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लखनऊ में पुलिस अधिकारी को वकीलों ने दी गंदी-गंदी गालियां, पीछे का बवाल बहुत बड़ा है

Lucknow Lawyer Police Clash: मामला लखनऊ के एक कोर्ट परिसर का है. जहां विभूतिखंड थाने के ACP राधारमण सिंह को वकील वापस जाने के लिए कह रहे हैं. ACP यानी सहायक पुलिस आयुक्त. वर्दी पर तीन स्टार धारण करने वाले 50 साल के पुलिस अधिकारी राधारमण सिंह के लिए वकीलों ने अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल किया.

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लखनऊ एसीपी राधारमण सिंह के साथ कोर्ट परिसर में वकीलों ने अभद्रता की.(तस्वीर:सोशल मीडिया)

यूपी की राजधानी में एक हफ्ते से पुलिस और वकीलों के बीच चल रहा विवाद (UP Police Lawyer Dispute) थमने का नाम नहीं ले रहा. सोशल मीडिया पर लखनऊ के कोर्ट परिसर का एक वीडियो वायरल है, जिसमें एक पुलिस अधिकारी से कुछ वकील गाली गलौज करते नज़र आ रहे हैं. लखनऊ में पुलिस और वकीलों के बीच एक हफ्ते से तनाव की स्थिति बनी हुई है. बीते 7 दिनों में सूबे की राजधानी में पुलिस और वकीलों के बीच झड़प, विरोध प्रदर्शन, दोनों पक्षों के खिलाफ FIR, बार एसोसिएशन की हड़ताल और 5 पुलिसकर्मियों का निलंबन देखने को मिला.  

वायरल वीडियो के पीछे की कहानी?

मामला लखनऊ के एक कोर्ट परिसर का है. जहां विभूतिखंड थाने के ACP राधारमण सिंह को वकील वापस जाने के लिए कह रहे हैं. ACP यानी सहायक पुलिस आयुक्त. वर्दी पर तीन स्टार धारण करने वाले 50 साल के पुलिस अधिकारी राधारमण सिंह के लिए वकीलों ने अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल किया. ये सब कैमरे में दर्ज हुआ.

वीडियो में अपशब्द साफ तौर पर सुनाई दे रहे हैं. इस वीडियो को हम आपको दिखा नहीं सकते. आजतक के आशीष श्रीवास्तव ने एडीएसपी (ईस्ट जोन) पंकज सिंह के हवाले से बताया कि राधारमण सिंह वकीलों से बातचीत करने के लिए कोर्ट पहुंचे थे.  

उन्होंने बताया कि पिछले दिनों पुलिस और वकीलों के बीच टकराव हुआ था. इस दौरान दोनों पक्षों के खिलाफ मुकदमे लिखे गए थे.

लखनऊ में पुलिस और वकीलों के बीच टकराव क्यों?

घटना की शुरुआत होली के दिन यानी 14 मार्च को हुई. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, 14 मार्च, 2025 की शाम वकील सौरभ वर्मा को मालूम पड़ा कि उनके तीन साथी वकील शिवम पान, शुूभम यादव और अभिषेक सिंह को पुलिस थाने में पीट रही है. जब वे थाने पहुंचे तो उन्होंने देखा कि कई पुलिसकर्मी उनके साथियों को बुरी तरह पीटते नज़र आ रहे हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, इस दौरान वकीलों को गालियां दी गईं और उनके पेशे का मज़ाक उड़ाया गया. वकील सौरभ वर्मा ने दावा किया कि पुलिसकर्मियों ने उनके साथ अभद्रता की और उन्हें पेशाब पिलाया गया.

वकीलों ने इस घटना को लेकर लखनऊ विभूतिखंड चौराहे पर प्रदर्शन किया और पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ विरोध जताया. करीब चार घंटे तक चले विरोध प्रदर्शन के बाद मामले में FIR लिखी गई. रिपोर्ट बताती है कि सीनियर पुलिस अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर वकीलों को शांत कराने का प्रयास किया. इस दौरान विभूतिखंड थाने के SHO पंकज कुमार सिंह सहित 8 पुलिसवालों के खिलाफ भारतीय न्याय सुरक्षा संहिता (BNSS) के तहत FIR दर्ज की गई.

इसमें धारा 115(2)- जानबूझकर चोट पहुंचाना,  धारा 352- जानबूझकर अपमान करना, धारा 309(4)- लूटपाट, धारा 351(3)-  जान से मारने की धमकी देना के अलावा धारा 191(2)- दंगा फैलाना भी शामिल है.

वकीलों के खिलाफ हुई FIR, कांग्रेस नेता ने सीएम को लिखा पत्र

‘आजतक’ की रिपोर्ट के मुताबिक, थाने के अंदर वकीलों और पुलिसकर्मियों के बीच तीखी झड़प हुई. हालात उस वक्त बिगड़े जब वकीलों ने एक दारोगा की वर्दी फाड़ दी. इस दौरान पुलिसकर्मियों को निशाना बनाया गया. इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए करीब 150 वकीलों के खिलाफ केस दर्ज किए.

वकीलों में इस बात को लेकर नाराजगी फैल गई. अवध बार एसोसिएशन ने 17 मार्च को एक दिन की हड़ताल की घोषणा की. वकीलों की मांग थी कि दुर्व्यवहार करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो और वकीलों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए.

वकीलों की मांग को यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने भी उठाया. उन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखकर वकीलों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी.

इसके बाद 18 मार्च को इस मामले से संबंधित 5 पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया गया. इसमें एक अतिरिक्त इंस्पेक्टर, दो दरोगा और दो सिपाही शामिल हैं. ‘दैनिक भास्कर’ की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस और वकीलों के बीच हुए विवाद और मामले में दर्ज FIR की जांच गोमती नगर थाने में कराई जाएगी.  

लेकिन राधारमण सिंह के साथ की गई बदसलूकी से लगता  है कि लखनऊ में फिलवक्त वकीलों और पुलिस के बीच तनाव शांत नहीं हुआ है. 

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