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"उसने मेरे मुंह में AK-47 घुसेड़ दी", कारगिल युद्ध के पायलट ने बताया, पाकिस्तान में क्या-क्या हुआ?

25 मई, 1999 से 26 जुलाई, 1999 तक चले कारगिल युद्ध में नचिकेता भी शामिल थे. एक रोज़ फाइटर प्लेन मिग-27 उड़ाते हुए वो दुश्मन पर निशाना साध रहे थे. इसी बीच विमान का इंजन फेल हो गया. नचिकेता को विमान से इजेक्ट करना पड़ा. लेकिन नीचे एक और बड़ा संकट उनका इंतजार कर रहा था. लैंड करते ही भारतीय पायलट को पाकिस्तानी सैनिकों ने उन्हें घेर लिया था.

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कारगिल युद्ध के एकमात्र युद्धबंदी के नचिकेता. (तस्वीर:इंडिया टुडे)

26 जुलाई, 2024 को कारगिल विजय दिवस के 25 साल पूरे हो गए. यह वही तारीख है जब कारगिल जंग मेंं भारतीय सेना ने पाकिस्तान को धूल चटाई थी. इस मौके पर कारगिल युद्ध से जुड़ी कई कहानियां सामने आ रही हैं. भारतीय फाइटर पॉयलट के नचिकेता ने उस समय को याद किया है. युद्ध के दौरान उन्हें पाकिस्तान ने बंधक बना लिया था. उन्हें भारत को सौंपने से पहले कई दिनों तक प्रताड़ित किया गया. करीब 8 दिनों बाद पाकिस्तान ने उन्हें वापस भारत को सौंपा. अब उन्होंने बताया है कि उस दौरान उनके साथ क्या-क्या हुआ. 

विमान का इंजन फेल

आंध्र प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले के नचिकेता का जन्म 31 मई, 1973 को हुआ था. दिल्ली के केंद्रीय विद्यालय में स्कूली शिक्षा हासिल करने के बाद उन्होंने नेशनल डिफेंस अकादमी की परीक्षा पास करके सेना में एंट्री ली. 25 मई, 1999 से 26 जुलाई, 1999 तक चले कारगिल युद्ध में नचिकेता भी शामिल थे. एक रोज़ फाइटर प्लेन मिग-27 उड़ाते हुए वो दुश्मन पर निशाना साध रहे थे. इसी बीच विमान का इंजन फेल हो गया. नचिकेता को विमान से इजेक्ट करना पड़ा. लेकिन नीचे एक और बड़ा संकट उनका इंतजार कर रहा था. लैंड करते ही भारतीय पायलट को पाकिस्तानी सैनिकों ने उन्हें घेर लिया था.

NDTV से बातचीत में उन्होंने बताया,

"उस दिन हमारे साथ तीन अन्य लड़ाकू पायलटों ने श्रीनगर से हवाई उड़ान भरी थी. हमारा लक्ष्य मुन्थो ढालो नाम की जगह थी जो पाकिस्तान लॉजिस्टिक बेस का एक महत्वपूर्ण केंद्र था. हम चार हवाई जहाजों के एक सेट में यात्रा कर रहे थे. हम लोग लगातार रॉकेट से निशाना साध रहे थे. कुछ देर बाद मेरा इंजन ख़राब हो गया. मेरे पास विमान से बाहर कूदने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. विमान से कूदने के कुछ सेकेंड बाद मैंने देखा कि विमान पहाड़ी पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था."

उन्होंने आगे बताया,

“कुछ ही देर में मैं पाकिस्तानी सैनिकों से घिरा था. थोड़ी ही देर में एक सैनिक ने मेरे मुंह में एके-47 की बैरल घुसेड़ दी. मैं ट्रिगर पर पड़ी उसकी उंगली को देख रहा था. सोच रहा था कि वह इसे खींचेगा या नहीं. लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था.” 

नचिकेता ने बताया कि विरोधी दस्ते के कैप्टन ने उस युवा सैनिक को ट्रिगर दबाने से रोक दिया. पाकिस्तानी सेना के कैप्टन ने अपने सहयोगियों को यह समझाया कि भारतीय पायलट एक सैनिक के रूप में अपना कर्तव्य निभा रहा है. इसके बाद नचिकेता को बंदी बनाकर शिविर स्थल पर ले जाया गया.

यातना के दिन

नचिकेता राव ने शिविर में ले जाए जाने के बाद का किस्सा बताया, जहां उन्हें काफी टॉर्चर किया गया. उन्होंने कहा,

"इजेक्शन के कारण उनकी पीठ में दर्द हो रहा था और ठंड उनके जूतों में घुस रही थी. लगभग 24 घंटे के बाद, एक C130 (विमान) आया और मुझे इस्लामाबाद और फिर रावलपिंडी ले जाया गया. उन लोगों ने करीब एक दिन बाद मुझे ISI के स्पेशल सेल को सौंप दिया."

कैप्टन नचिकेता के शब्दों में इसके बाद जो हुआ वो 'काफी बुरा' था. उन्होंने कहा,

“सेल में बिना दाना-पानी के अकेले रहना पड़ा. यह बहुत कठिन हो जाता है क्योंकि वे आपको मानसिक, शारीरिक, भावनात्मक रूप से तोड़ना चाहते हैं ताकि आप कुछ उगलना शुरू कर दें. लेकिन, मैं फिर से भाग्यशाली रहा. क्योंकि इसके बाद थर्ड डिग्री टॉर्चर शुरू होना था. अभी तक जो हुआ था, उसे वे यह कहकर बच सकते थे कि मैं सहयोग नहीं कर रहा था, भागने की कोशिश कर रहा था. लेकिन अब जो होता (थ्रड डिग्री) उससे शरीर पर निशान पड़ जाते हैं. लेकिन वो स्टेज आने से पहले मुझे भारत वापस लाने का फैसला आ गया था.”

वतन वापसी के बाद

नचिकेता ने बताया कि कुछ देर के बाद उन्हें इंटरनेशनल रेड क्रॉस सोसाइटी ले जाया गया. वहां कुछ बेसिक ट्रीटमेंट हुआ. कुछ डॉक्यूमेंटेशन के बाद उन्होंने नचिकेता को फाइनली भारतीय दूतावास को सौंप दिया. वतन आने के बाद उनका जोरदार स्वागत हुआ. उनके माता-पिता उन्हें रिसीव करने एयरपोर्ट पहुंचे थे. देश लौटने के बाद कैप्टन नचिकेता लड़ाकू विमान नहीं उड़ा सके. उन्होंने उसके बाद ट्रांसपोर्ट विमान उड़ाया. साल 2017 में वे बतौर ग्रुप कैप्टन रिटायर हुए. 

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