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राम मंदिर पहुंची रामलला की मूर्ति, गर्भगृह में स्थापना के वक्त की फोटो आई सामने

नई मूर्ति को 18 जनवरी को ट्रक के जरिए अयोध्या लाया गया. 22 जनवरी को इसी मूर्ति को मंदिर में स्थापित किया जाएगा. पिछले 70 सालों से जो मूर्ति पूजी जा रही है उसे भी गर्भगृह में ही रखा गया है.

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मूर्ति को ट्रक से अयोध्या लाया गया (फोटो- इंडिया टुडे)

राम मंदिर में भगवान राम की मूर्ति का प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान शुरू हो चुका है. इस बीच खबर आई है कि भगवान राम की नई प्रतिमा को मंदिर के गर्भगृह में स्थापित कर दिया गया है ( Lord Ram Idol First Photo) . वहां विराजमान मूर्ति की पहली तस्वीर सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है. मूर्ति का कुछ हिस्सा कपड़े से ढंक कर रखा गया है.

नई मूर्ति को 18 जनवरी को ट्रक के जरिए अयोध्या लाया गया. 22 जनवरी को इसी मूर्ति को मंदिर में स्थापित किया जाएगा. पिछले 70 सालों से जो मूर्ति पूजी जा रही है उसे भी गर्भगृह में ही रखा गया है. बता दें, 19 जनवरी को प्राण-प्रतिष्ठा की विधि के तौर पर फलाधिवास और धान्य अधिवास होगा. इसके अलावा केसराधिवास और घृताधिवास भी किया जाएगा. अधिवास में मूर्ति को अलग-अलग सामग्रियों में कुछ समय तक के लिए रखा जाता है. माना जाता है कि मूर्ति पर शिल्पकार के औजारों से जो चोट आई है, इससे ठीक हो जाती है. दोष भी खत्म हो जाते हैं. जैसे जलाधिवास में मूर्ति को जल में रखा जाता है. इसी तरह आगे के कार्यक्रम भी तय किए गए हैं-

20 जनवरी - शर्कराधिवास, फलाधिवास, पुष्पाधिवास
21 जनवरी - मध्याधिवास, सायंकाल शैय्याधिवास

राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि 22 जनवरी को कम से कम विधियों की जरूरत होगी. सारा प्रोग्राम उससे पहले ही निपटा दिया जाएगा. 

जान लें कि ट्रस्ट के कुल 15 सदस्यों में से 11 ने राम जी की इस नई मूर्ति को चुना है. ये मूर्ति कर्नाटक के मशहूर शिल्पकार अरुण योगीराज ने बनाई है. वो प्रसिद्ध मूर्तिकार योगीराज शिल्पी के बेटे हैं. अरुण के दादा बसवन्ना शिल्पी को वाडियार घराने के महलों में खूबसूरती देने के लिए जाना जाता है. दादा मैसूर के राजा के बेहद प्रिय शिल्पकारों में से एक थे.

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अरुण योगीराज के नाम चर्चित मूर्तियों का अम्बार लगा है. उन्होंने केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की 12 फीट ऊंची प्रतिमा बनाई थी. मैसूर जिले के चुंचनकट्टे में 21 फीट ऊंची हनुमान प्रतिमा, डॉ. भीमराव आंबेडकर की 15 फीट ऊंची प्रतिमा, मैसूर में स्वामी रामकृष्ण परमहंस की सफेद अमृत शिला प्रतिमा, नंदी की छह फीट ऊंची अखंड प्रतिमा, बनशंकरी देवी की 6 फीट ऊंची मूर्ति, मैसूर के राजा की 14.5 फीट ऊंची सफेद अमृत शिला प्रतिमा, जयचामाराजेंद्र वाडियार और न जाने कितनी ही मूर्तियां अरुण योगीराज के हाथों से ही तराशी गई हैं.

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