ऋषि सुनक (Rishi Sunak) बन गए ब्रिटेन के पहले भारतीय मूल के प्रधानमंत्री. पहला भाषण भी दे दिया. दुनिया भर से हर तरह की प्रतिक्रियाएं आईं. इसी में एक प्रतिक्रिया कश्मीर के IAS अधिकारी शाह फ़ैसल (Shah Faesal) की आई. शाह फ़ैसल ने पाकिस्तान समेत अन्य इस्लामिक देशों पर कटाक्ष किया. लिखा कि दुनिया में कहीं और मुसलमानों को ऐसी आज़ादी नहीं मिलती जैसी भारत में मिलती है. ट्वीट किया,
"भारत में ही मुस्लिम टॉप पर पहुंच सकता, इस्लामिक देशों में नहीं"- शाह फैसल का पाकिस्तान पर तंज
शाह फैसल ने कहा कि ऋषि सुनक की ब्रिटिश PM के तौर पर नियुक्ति हमारे पड़ोसियों के लिए एक आश्चर्य की बात हो सकती है, जहां संविधान ग़ैर-मुसलमानों को शीर्ष पर आने से रोकता है.

"ये केवल भारत में संभव है कि कश्मीर का एक मुस्लिम युवा भारतीय सिविल सेवा परीक्षा में टॉप सकता है. सरकार के शीर्ष पदों तक पहुंच सकता है. फिर सरकार से अलग हो जाता है और फिर भी सरकार उसे बचाती है. उसे वापस काम करने का मौक़ा देती है."
दरअसल, शाह ने 2009 में सिविल सेवा परीक्षा में टॉप किया था. दस साल काम किया. फिर जनवरी 2019 में इस्तीफ़ा दे दिया और सक्रिय राजनीति में शामिल होने का ऐलान किया. इस्तीफ़ा देते हुए कहा कि कश्मीर में हो रही हत्याओं के लिए, मुसलमानों के हाशिए पर जाने के लिए और संवैधानिक संस्थानों के साथ छेड़छाड़ के लिए मोदी सरकार ज़िम्मेदार है. रेप की बढ़ती घटनाओं का जिक्र करते हुए देश को 'रेपिस्तान' भी कहा था. इसकी काफ़ी आलोचना भी हुई थी. एक पॉलिटिकल पार्टी भी बनाई. कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (JKPM) पार्टी. फिर धारा-370 के हटने के बाद उन्हें पब्लिक सिक्योरिटी एक्ट के तहत हिरासत में लिया गया. हिरासत से निकले तो सक्रिय राजनीति छोड़ दी. वापस सर्विस जॉइन कर ली. और, अब वो ट्विटर थ्रेड में लिख रहे हैं,
"ऋषि सुनक की नियुक्ति हमारे पड़ोसियों के लिए एक आश्चर्य की बात हो सकती है, जहां संविधान ग़ैर-मुसलमानों को शीर्ष पर आने से रोकता है. लेकिन भारतीय लोकतंत्र ने कभी भी जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव नहीं किया है.
भारतीय मुसलमान, दूसरे आम नागरिकों के जैसी ही आज़ादी का लुत्फ़ लेते हैं, जो किसी और तथाकथित इस्लामिक देश में अकल्पनीय है."
अपने करियर के उतार-चढ़ाव का हवाला देते हुए लिखा,
"मेरा अपना जीवन एक यात्रा है. 1.3 अरब लोगों के इस देश के हर नागरिक के साथ. कंधे से कंधा मिलाकर. जहां मैंने अपनापन, सम्मानित और प्रेरित महसूस किया है. यही भारत है."
IAS फ़ैसल ने भारत को 'समान अवसर की ज़मीन' कहा. मौलाना आज़ाद, डॉ मनमोहन सिंह और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का ज़िक्र भी किया.
UPSC टॉपर रहे IAS शाह फैसल ने 2019 में इस्तीफा दिया, अब क्या कर सबको चौंका दिया?