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लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए JDU का BJP को समर्थन, लेकिन TDP बोली- 'NDA का स्पीकर हो'

Lok Sabha Speaker पद को लेकर JDU ने कहा कि वो BJP के साथ खड़ी है. जबकि TDP चाहती है सर्वसम्मति से नेता चुना जाए.

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लोकसभा स्पीकर पद के लिए JDU-TDP के अलग-अलग सुर. (फोटो: PTI)

लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे (Lok Sabha Election 2024) सामने आने के बाद से ही स्पीकर पद (Lok Sabha Speaker) को लेकर काफी चर्चा चल रही है. 4 जून के बाद कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि चंद्रबाबू नायडू (Chandrababu Naidu) की तेलुगु देशम पार्टी (TDP) और नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (JDU) स्पीकर पद चाहती हैं. लेकिन JDU ने साफ कर दिया है कि स्पीकर को लेकर पार्टी BJP के फैसले का समर्थन करेगी. जबकि TDP ने कहा है कि गठबंधन की सभी पार्टियों की सर्वसम्मति से स्पीकर का चयन किया जाना चाहिए. 

JDU नेता केसी त्यागी ने कहा,

“स्पीकर का पद सदन का सबसे मर्यादित पद होता है, उस पद के लिए पहला हक सत्तारूढ़ पार्टी का होता है. जो BJP या NDA गठबंधन का उस पद पर पहला हक है. हमारी पार्टी का मानना है कि भाजपा गठबंधन की बड़ी पार्टी है, इसलिए उसका अधिकार पहले है. हम 35 साल से NDA में हैं. एक बार भी ऐसा नहीं हुआ कि BJP ने JDU को तोड़ने की कोशिश की हो.”

दूसरी तरफ इस मामले को लेकर TDP के राष्ट्रीय प्रवक्ता पत्ताभी राम कोम्मारेड्डी का बयान सामने आया है. उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि NDA के सहयोगी साथ बैठकर यह तय करेंगे कि हमारा स्पीकर के लिए उम्मीदवार कौन होगा. एक बार सर्वसम्मति बन जाने के बाद, हम उस उम्मीदवार को मैदान में उतारेंगे और सभी सहयोगी, जिसमें TDP भी शामिल है, उस उम्मीदवार का समर्थन करेंगे.

इससे पहले कांग्रेस नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने  X पोस्ट कर कहा था,

“लोकसभा स्पीकर पद के चुनाव की ओर केवल TDP एवं JDU ही नहीं बल्कि पूरे देश की जनता उत्सुकता से देख रही है. यदि भाजपा के मन में आगे जाकर कोई भी अलोकतांत्रिक कृत्य करने का इरादा नहीं है तो उन्हें स्पीकर का पद किसी सहयोगी दल को ही देना चाहिए. गठबंधन धर्म को निभाते हुए 1998 से 2004 तक अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में TDP व शिवसेना के स्पीकर एवं UPA सरकार में 2004 से 2009 तक CPI(M) के स्पीकर रहे और अच्छे से लोकसभा का प्रबंधन हुआ.”

उन्होंने आगे लिखा,

“TDP और JDU को महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, गोवा, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश एवं राजस्थान में भाजपा द्वारा किए गए सरकार गिराने के षड्यंत्रों को नहीं भूलना चाहिए. इनमें से कई राज्यों में तो स्पीकर की भूमिका के कारण ही सरकार गिरी और पार्टियां टूटी. 2019 में TDP के 6 में से 4 राज्यसभा सांसदों भाजपा में शामिल हो गए थे और तब TDP कुछ भी नहीं कर सकी थी. अब अगर भाजपा लोकसभा स्पीकर का पद अपने पास रखती है तो TDP और JDU को अपने सांसदों की हॉर्स ट्रेडिंग होते देखने के लिए तैयार रहना चाहिए.”

कब हैं चुनाव?

लोकसभा सत्र 24 जून से शुरू होने जा रहा है. जबकि इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक 26 जून को मतदान हो सकता है, और नए स्पीकर उसी दिन पदभार संभाल सकते हैं. इस बार चुनाव में अकेले दम पर बहुमत नहीं ला पाई थी. पार्टी को 240 सीटें ही मिली थी. ऐसे में उन्हें चुनाव होने की स्थिति में TDP (16 सीट) और JDU (12 सीट) की जरूरत पड़ सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक BJP चुनाव के लिए विपक्षी दलों से संपर्क कर सकती है, ताकि स्पीकर का चुनाव सर्वसम्मति से हो सके. अगर विपक्षी पार्टियां सरकार के प्रस्ताव पर सहमत होती है, तो चुनाव की आवश्यकता नहीं होगी.

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