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कोलकाता रेप मर्डर केस: 'क्राइम सीन के साथ छेड़छाड़ और FIR में देरी...', CBI की स्टेटस रिपोर्ट पर फंस सकती है ममता सरकार

CBI Status Report on Kolkata Rape-Case: सीबीआई ने अपनी स्टेट्स रिपोर्ट में कहा है कि RG Kar Medical College में क्राइम सीन के साथ 'छेड़छाड़' की गई. और FIR में भी देरी की गई. अधिकारियों ने पहले इसे आत्महत्या का मामला बताया और परिवार को गुमराह किया.

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CBI ने FIR दर्ज करने में हुई देरी पर चिंता जताई है. (तस्वीर: Supreme Court)

कोलकाता रेप मर्डर मामले (Kolkata Rape Murder Case) में CBI ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अपनी स्टेटस रिपोर्ट सौंप दी है. रिपोर्ट में CBI ने कहा है कि क्राइम सीन में बदलाव किया गया. और पीड़ित परिवार को जूनियर डॉक्टर की मौत को आत्महत्या बताकर गुमराह किया गया. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले की सुनवाई की. कोर्ट में CBI का पक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने रखा. उन्होंने बेंच के सामने FIR दर्ज करने में हुई देरी पर चिंता जताई. जांच एजेंसी इस देरी के कारण की भी जांच कर रही है.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, मेहता ने कोर्ट में कहा कि सबसे चौंकाने वाला फैक्ट ये है कि पहली FIR दाह संस्कार के बाद रात के 11:45 बजे दर्ज की गई. मृतका के माता-पिता को पहले आत्महत्या का मामला बताया गया. फिर बाद में मौत का मामला बताया गया. उन्होंने आगे कहा, 

"हम (CBI) जब पांचवें दिन जांच कर रहे थे, तो अपराध स्थल सहित सब कुछ बदल दिया गया था."

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Lie-Detector Test होना है

CBI ने अदालत को बताया कि गिरफ्तार आरोपी संजय रॉय का ‘लाई-डिटेक्टर टेस्ट’ होना अभी बाकी है. उन्होंने आगे कहा कि RG Kar Medical के अधिकारी इस मामले को संवेदनशीलता से नहीं संभाल पाए. जांच एजेंसी का मानना ​​है कि ऐसे मामलों में सभी प्रोटोकॉल जानने के बावजूद, अस्पताल अधिकारियों ने डॉ. संदीप घोष को प्रिंसिपल के पद से हटा दिया. और क्राइम सीन की सुरक्षा करने में पूरी तरह से विफल रहे. CBI ने कोर्ट से कहा कि रेप और मर्डर की जानकारी देने के बाद भी डॉ. घोष ने सक्रियता से कार्रवाई नहीं की.

क्राइम सीन के पास रेनोवेशन का काम चल रहा था. ये जगह भी CBI की जांच के दायरे में है. घोष से इसी सिलसिले में पूछताछ की जा रही है. 

Supreme Court में क्या हुआ?

कोर्ट में चल रही सुनवाई में पश्चिम बंगाल सरकार का पक्ष सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल रख रहे थे. उन्होंने CBI के उस दावे से इनकार किया जिसमें कहा गया था क्राइम सीन में बदलाव किया गया. सिब्बल ने कहा कि हर चीज की वीडियोग्राफी कराई गई थी. 

इस दौरान CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि सुबह 10:10 बजे अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज किया गया था. लेकिन क्राइम सीन को रात 11:45 पर सुरक्षित किया गया. उन्होंने कहा कि ये बहुत परेशान करने वाला पहलू है. सिब्बल ने इस बात से इनकार किया और बेंच को घटनाओं के टाइमलाइन वाला एक दस्तावेज दिया.

जस्टिस मनोज मिश्रा ने आगे कहा कि पोस्टमार्टम शाम के समय किया गया था, जबकि अप्राकृतिक मौत का मामला सुबह ही दर्ज किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि पोस्टमार्टम के बाद ही अपराध स्थल को सुरक्षित क्यों किया गया?

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज करने से पहले पोस्टमार्टम क्यों होना चाहिए? न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला ने पूछा कि शव परीक्षण कब किया गया. सिब्बल ने जवाब दिया, “शाम 6:10 बजे”. उन्होंने कहा कि अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज होने से पहले शव परीक्षण किया गया था. इस पर न्यायमूर्ति पारदीवाला ने टिप्पणी की - “अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज होने से पहले पोस्टमार्टम क्यों होना चाहिए? अगर ये सच है, तो ये बहुत खतरनाक तथ्य है”. इसका खंडन करते हुए कपिल सिब्बल ने दावा किया कि अप्राकृतिक मृत्यु की सामान्य डायरी में एंट्री दोपहर 1.45 बजे की गई थी.

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