आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) का कृष्णा ज़िला. यहां मछलीपट्टनम में मछुआरों ने 2 व्हेल शार्क मछलियों (Whale Shark) को पकड़ लिया. दोनों का वजन 1-1 टन बताया गया. जानकारी के मुताबिक़, इनमें से एक मछली मर चुकी थी. बाद में शार्क मछलियों को क्रेन की मदद से गिलाकलाडिंडी बंदरगाह पर लाया गया. बंदरगाह पर लाते ही मछलियों को देखने के लिए लोगों की भीड़ लग गई.
मछुआरों के जाल में फंसी 1-1 टन वाली ऐसी मछलियां पहले कभी नहीं देखी होंगी, VIDEO वायरल!
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि पकड़ी गई मछलियां सागौन की थीं और उन्हें Chennai के व्यापारियों ने खरीदा था. हालांकि, जिस व्यक्ति के जाल में ये मछलियां फंसीं, उन्होंने इसे झूठा बताया है.
घटना मछलीपट्टनम मंडल के गिलाकलाडिंडी गांव के पास हुई. विश्वनाथपल्ली वीरा बाबू नाम के शख्स के जाल में ये मछलियां फंसी थीं. वीरा बाबू ने बताया कि मछुआरों ने 26 जुलाई को दो बड़ी मछलियां पकड़ीं. इनमें से एक मर चुकी थी. पकड़ी गई मछलियों की जांच करने पर पता चला कि मछलियां चुक्का सोरा प्रजाति की थीं. क्रेन की मदद से मछलियों को निकाला गया. इन्हें किसी ने खरीदा ही नहीं, इसलिए मृत और जीवित दोनों मछलियों को वापस समुद्र में छोड़ दिया गया.
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि पकड़ी गई मछलियां सागौन की मछलियां थीं और उन्हें चेन्नई के व्यापारियों ने खरीदा था. हालांकि, न्यू इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में वीरा बाबू ने बताया कि ऐसा नहीं है और ये बस अफवाहें हैं. बंगाल की खाड़ी में कम दबाव की स्थिति के दौरान समुद्र में उथल-पुथल मच जाती है. इससे बड़ी मछलियां अनजाने में किनारे के करीब आ जाती हैं और मछुआरों के जाल में फंस जाती हैं. उन्होंने कहा कि अगर वे सागौन की मछलियां होतीं, तो कहानी कुछ और होती. क्योंकि ये मछलियां बहुत दुर्लभ होती हैं और बाज़ार में इनकी कीमत लगभग एक से दो लाख रुपये प्रति टन है.
न्यूज़ एजेंसी IANS के मुताबिक़, मछुआरे तीन दिन पहले ही समुद्र में गए थे और लौटे व्हेल शार्क के साथ. अपने जाल में बड़ी मछलियों को फंसा देख मछुआरों ने इन्हें बाहर लाने के लिए लोगों से मदद मांगी. इसे बाहर निकालने के लिए एक क्रेन की व्यवस्था की गई. लोगों ने वीडियो भी बनाए.
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वहीं, स्थानीय अधिकारी विवेक राठौड़ ने बताया कि गिलकलाडिंडी के मछुआरों द्वारा पकड़ी गई विशाल मछलियां व्हेल शार्क थीं. व्हेल शार्क को अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की रेड लिस्ट में लुप्तप्राय के रूप में लिस्ट में रखा गया है. बता दें, व्हेल शार्क एक लुप्त हो रही प्रजाति है. ये अपनी धीमी गति और बड़े आकार के लिए जानी जाती हैं. ये महासागरों में खुले पानी में रहती हैं. गुजरात के समुद्री तट का तापमान उनके लिए अनुकूल बताया जाता है. अंडे देने के लिए व्हेल शार्क गुजरात के तट पर आती हैं. इसकी वजह से उन्हें गुजरात की बेटी भी कहा जाता है.
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