केरल सरकार ने जस्टिस हेमा कमिटी (Justice Hema Committee report) की रिपोर्ट पर अब तक केस रजिस्टर नहीं किया है. इसको लेकर केरल हाईकोर्ट ने 10 सितंबर को राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है. जस्टिस हेमा कमिटी की रिपोर्ट में मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में हो रहे महिलाओं के यौन उत्पीड़न को लेकर एक विस्तृत डॉक्यूमेंट पेश किया गया था. जस्टिस ए. के. जयशंकरन नांबियार और जस्टिस सी. एस. सुधा की एक स्पेशल बेंच ने सरकार द्वारा गठित SIT को रिपोर्ट प्रस्तुत कर, अबतक क्या कार्रवाई हुई, बताने का निर्देश दिया है. इसके अलावा कोर्ट ने इस मामले में मीडिया कवरेज पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.
मलयालम फिल्म इंडस्ट्री यौन उत्पीड़न मामले में केरल सरकार को HC की फटकार, कहा- 'चुप रहना विकल्प नहीं'
Kerala Highcourt ने Justice Hema Committee report पर अब तक FIR रजिस्टर नहीं करने के लिए केरल सरकार को कड़ी फटकार लगाई है. Highcourt ने कहा कि हम राज्य सरकार की निष्क्रियता से चिंतित हैं. सरकार ने 4 साल तक रिपोर्ट दबा कर बैठे रहने के अलावा कुछ भी नहीं किया है.
जस्टिस हेमा कमिटी ने अपनी रिपोर्ट साल 2019 में सरकार को सौंप दी थी. कोर्ट ने कहा कि
राज्य सरकार की निष्क्रियता से चिंताजनक हैंं. अब तक इस मामले में FIR दर्ज नहीं हुई है. आपने 4 साल तक रिपोर्ट दबा कर बैठे रहने के अलावा कुछ भी नहीं किया है. इस मामले में चुप्पी साध लेना सरकार के लिए कोई विकल्प नहीं है. महिलाओं के प्रति पूर्वग्रह और भेदभाव खत्म होना चाहिए.
हाईकोर्ट की बेंच ने आगे कहा,
आप समाज में महिलाओं को होने वाली समस्याओं के समाधान के लिए क्या कर रहे हैं? यह सिर्फ फिल्म इंडस्ट्री की बात नहीं है. स्थिति बहुत खराब है. और वह भी हमारे जैसे राज्य में जहां महिलाओं की आबादी अधिक है. SIT को इन मुदों पर ध्यान देना चाहिए.
केरल सरकार ने 2017 में जस्टिस हेमा कमिटी का गठन किया था. 19 अगस्त 2024 को इस कमिटी की रिपोर्ट सार्वजनिक की गई. इस रिपोर्ट में मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के यौन उत्पीड़न के मामलों का खुलासा किया गया है. रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद से कई एक्टर्स और डायरेक्टर्स के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगे हैं. पिनराई विजयन सरकार ने इस मामले की जांच के लिए सात सदस्यीय SIT का गठन किया है.
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जस्टिस हेमा कमिटी की रिपोर्ट में ऐसे मामलों का भी जिक्र है जिनमें फिल्म बनने से पहले महिलाओं का उत्पीड़न हुआ है. इसलिए कोर्ट ने सरकार से महिलाओं की समस्याओं की समाधान के लिए कानून बनाने को कहा है. कोर्ट ने कहा कि अगर कोई केस रोजगार की तलाश कर रही महिला से जुड़ा हुआ है, तो POSH एक्ट इससे कैसे निपटेगा. (POSH एक्ट वर्कप्लेस पर महिलाओं को यौन उत्पीड़न के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है.) कोर्ट ने आगे कहा कि ऐसी स्थिति में POSH एक्ट लागू नहीं किया जा सकता. इसलिए यदि मौजूदा कानून से इन मुद्दों का समाधान नहीं हो रहा है तो सरकार को नए कानून के बारे में सोचना चाहिए.
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