाराष्ट्र के PWD मंत्री रवींद्र चव्हाण की प्रतिक्रिया नहीं आई है. PWD सचिव मनीषा म्हैसकर ने कहा है कि ‘विजिलेंस एंड क्वालिटी कंट्रोल डिपार्टमेंट’ इस मामले की जांच कर रहा है. जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.

आमतौर पर उपयोगिता बिलों का भुगतान PWD द्वारा सीधे सर्विस प्रोवाइडर्स को किए जाते हैं. जैसे कि पानी के लिए ग्रेटर मुंबई नगर निगम (MCGM) और बिजली के लिए बृहनमुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट (BEST). 2018 में जारी आधिकारिक दिशा-निर्देश के अनुसार, निजी ठेकेदारों को रखरखाव और मरम्मत के लिए कई प्रक्रियाओं के बाद पैसे दिए जाते हैं. जैसे- काम के लिए प्रस्ताव और उसकी स्वीकृति, ‘ई-जॉब नंबर जारी करना’, निविदा और फिर कॉन्ट्रैक्ट.

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PWD के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, उस अवधि में पैसों की कमी थी और ठेकेदारों के बिल अधिक थे. इसलिए बिजली और पानी के लिए स्वीकृत फंड को डायवर्ट किया गया.एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि राज्य सरकार के एक अधिकारी ने पुष्टि की है कि इस प्रक्रिया में 2018 के नियमों का उल्लंघन किया गया है. अधिकारी ने कहा कि निजी ठेकेदारों के लिए भुगतान जॉब वर्क नंबर के बिना भुगतान नहीं किया जा सकता.

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