उत्तर प्रदेश के कानपुर की सीसामऊ सीट पर उपचुनाव (Sisamau Bypoll 2024) होना है. समाजवादी पार्टी ने अपना प्रत्याशी भी घोषित कर दिया. पूर्व विधायक इरफ़ान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी (Naseem Solanki) सपा कैंडिडेट हैं. लेकिन यहां सपा के अंदर ही घमासान मच गया है. सबके सामने पार्टी के जिलाध्यक्ष और विधायक लड़ बैठे और ऐसा लड़े कि ये सब देखकर नसीम सोलंकी भावुक हो गईं. ये पूरा घटनाक्रम सोशल मीडिया पर वायरल है.
सपा ने उपचुनाव की बैठक बुलाई, विधायक-जिलाध्यक्ष ऐसे भिड़े कि कैंडिडेट नसीम सोलंकी भावुक हो गईं
Kanpur में Samajwadi Party की एक मीटिंग में ये विवाद हुआ है. विधायक हसन रूमी और अमिताभ बाजपेई, ज़िलाध्यक्ष फ़ज़ल महमूद के बीच बहस हो गई.
दरअसल, उपचुनाव से पहले कानपुर में सपा ने PDA सम्मेलन और चुनाव समीक्षा बैठक रखी. बैठक में कानपुर से सपा के सभी विधायक, ज़िलाध्यक्ष और संगठन के पदाधिकारी मौजूद थे. इस बीच, आर्यनगर सीट से विधायक अमिताभ बाजपेई का संबोधन चल रहा था. आजतक की ख़बर के मुताबिक़, इस दौरान उन्होंने कहा, 'इरफान सोलंकी को जेल भेजकर सरकार ने ग़लत किया.' तभी प्रदेश अध्यक्ष ने उन्हें टोकते हुए कहा कि ये समीक्षा बैठक है, यहां राजनीतिक बयानबाजी ना करें.
बताया गया कि ये बात अमिताभ को ख़राब लगी और उन्होंने कहा, 'आप देख लीजिए, पीछे होर्डिंग में साफ़-साफ़ लिखा है कि ये PDA सम्मेलन है.' उन्होंने ग़ुस्से में बोलना बंद कर दिया और माइक को मंच पर ही रख दिया. विधायक के ग़ुस्से की एक और वजह ये बताई गई कि उन्हें मंच पर पीछे बैठने के लिए जगह दी गई थी, होर्डिंग में फ़ोटो के साइज और जगह को लेकर भी मतभेद की बात सामने आई.
इसके बाद सपा ज़िलाध्यक्ष फ़ज़ल महमूद ने कहा, ‘विधायक खुद को अखिलेश यादव से ऊपर समझते हैं.’ इस बीच, उन्होंने ये भी कहा कि विधायक चुनाव हरवा देंगे. जब उन्होंने उंगली उठाकर कहा कि तमीज में रहिए. इतने में कानपुर कैंट विधायक मो. हसन रूमी और अमिताभ बाजपेई ने हंगामा किया. प्रत्याशी नसीम बीच-बचाव करती दिखीं. फिर वो भावुक हो गईं. फिर सभी विधायक PDA सम्मेलन बीच में ही छोड़कर चले गए. हालांकि, विधायक रूमी ने बताया कि नसीम इसलिए भावुक हो गईं, क्योंकि उनके पति इरफान सोलंकी का जेल से फोन आया था.
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जानकारी के मुताबिक़, हंगामे के बाद नसीम सोलंकी ने विधायक अमिताभ बाजपेई को बुलाया. प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल के सामने ही ज़िलाध्यक्ष और विधायक की नाराज़गी दूर करने की कोशिश की गई. बाद में अमिताभ का मीडिया के सामने बयान आया कि कोई विवाद नहीं हुआ था. आपसी बातचीत थी. हम सरकार के अत्याचार के ख़िलाफ एकजुट हैं. हर चुनाव हम लोग अखिलेश यादव के नेतृत्व में ही लड़ते आए हैं.
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