कैलाश गहलोत ने आम आदमी पार्टी को साथ छोड़ दिया. कुछ समय पहले तक उनके भाजपा में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही थीं. अब इन अटकलों से पर्दा हट गया है. क्योंकि गहलोत (Kailash Gahlot Joins BJP) ने आधिकारिक रूप से BJP की सदस्यता ग्रहण कर ली है. हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और PM मोदी सरकार में मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई है.
कैलाश गहलोत भाजपा में शामिल हो गए, AAP ने क्या आरोप लगाए? चुनाव पर असर पड़ेगा क्या?
AAP में रहते हुए Kailash Gahlot दिल्ली के परिवहन मंत्री थे. वो नजफगढ़ सीट से विधायकी का चुनाव जीत चुके हैं. 17 नवंबर को उन्होंने पार्टी की सदस्यता और मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कैलाश की जगह नांगलोई से जाट विधायक राघवेंद्र शौकीन को दिल्ली की AAP सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया जा सकता है.
आम आदमी पार्टी में रहते हुए कैलाश गहलोत दिल्ली के परिवहन मंत्री थे. वो नजफगढ़ सीट से विधायकी का चुनाव जीत चुके हैं. 17 नवंबर को उन्होंने पार्टी की सदस्यता और मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. उनके पास परिवहन मंत्रालय के अलावा प्रशासनिक सुधार, गृह, महिला एवं बाल विकास तथा सूचना प्रौद्योगिकी विभाग की जिम्मेवारी थी. उन्हें AAP के बड़े नेताओं में गिना जाता था.
गहलोत के भाजपा में शामिल होने की खबरों पर पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा,
"उनकी मर्जी है, वो जहां भी जाएं."
हालांकि, AAP के दूसरे नेताओं ने इस फेरबदल के लिए BJP पर आरोप लगाया. मुख्यमंत्री आतिशी ने इसे भाजपा का गंदा षड्यंत्र करार दिया. उन्होंने कहा कि भाजपा ऐसा करके ED और CBI के बल पर दिल्ली का विधानसभा चुनाव जीतना चाहती है. वहीं AAP नेता संजय सिंह ने कहा कि दिल्ली चुनाव से पहले PM मोदी की ‘वाशिंग मशीन’ सक्रिय हो गई है. और अब कई नेता BJP में शामिल होंगे. हालांकि, भाजपा में शामिल होने के बाद कैलाश गहलोत ने कहा है कि उन्होंने ED या CBI के दबाव में पार्टी नहीं बदली है.
इंडिया टुडे ग्रुप के इनपुुट्स के मुताबिक, दिल्ली शराब नीति के मामले में गहलोत ED के रडार पर थे. इस साल मार्च महीने में उनसे पूछताछ की गई थी. ED के अनुसार, इस मामले में AAP के संचार प्रभारी विजय नायर को गिरफ्तार किया गया था. ED ने आरोप लगाया कि नायर केजरीवाल के सिविल लाइंस आवास के पास गहलोत के नाम पर आवंटित एक आधिकारिक बंगले में रुके थे. ED की पूछताछ के बाद गहलोत ने कहा था, “नायर जिस घर में रह रहे थे, वो निश्चित रूप से मेरे नाम पर आवंटित है. लेकिन पहले की तरह आज तक, मैं वसंत कुंज में अपने निजी आवास पर रहता हूं. मैं कभी भी सिविल लाइंस में अपने नाम पर आवंटित बंगले में शिफ्ट या रुका नहीं.”
दिल्ली के डीटीसी बस घोटाला को लेकर भी गहलोत की चर्चा हुई. 2021 में भाजपा ने 1,000 लो-फ्लोर एसी बसों के रखरखाव के लिए दिए गए ठेकों में गड़बड़ी का आरोप लगाया था. तत्कालीन उप राज्यपाल अनिल बैजल ने इसकी जांच के लिए एक कमेटी बनाई. कमेटी ने इस मामले में कई खामियों को उजागर किया. समिति की रिपोर्ट के बाद गृह मंत्रालय ने CBI से प्रारंभिक जांच की सिफारिश की. गहलोत के पास परिवहन मंत्री का पद था. अगस्त 2022 में CBI ने इस मामले में जांच शुरू की.
2018 में, आयकर विभाग ने गहलोत और उनके परिवार से जुड़े लगभग 16 ठिकानों पर छापे मारे थे.
Gahlot ने AAP छोड़ने का क्या कारण बताया?अरविंद केजरीवाल को लिखे पत्र में कैलाश गहलोत ने AAP पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने लिखा कि AAP ने केंद्र सरकार से लड़ाई करने में बहुत वक्त बर्बाद किया है. और पार्टी ने जनता से किए वादे पूरे नहीं किए. उन्होंने कहा कि उनके पास AAP से अलग होने के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं है. इसलिए वो AAP से इस्तीफा दे रहे हैं.
कौन हैं Kailash Gahlot?22 जुलाई 1974 को दिल्ली के नजफगढ़ के मित्राउन गांव में जन्में कैलाश किसान परिवार से आते हैं. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की और वकालत की. गहलोत सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट में वकील रहे हैं. उन्होंने 16 साल से अधिक समय तक कानूनी प्रैक्टिस की है. 2005-2007 के दौरान, गहलोत दिल्ली हाई कोर्ट के बार एसोसिएशन में सदस्य कार्यकारी के रूप में चुने गए थे.
साल 2015 में उन्होंने AAP जॉइन किया और पार्टी के ‘जाट फेस’ बन गए. 2015 में ही पार्टी ने उनको नजफगढ़ सीट से विधानसभा चुनाव के लिए टिकट दिया. उन्हें 1,550 वोटों के मामूली अंतर से जीत मिली. 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उन पर फिर से भरोसा जताया. इस बार उनको 6 हजार से ज्यादा वोटों से जीत मिली. कैबिनेट मंत्री बनने से पहले उन्होंने नजफगढ़ के युवाओं को शिक्षित करने के लिए अपने पिता के नाम पर एक ट्रस्ट चलाया.
वीडियो: दिल्ली चुनाव: नज़फगढ़ में कैलाश गहलोत ने BJP के अजित सिंह को हराया