MPPSC यानी मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने अटकी भर्तियों का कैलेंडर जारी कर दिया है. MPPSC की तीन भर्तियां MPPSC 2019, MPPSC 2020 और MPPSC 2021 प्रोसेस में हैं. इन भर्तियों को पूरा कराने की मांग को लेकर लंबे समय से अभ्यर्थी प्रदर्शन कर रहे थे. अब 29 सितंबर 2022 को आयोग की ओर से एक विज्ञप्ति जारी की गई है. जिसमें कहा गया है कि 2019 की प्रारंभिक परीक्षा का संशोधित रिजल्ट तैयार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. इसके अलावा 2019 की मुख्य परीक्षा का आयोजन जनवरी 2023 के दूसरे सप्ताह और 2021 की मुख्य परीक्षा का आयोजन फरवरी 2023 के तीसरे सप्ताह में कराने की जानकारी दी गई है.
MPPSC ने जारी किया अटकी भर्तियों का कैलेंडर, 2023 में होंगे एग्जाम
MPPSC की भर्तियों को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.

इसके पीछे दो वजह बताई जाती हैं. पहला- OBC रिजर्वेशन 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करना और दूसरा- राज्य सेवा परीक्षा नियम 2015 में बदलाव करना. सबसे पहले बात OBC रिजर्वेशन की. 2019 में मध्य प्रदेश सरकार ने OBC रिजर्वेशन 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने का फैसला किया था. MPPSC 2019 की प्रारंभिक परीक्षा का रिजल्ट भी इसी के अंतर्गत जारी किया गया था. जिसके बाद हुआ ये कि OBC, SC और ST कैटेगरी के लिए रिजर्वेशन 50 प्रतिशत को पार कर गया था. मामला हाईकोर्ट पहुंचा. मई 2022 में हाई कोर्ट ने MPPSC में OBC कैटेगरी को 27 प्रतिशत रिजर्वेशन देने के फैसले पर रोक लगा दी.
दूसरा मसला राज्य सेवा परीक्षा नियम में हुए बदलाव का है. नवंबर 2019 में मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से MPPSC 2019 की विज्ञप्ति जारी की गई. इसमें SDM, DSP और अन्य प्रशासनिक पदों के लिए 330 वैकेंसी थीं. जिसे बाद में बढ़ाकर 571 कर दिया गया. जनवरी 2020 में प्रारम्भिक परीक्षा आयोजित हुई, जिसमें करीब तीन लाख कैंडिडेट शामिल हुए. इसी बीच 17 फरवरी 2020 को कमलनाथ के नेतृत्व वाली मध्य प्रदेश सरकार ने रोस्टर सिस्टम में बदलाव कर दिया. नए नियमों के मुताबिक जनरल कैटेगरी की मेरिट लिस्ट में रिजर्व कैटेगरी के कैंडिडेट्स को नहीं शामिल किया जा सकता था. यानी रिजर्व कैटेगरीज (SC, ST, OBC, EWS) के ऐसे कैंडिडेट, जिन्होंने जनरल कैटेगरी के लिए तय कट-ऑफ के बराबर या उससे अधिक नंबर हासिल किए हैं, वो जनरल कैटेगरी में नहीं माने जाएंगे.

सरकार के इस फैसले का सड़क से लेकर हाई कोर्ट तक विरोध हुआ. कैंडिडेट्स की ओर हाई कोर्ट में 58 याचिकाएं दायर की गईं. इसी बीच मध्य प्रदेश में सरकार बदल गई और शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली नई सरकार ने विवादित नियमों को वापस लेने की बात कही. लेकिन 31 दिसंबर 2021 को MPPSC 2019 मेन्स का रिजल्ट नए नियमों के तहत ही जारी किया गया. मेन्स के बाद कुल 1918 कैंडिडेट्स को इंटरव्यू के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया. अप्रैल 2022 में इंटरव्यू होना था. लेकिन इससे पहले ही 7 अप्रैल 2022 को जबलपुर हाई कोर्ट ने MPPSC 2019 के मसले पर अपना फैसला सुनाया. कोर्ट ने संशोधन को असंवैधानिक माना और मेन्स एग्जाम के रिजल्ट को रद्द कर दिया. साथ ही प्रारंभिक परीक्षा के रिजल्ट को पुराने नियमों के तहत फिर से जारी करने का आदेश दिया. इसके बाद से MPPSC 2019 भर्ती प्रक्रिया पर ब्रेक लगा हुआ है.
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