बीते दशक भर से दुनिया भर की भू-राजनीति को तय करने वाली सबसे बड़ी भसड़ है अमेरिका-चीन विवाद. ट्रेड वॉर से लेकर ख़ेमेबाज़ी और तू-तू मैं-मैं तक. हर जगह दोनों 'सांडों' के सींघ उलझे ही रहते हैं. अब इतने समय बाद दोनों राष्ट्राध्यक्षों की मुलाक़ात हुई, तो लगा कि चीज़ें सामान्य पटरी पर आएंगी. लेकिन फिर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से पूछ लिया गया कि क्या वो 'अब भी' शी जिनपिंग को तानाशाह मानते हैं? तो उन्होंने कहा: 'हां-हां वो तो हैं ही'.
'ऐसा है, तानाशाह तो वो हैं', शी जिनपिंग से बात के बाद जो बाइडन ने की 'मन की बात'
दोनों देश मान गए थे कि साथ मिलकर काम हो पाएगा. लेकिन बाइडन ने...
दरअसल, बाइडन और शी जिनपिंग के बीच बाइ-लैट्रल मीटिंग चल रही थी. बाइडन ने सैन फ्रांसिस्को से लगभग 48 किलोमीर दूर फ़िलोली एस्टेट में शी का स्वागत किया. बाद में दोनों एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) फ़ोरम की समिट के लिए चले गए. इंडिया टु़डे ने छापा है कि इस द्विपक्षीय बैठक के दौरान शी ने अमेरिका-चीन रिश्ते को 'दुनिया का सबसे ज़रूरी द्विपक्षीय रिश्ता' बताया. और कहा कि उनके और बाइडन के कंधों पर दो दुनिया और इतिहास की भारी ज़िम्मेदारी है. चीन और अमेरिका जितने बड़े देशों के लिए एक-दूसरे से मुंह मोड़ना, कोई विकल्प ही नहीं है.
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बाइडन ने भी यही कहा कि तनाव संघर्ष में नहीं तब्दील होना चाहिए. समिट इसी संकल्प के साथ ख़त्म हुआ कि दोनों देशों के बीच तनाव हाथ से न निकलें और दोस्ती बनी रहे. लेकिन जब बाइडन से प्रेस कॉन्फ़्रेंस में पूछा गया कि क्या वो अब भी शी को तानाशाह कहेंगे, जैसे उन्होंने पिछले साल कहा था, तो उन्होंने छूटते ही कहा,
“देखिए, तानाशाह तो वो हैं ही. वो इस क़ायदे से तानाशाह हैं कि चीन एक साम्यवादी देश है. चीनी सरकार, हमारी सरकार से बिल्कुल अलग है.”
ऐसा बताया जा रहा है कि अमेरिका-चीन समिट में दोनों नेताओं ने कई मुद्दों पर चर्चा की है. मसलन - द्विपक्षीय संबंध, ईरान, मध्य-पूर्व, यूक्रेन, ताइवान, इंडो-पैसिफिक जैसे क्षेत्रीय मसले. आर्थिक मसले, AI, ड्रग्स और जलवायु परिवर्तन पर भी बातें हुईं. एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने बताया कि खुली चर्चा हुई है; साफ़-साफ़ बात हुई है. न्यूज़ एजेंसी PTI की रिपोर्ट के मुताबिक़, बाइडन ने भी अपनी तरफ़ से चिंताएं बताईं और जिनपिंग ने भी अपने तर्कों के साथ जवाब दिया.
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मीटिंग के बाद चीन मान गया है कि जो भी कंपनियां अमेरिका के साथ अवैध ड्रग ट्रेड करेंगी, वो उसके ख़िलाफ़ ऐक्शन लेंगे. दोनों नेता सैन्य स्तर की वार्ता फिर से शुरू करने पर भी सहमत हुए. एक-दूसरे का फोन उठाने पर भी राज़ी हो गए. लेकिन तानाशाह कहे जाने पर शी जिनपिंग फ़ोन उठाएंगे कि नहीं, पलट कर के फ़ोन करेंगे कि नहीं, ये अभी नहीं पता है. अब डिक्टेटर कहलाना किसको पसंद है? जो होते हैं या होना चाहते हैं, उन्हें भी नहीं.
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