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झारखंड: भाजपा विधायक और सांसद के समर्थकों के बीच जूतमपैजार, निशिकांत दुबे पर आरोप?

चुनाव में वोट कम क्यों हुए? इस मुद्दे पर समीक्षा के लिए बैठक आयोजित की गई थी. इसी पर बात होते-होते बिगड़ गई. बात बहस से धक्का-मुक्की तक पहुंच गई. फिर सभ्यता के नियमों ने कमरे से चुपचाप रुख़्सती ले ली.

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भाजपा की झारखंड यूनिट में कई मसले चल रहे हैं. (फ़ोटो - PTI)

झारखंड में भाजपा की समीक्षा बैठक चल रही थी. इसी दौरान देवघर से भाजपा विधायक नारायण दास और गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे के समर्थक आपस में भिड़ गए. जिस होटल में समीक्षा बैठक चल रही थी, वो 'युद्धक्षेत्र' बन गया. दोनों गुटों के बीच जमकर हाथापाई हुई. विवाद इतना बढ़ा कि केस थाने तक चला गया.

किसने पहला हाथ छोड़ा?

लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा की ओर से प्रदेश की गतिविधियों को जांचने-समझने के लिए एक समीक्षा बैठक रखी गई थी. देवघर के एक निजी होटल में. राज्यसभा सांसद आदित्य साहू और प्रदेश उपाध्यक्ष बालमुकुंद सहाय समेत गोड्डा से बहुचर्चित सांसद निशिकांत दुबे और देवघर से विधायक नारायण दास इस बैठक में आए थे.

आजतक से जुड़े शैलेंद्र मिश्रा के इनपुट्स के मुताबिक़, समीक्षा के दौरान ये बात उठी कि 2019 के चुनाव में देवघर से 75 हज़ार का लीड मिली था, तो इस बार कम क्यों हुई. इस पर विधायक नारायण दास ने तर्क दिया कि निशिकांत दुबे के समर्थन में काम हुआ है. तभी उन्हें इस बार भी 41 हज़ार का लीड मिली है.

इसी मसले पर चर्चा गर्म हो गई, और बिगड़ गई. बात बहस से धक्का-मुक्की तक पहुंच गई. फिर सभ्यता के नियमों ने कमरे से चुपचाप रुख़्सती ले ली.

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भाजपा कार्यकर्ता देवाशीष चौधरी ने बताया कि उनके साथ मारपीट की गई. महिला कार्यकर्ताओं ने गंभीर आरोप लगाए कि अगर गार्ड नहीं आता, तो वो निकल नहीं पातीं. 

होटल से निकलकर नारायण दास के समर्थकों ने देवघर के टावर चौक पर सांसद निशिकांत दुबे का पुतला फूंका. जवाब में सांसद समर्थकों ने भी विधायक नारायण दास का पुतला फूंका.

विधायक नारायण दास ने निशिकांत दुबे पर बहुत गंभीर आरोप लगाए हैं. बाहर निकलकर उन्होंने कहा,

सांसद के गुंडों ने मुझे भद्दी-भद्दी गालियां दीं. मेरे लिए जाति-सूचक शब्दों का प्रयोग किया.

इसी आरोप से जोड़ते हुए उन्होंने एक पुराना वाक़िया बताया. कहा कि एक दलित विधायक होने के नाते राजनाथ सिंह के एक कार्यक्रम में उन्हें मंच पर चढ़ने नहीं दिया था.

दूसरी तरफ़, सांसद निशिकांत दुबे ने पोस्ट कर अपनी स्थिति बताई, कि बीते 72 घंटे से वो बीमार हैं और अस्पताल में भर्ती हैं. लिहाज़ा कार्यक्रताओं का फोन तक नहीं उठा पा रहे हैं. 20 जून के बाद कार्यकर्ता से बात करेंगे. उन्होंने अपने समर्थकों से धैर्य धरने की अपील की है. अमर्यादित टिप्पणी से परहेज़ करने के लिए कहा.

सांसद का कहना है कि पार्टी उनकी मां है. उस पर किसी तरह का आंच नहीं आने देंगे.

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पार्टी में अंतरकलह के इस पूरे प्रकरण में एक घटना और हुई, जिसकी चर्चा है. दुमका से चुनाव हारने के बाद शिबू सोरेन की बहु सीता सोरेन ने पार्टी नेताओं पर ख़ूब आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि जिस पूर्व-सांसद (सुनील सोरेन) का टिकट काटकर उन्हें दिया गया, उन्होंने भले ही भाजपा के साथ मंच साझा किया. लेकिन काम विरोधी पार्टी के साथ मिलकर किया.

भाजपा विधायक रणधीर सिंह पर भी ऐसे ही आरोप लगाए थे, लेकिन उन्होंने आरोपों को निराधार बताया है. कहा कि उन्हें किसी से सर्टिफ़िकेट की जरूरत नहीं. 

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