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JNU की VC ने तीस्ता और CJI का नाम ले क्यों कहा- "हमारे लिए रात में नहीं खुलेगा कोर्ट"?

शांतिश्री पंडित ने सुप्रीम कोर्ट पर सवाल खड़ा कर दिया. वहीं मोहन भागवत ने कम्युनिस्ट नेताओं पर निशाना साधा.

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शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित और मोहन भागवत (फोटोसोर्स- आजतक और PTI)

पुणे में 17 सितंबर को एक किताब के लॉन्च के दौरान, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) की वाइस चांसलर शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित ने देश में ‘वामपंथ के ईकोसिस्टम के प्रभाव’ को बताने के लिए तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि तीस्ता सीतलवाड़ को जमानत देने के लिए शनिवार को रात में सुप्रीम कोर्ट खोला गया, हमारे लिए ऐसा नहीं होगा. वहीं मोहन भागवत ने कम्युनिस्ट नेताओं पर निशाना साधा.

इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक, पुणे की सिम्बायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में अभिजीत जोग की मराठी में लिखी एक किताब के विमोचन का मौक़ा था. किताब का नाम- जगला पोखरनारी दावी वाल्वी (Jagala Pokharnari Dawi Valvi). हिंदी में इसका आशय है- 'वामपंथी विचारधारा जिसने दुनिया को खोखला कर दिया'. शांतिश्री पंडित और RSS प्रमुख मोहन भागवत ने भी इस किताब के विमोचन कार्यक्रम में हिस्सा लिया.

क्या कहा शांतिश्री पंडित ने?

शांतिश्री पंडित ने कार्यक्रम में अपने वक्तव्य में कहा,

“मैं कहना चाहती हूं कि राजनीतिक ताकत बनाए रखने के लिए, आपको नैरेटिव कंट्रोल की जरूरत है. वामपंथी परिवेश आज भी सक्रिय है. क्या आप जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने तीस्ता सीतलवाड़ को जमानत देने के लिए शनिवार की रात को सुप्रीम कोर्ट खोला. हमारे लिए ऐसा नहीं होगा. हमें ऐसे ईकोसिस्टम और नैरेटिव की पावर को कंट्रोल करने की जरूरत है. जब तक हम इसे हासिल नहीं कर लेंगे तब तक एक दिशाहीन जहाज की तरह रहेंगे.”

इसके बाद मोहन भागवत ने कम्युनिज्म पर निशाना साधा. उन्होंने दावा किया कि भारतीय वामपंथी केवल हिंदू धर्म या देश के खिलाफ नहीं, बल्कि पूरी मानव जाति के खिलाफ हैं. मोहन भागवत ने कहा,

"ऐसे लोगों को सच्चाई और तथ्यों की परवाह नहीं है, बल्कि ऐसे लोग केवल राजनीतिक शुद्धता और मूर्खता की परवाह करते हैं. उनकी विचारधारा में न तो मार्क्सवाद है और न ही संस्कृति."

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अभिजीत जोग की किताब के बारे में भागवत ने कहा कि ये किताब झूठ को उजागर करेगी और गलत वक्तव्यों के जरिए भ्रम पैदा करने वाले एजेंडे को तोड़ देगी.
उन्होंने कहा, 

"वो (कम्युनिस्ट) अपनी पहचान बनाने के लिए असत्य, हिंसा और अमंगल फैलाते हैं. उनकी पहचान इन्हीं झूठों पर आधारित है. लेकिन हमारा देश 'सत्यमेव जयते' वाला देश है. जो बुराई को जीतने नहीं देता."

बता दें कि 1 जुलाई, 2023 को को सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ को अंतरिम राहत दे दी थी. और गुजरात हाईकोर्ट के उस निर्णय पर रोक लगा दी थी, जिसमें तीस्ता की जमानत याचिका खारिज करते हुए उन्हें 'तत्काल सरेंडर' करने को कहा गया था. तीस्ता सीतलवाड़ पर 2002 के गोधरा कांड के बाद हुए दंगों से जुड़े मामलों में सबूत गढ़ने और गवाहों को भटकाने का आरोप है. 

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