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कोर्ट की लाइव स्ट्रीमिंग को शेयर करने पर रोक लगी, कुछ दिन पहले ही जज का पाकिस्तान वाला बयान वायरल हुआ था

Karnataka High Court: हाई कोर्ट ने You tube, एक्स और Meta को पुराने वीडियो डिलीट करने को कहा है. 5 यूट्यूब चैनलों को भी नोटिस दिया गया है. याचिका में कहा गया है कि ऐसा करने से न्यायपालिका में लोगों का विश्वास कम हो रहा है और वकीलों की प्रतिष्ठा धूमिल हो रही है.

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सुप्रीम कोर्ट ने 'पाकिस्तान' वाले कॉमेंट पर स्वत: संज्ञान लिया था. (तस्वीर: सोशल मीडिया/इंडिया टुडे)

कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High Court) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अदालती कार्यवाही की लाइव-स्ट्रीम को शेयर करने पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने यूट्यूब, मेटा और एक्स को तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक इस पर रोक लगाने को कहा है. हालांकि, ये रोक अस्थायी रूप से लगाई गई है. इससे पहले 28 अगस्त को कर्नाटक हाई कोर्ट के जज जस्टिस श्रीशानंद ने बेंगलुरु के एक इलाके को पाकिस्तान कह दिया था. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था.

जस्टिस श्रीशानंद का एक और वीडियो वायरल हुआ था. इस वीडियो में वो एक महिला वकील पर अभद्र टिप्पणी करते नजर आए थे. दोनों वायरल क्लिप कोर्ट प्रोसीडिंग के लाइव-स्ट्रीम से लिए गए थे. सुप्रीम कोर्ट ने इन दोनों मामले में स्वत: संज्ञान लिया था. CJI डी वाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने कर्नाटक हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से रिपोर्ट मांगी है.

Karnataka High Court ने अपने आदेश में क्या कहा?

हाई कोर्ट ने पांच यूट्यूब चैनलों को भी कोर्ट के आधिकारिक यूट्यूब चैनल से लाइव-स्ट्रीम किए गए वीडियो अपलोड करने से रोक दिया है. ये चैनल हैं- कहले न्यूज, फैन्स ट्रोल, प्रतिध्वनि, अवनियाना और रवींद्र जोशी क्रिएशंस. 

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अदालत ने यूट्यूब, मेटा और एक्स को आदेश दिया है कि वो तत्काल प्रभाव से ऐसे वीडियो अपने प्लेटफॉर्म से हटा दें. कोर्ट ने कहा है कि ये ‘लाइव-स्ट्रीमिंग और अदालती कार्यवाही की रिकॉर्डिंग, 2021’ पर कर्नाटक की नियमावली का उल्लंघन है. कोर्ट ने कहा कि ये नियम 10 का उल्लंघन है. 

न्यायमूर्ति हेमंत चंदनगौदर ने एडवोकेट्स एसोसिएशन, बेंगलुरु (AAB) द्वारा दायर याचिका पर अंतरिम आदेश पारित किया है.

केंद्रीय मंत्रालय को नोटिस

इस बीच, अदालत ने केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, राज्य सरकार, उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और निजी यूट्यूब चैनलों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया.

AAB ने शिकायत की थी कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और निजी यूट्यूब चैनल कोर्ट के वीडियो को नियमों के विपरीत जाकर एडिट कर रहे हैं. याचिका में कहा गया कि कॉमर्शियल और मनोरंजन के उद्देशय से कोर्ट के वीडियो के इस्तेमाल करने का नया ट्रेंड चला है. जो आम लोगों को गुमराह कर रहा है और उन तक आंशिक जानकारी पहुंचा रहा है. उन्होंने कहा कि शरारती तत्व व्यक्तिगत और राजनीतिक लाभ के लिए इसका प्रयोग कर रहे हैं. 

याचिका में दावा किया गया कि कुछ वीडियो बहस कर रहे वकीलों की प्रतिष्ठा को धूमिल कर रहे हैं. साथ ही न्यायपालिका में जनता के विश्वास को भी कम कर रहे हैं. 

नियम क्या कहता है?

सितंबर 2021 में लागू हुआ ये नियम प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, मैसेजिंग ऐप सहित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को अदालत की पूर्व लिखित अनुमति के बिना लाइव-स्ट्रीम की गई कार्यवाही या आर्काइवल डेटा को रिकॉर्ड करने, साझा करने और प्रसारित करने से रोकता है. इस नियम का उल्लंघन कानून के विभिन्न प्रावधानों के तहत दंडनीय अपराध है.

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