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कोलकाता रेप केस से जुड़े पुलिस अधिकारी की तबियत बिगड़ी, अस्पताल वालों ने भर्ती ही नहीं किया!

Kolkata Hospitals Refused to Admit Cop: इंस्पेक्टर Abhijeet Mandal को 4 सितंबर की दोपहर को अचानक सीने में दर्द हुआ. वो कोलकाता के Tala Police Station में ही बेहोश होकर गिर पड़े. पुलिस ने दावा किया कि उनका ब्लड प्रेशर 180/130 था, वो कई बार बेहोश हो रहे थे और उन्हें बेचैनी हो रही थी.

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अधिकारी ताला पुलिस स्टेशन में प्रभारी के तौर पर तैनात (सांकेतिक फोटो- आजतक)

कोलकाता में कुछ प्राइवेट अस्पतालों पर एक पुलिस अधिकारी को गंभीर हालत में भी भर्ती ना करने के आरोप लगे हैं (Kolkata Hospital Inspector). अधिकारी ताला पुलिस स्टेशन में प्रभारी के तौर पर काम करते हैं. इसी पुलिस स्टेशन के एरिया में ही आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (RG kar Medical College and Hospital) आता है. यहीं ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप-मर्डर और भ्रष्टाचार की लिखित शिकायत भी दर्ज की गई थी.

आजतक से जुड़े राजेश साहा की रिपोर्ट के मुताबिक, इंस्पेक्टर अभिजीत मंडल को 4 सितंबर की दोपहर को अचानक सीने में दर्द हुआ. पता चला कि उनका बीपी भी बढ़ा हुआ है. इसके चलते वो थाने में ही बेहोश होकर गिर पड़े. पुलिस ने दावा किया कि अभिजीत मंडल का ब्लड प्रेशर 180/130 था, वो कई बार बेहोश हो रहे थे और उन्हें बेचैनी हो रही थी. आरोप है कि उन्हें इस हालत में एक के बाद एक चार प्राइवेट अस्पतालों में ले जाया गया लेकिन किसी ने उन्हें भर्ती नहीं किया.

सबसे पहले थाने में मौजूद पुलिसकर्मी इंस्पेक्टर अभिजीत मंडल को दमदम के एक प्राइवेट अस्पताल लेकर गए. सूत्रों से पता चला है कि अस्पताल वालों ने इंस्पेक्टर को भर्ती करने से इनकार कर दिया. कथित तौर पर कहा गया कि उन्हें भर्ती करने की जरूरत नहीं है. इंस्पेक्टर को ठीक से दवा लेने की सलाह देकर भेज दिया गया.

इसके बाद पुलिस इंस्पेक्टर के परिजन उन्हें अलीपुर के एक नामी मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल की इमरजेंसी में ले गए. वहां डॉक्टरों ने कथित तौर पर ये कहते हुए उन्हें लेने से इनकार कर दिया कि मरीज ठीक है और उन्हें भर्ती करने की जरूरत नहीं है. इसके बाद स्थानीय पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मामले में हस्तक्षेप करने अस्पताल पहुंचे  लेकिन कथित तौर पर उन्हें भी मना कर दिया गया. आरोप है कि ऑन ड्यूटी डॉक्टरों ने मरीज को राज्य सरकार द्वारा संचालित किसी अस्पताल में भर्ती कराने का सुझाव दिया.

हालांकि अस्पताल प्रशासन ने इन आरोपों से इनकार किया है. अस्पताल से जुड़े सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया,

मरीज को हमारी इमरजेंसी में लाया गया था. न्यूरोलॉजी और पल्मोनोलॉजी के डॉक्टरों ने उन्हें देखा. हमारी इमरजेंसी में उनका ईसीजी, इको और अन्य जांच की गई लेकिन ऐसा कुछ खास नहीं मिला जिससे पता चले कि मरीज को भर्ती करने की जरूरत है.

इसके बाद पुलिस इंस्पेक्टर को पिछले अस्पताल के ठीक बगल में एक अन्य मल्टीस्पेशलिटी प्राइवेट अस्पताल में ले जाया गया. सूत्रों के मुताबिक, अस्पताल वालों ने एडमिट की प्रक्रिया भी शुरू कर दी थी और मरीज को ICU में भेजा गया था लेकिन अचानक किसी अज्ञात वजह से प्रक्रिया रोक दी गई और अस्पताल वालों ने कह दिया कि उन्हें एडमिट होने की जरूरत नहीं है.

फिर इंस्पेक्टर को एकबलपुर के एक अस्पताल में ले जाया गया. सूत्रों का कहना है कि वो उन्हें भर्ती करने के लिए तैयार हुए लेकिन  कुछ ही मिनटों में डॉक्टरों ने अपना फैसला बदल दिया और भर्ती करने से इनकार कर दिया.

आखिर में इंस्पेक्टर को गरियाहाट के एक छोटे नर्सिंग होम में ले जाकर भर्ती कराया गया.

संयुक्त आयुक्त IPS मीराज खालिद ने सूत्रों के इन दावों की पुष्टी की है. उन्होंने इंडिया टुडे को बताया,

ताला पुलिस स्टेशन के प्रभारी को इलाज के लिए कई निजी अस्पतालों में ले जाया गया लेकिन दुर्भाग्य से उन्हें सभी अस्पतालों में भर्ती करने से मना कर दिया. आखिर में हमारे अधिकारी उन्हें कहीं और ले गए. उनका इलाज किया जा रहा है. 

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संयुक्त आयुक्त IPS ने कहा कि मामले की जांच कराई जाएगी.

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