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कैंसर बांटने वाली बेबी प्रॉडक्ट कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन का अब शैंपू टेस्ट में फेल हो गया

हम पैसे देकर अपने बच्चों के लिए जानलेवा बीमारियां खरीद रहे हैं!

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प्रतीकात्मक फोटो
अमेरिका की कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन भारत में एक बार फिर रेग्युलेटर्स के रडार पर है. कंपनी का बेबी शैंपू क्वालिटी टेस्ट में फेल हो गया है. टेस्ट के दौरान कंपनी के शैंपू में हानिकारक तत्व मिले हैं. यह टेस्ट राजस्थान ड्रग्स कंट्रोल संस्थान ने कराया था. हालांकि कंपनी ने टेस्ट के नतीजों को मानने से इनकार कर दिया है. भारत में जॉनसन एंड जॉनसन बेबी पाउडर मामले को सुलझे हुए अभी एक ही महीने हुए थे कि अमेरिका की यह कंपनी एक बार फिर भारतीय ड्रग्स रेग्युलेटर्स की रडार पर है. राजस्थान ड्रग्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (Rajasthan Drugs Control Organisation) ने मार्च में पाया कि बेबी शैंपू के दो बैच मानकों पर खरा नहीं उतरे. भारत की सबसे बड़ी ड्रग रेग्युलेटरी सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड नियंत्रण संगठन (CDSCO) इस मामले की छानबीन की योजना बना रहा है. सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड नियंत्रण संगठन के कंट्रोलर जनरल ईश्वरा रेड्डी ने कहा-
इस तरह के प्रोडक्टस की मार्केट में होने वाली मूवमेंट पर हम नजर रखेंगे.
राजस्थान ड्रग रेग्युलेटर के मुताबिक जो सैंपल लिए गए थे. उसमें हानिकारक तत्व पाए गए हैं. BB58204 और BB58177 बैच के सैंपल लिए गए हैं. जिसकी एक्सपायरी डेट सितंबर 2021 है. जॉनसन एंड जॉनसन की ओर से जारी बयान के मुताबिक इन सैंपल्स में रेग्युलेटर को फर्मैल्डहाइड (एक प्रकार की गैस) मिली है. जॉनसन एंड जॉनसन के प्रवक्ता ने कहा-
जॉनसन एंड जॉनसन बेबी शैंपू के सैंपल का जो रिजल्ट हमें दिया गया है उसमें हानिकारक तत्व पाए जाने की बात कही गई है. हमें ये रिजल्ट स्वीकार नहीं है. सरकार ने यह नहीं बताया कि टेस्ट का तरीका क्या था. ना ही यह बताया कि हानिकारक तत्व किस मात्रा में पाए गए हैं. हमने भारतीय संस्थाओं को बताया है कि हम अपने प्रोडक्ट में फर्मैल्डहाइड गैस का इस्तेमाल नहीं करते. हमारा प्रोडक्ट इस्तेमाल के लिए पूरी तरह सुरक्षित है. हमने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 के सभी मानकों का पालन किया है. फिर भी हमने सैंपल को रि-टेस्टिंग के लिए भेजा है.
कुछ प्रोडक्टस में मिले थे कैंसर के लिए जिम्मेदार तत्व भारत में बेबीकेयर प्रॉडक्टस के लिए मशहूर इस कंपनी के पाउडर में पहले से ही कैंसर के कारक एस्बेसटस की मौजूदगी की आशंका जताई जा रही थी. कैंसर पर रिसर्च करने वाली इंटरनेशल एजेंसी IARC ने 2011 की अपनी रिपोर्ट में पाया था कि इस प्रोडक्ट में कैंसर के लिए जिम्मेदार तत्व पाए गए. यह रिसर्च रिपोर्ट फोब्स मैगजीन में छपी थी. दिसंबर 2018 में औषधि नियामक ने जॉनसन ऐंड जॉनसन के प्रोडक्ट और कच्चे उत्पादों के सैंपल इकट्ठा किए थे. मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि जॉनसन ऐंड जॉनसन पाउडर में कथित तौर पर कैंसर के लिए जिम्मेदार कारक ऐस्बेस्टस हैं और कंपनी को यह बात 1971 से ही पता थी. मीडिया रिपोर्ट के बाद गिर गए थे कंपनी के शेयर्स रायटर ने दावा किया था कि उसने कंपनी की आंतरिक रिपोर्ट, गोपनीय दस्तावेज और 1971 से 2000 तक हुई कानूनी प्रक्रिया को आधार मानते हुए यह नतीजा दिया कि कंपनी को बेबी पाउडर में समय-समय पर आपत्तिजनक तत्व मिले. रायटर ने दावा किया था कि इन दशकों के दौरान बेबी पाउडर में कम मात्रा में एसबेस्टस पाया गया. रॉयटर्स की इस स्टोरी ने जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी में भूचाल ला दिया था. एक दिन में ही कंपनी के शेयर 10 प्रतिशत और फिर अगले कारोबारी दिन में 3 प्रतिशत गिर गए थे. मतलब कि 132 सालों से किसी कंपनी ने जो 100 रुपए जुटाए थे दो दिन में उसमें से 13 रुपए घट गए. या फिर उसे उसके इन्वेस्टर्स को इन दो काले दिनों  में 28 खरब के लगभग (28,06,20,00,00,000) रुपयों का नुकसान हुआ था. 14 दिसंबर, 2018 को प्रकाशित इन्वेस्टीगेटिव रिपोर्ट में तथ्यों और सबूतों के आधार पर बताया गया था कि जॉनसन एंड जॉनसन को बहुत पहले से पता था कि उसके बेबी पाउडर में कैंसर पैदा करने वाला/वाले तत्व है/हैं.
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