बालासोर ट्रेन हादसे से एक के बाद एक दिल दहला देने वाली ख़बरें सामने आ रही है. ऐसी ही एक कहानी है ललित ऋषिदेव की, जो कोरोमंडल एक्सप्रेस से चेन्नई जा रहे थे. बिहार के पूर्णिया के रहने वाले ललित काम की तलाश में चेन्नई की ओर रवाना हुए थे. ललित लोगों की जान बचा रहे थे. लेकिन इसी दौरान वो अपनी जान गंवा बैठे. जानते हैं उसकी आखिरी इच्छा क्या थी?
भाई को बचाने गया था, खुद की जान गंवा दी, आखिरी वक्त में ललित ने ये बात कही थी
एक भाई को बचाया, दूसरे को बचाने गया. तभी ट्रेन की एक और टक्कर हो गई.
इंडिया टुडे से जुड़े अनिर्बान सिंहा रॉय की रिपोर्ट के मुताबिक ललित ने मौत से पहले अपने भाई मिथुन ऋषिदेव से बात भी की थी. मिथुन ने बताया था वो बहानगा पहुंचे तो उन्हें भाई का फोन मिल गया लेकिन अपने भाई ललित का शव नहीं मिल रहा है.
आजतक से बात करते हुए मिथुन ने बताया कि उनका भाई ललित कुरसेला से ट्रेन पकड़कर सियालदह आया था. वहां से वो हावड़ा गया. हावड़ा से उसने कोरोमंडल एक्सप्रेस पकड़ी. ललित के साथ उसके दो और भाई थे. ललित ने हावड़ा से ट्रेन पकड़कर अपने घर फोन कर बता दिया था, कि वो ट्रेन पर बैठ गया है.
ललित के भाई मिथुन बताते हैं कि उनके पास लगभग चार घंटे बाद फोन आया, और उन्हें एक स्थानीय ने बताया कि उनके भाई की मौत हो गई है. इस स्थानीय आदमी ने मिथुन को ललित की मौत के बाद के वीडियो और फोटो भी भेजे. साथ ही ये भी कहा कि मिथुन बालासोर आ जाएं. इसके बाद मिथुन ने ये भी बताया कि उनका भाई बाकियों की जान बचा रहा था. मिथुन ने कहा,
"पहली बार (पहली टक्कर में) मेरे बड़े भाई ने मेरे छोटे भाई को बाहर निकाला. फिर वो दूसरे भाई को निकालने के लिए (अंदर) गया. और तभी दूसरी ट्रेन की टक्कर हुई. वो उसमें फंस गया. ये दोनों हादसे एक ही टाइम पर हुए या नहीं, इसके बारे में नहीं पता. मेरा एक और भाई भी है, वो घायल है. फिलहाल अस्पताल में है. वो भी ललित के साथ ही था. ललित ने ही उसे ट्रेन से बाहर निकाला था.
मिथुन आगे बताते हैं कि ललित दूसरे भाई को बचाने के लिए ट्रेन में वापस गए. इसके बाद दूसरी टक्कर हुई. जिसमें वो फंस गए. इसमें उन्हें चोट लगी, और फिर उनकी मौत हो गई. बालासोर में हुए इस हादसे में स्थानीय अजय खुंटिया मौके पर पहुंचे थे. उन्होंने कई लोगों की मदद की. इसी दौरान उनकी मुलाकात ललित से हुई. ललित तब जीवित थे. अजय ने ही मिथुन को फोन कर ललित की मौत की जानकारी दी थी. अजय बताते हैं,
“उस वक्त (क्रैश के वक्त) बहुत जोर आवाज आई. मैं उनके पास गया. बहुत लोग मर चुके थे. (कई) लोग जिंदा भी थे. हमने जिंदा लोगों को ऑटो और ट्रैक्टर में अस्पताल भेजा. एक बोगी में ही बहुत लोगों की मौत हो गई थी. आठ लोग मर गए थे. सिर्फ दो लोग जिंदा थे. जब ललित जिंदा थे, तब उन्होंने मुझे अपना फोन दिया था. कहा था, मेरा मोबाइल रखो. मैंने उनको वादा किया था, कि उनका फोन (उनके परिवार तक) पहुंचाउंगा. उनके भाई के साथ बात भी की. मुझे दुख है कि मैं उन्हें नहीं बचा पाया. हमने चार घंटे कोशिश की.”
अनिर्बान अपनी रिपोर्ट में बताते हैं कि ललित की आखिरी इच्छा यही थी, कि उनका फोन उनके परिवार तक पहुंच जाए. अजय और उनके दोस्तों ने मिलकर कई लोगों की जान बचाई.
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बता दें, लल्लनटॉप के रिपोर्टर रणवीर से मिली जानकारी के मुताबिक पहचान की सुविधा के लिए मृतकों और घायलों की सूची और तस्वीरें इन उपरोक्त वेबसाइट्स पर अपलोड कर दी गई हैं.
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