चंद्रयान-3 मिशन (Chandrayaan-3 mission) से जुडी एक लेटेस्ट जानकारी आई है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सोमवार, 21 अगस्त को विक्रम लैंडर की ताजा तस्वीरें जारी कीं. ये तस्वीरें उस कैमरे से भेजी गई हैं, जो लैंडिंग वाली जगह का चयन करने में निर्णायक भूमिका निभाता है. इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “ये चांद के फार साइड एरिया यानी सुदूर स्थित हिस्से की तस्वीरें हैं. जो लैंडर हैजर्ड डिटेक्शन एंड अवॉइडेंस कैमरा (एलएचडीएसी) ने ली हैं. ये कैमरा चांद की सतह पर उतरते समय सुरक्षित लैंडिंग क्षेत्र का पता लगाने में मदद करता है, यानी ऐसी जगहों का पता लगाता है जहां चट्टानें या गहरी खाइयां न हों.”
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23 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर शाम 6.04 बजे चंद्रयान-3 लैंड करेगा. इसरो भारत को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला पहला देश बनाने की कोशिश कर रहा है. 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 ने उड़ान भरी थी. 40 दिनों की लंबी यात्रा के बाद चंद्रयान चंद्रमा पर उतरने की कोशिश करेगा. इसे लेकर ताजा अपडेट ये है कि 20 अगस्त की सुबह Vikram Lander (चंद्रयान-3 का लैंडर) चांद से सिर्फ 25 km दूर था.
रूस द्वारा लॉन्च किया गया Luna-25 लैंडर चांद की सतह पर क्रैश हो गया है. यानी 47 साल की तैयारी और बहुत मोटे खर्च के बाद लॉन्च किया गया ये मिशन फेल हो गया. रूसी स्पेस एजेंसी रॉसकॉसमॉस (ROSCOSMOS) ने इस बात की पुष्टि की है. उसने माना है कि उससे डेटा एनालिसिस में गलती हुई. लैंडर गलत ऑर्बिट में घुस गया था और फिर क्रैश हो गया.

रॉसकॉसमॉस ने बताया कि 19 अगस्त को रूसी समय के अनुसार लगभग दोपहर 2:57 बजे (भारतीय समयनुसार शाम 5:27 बजे) लुना-25 से संपर्क टूट गया था. एजेंसी ने लगातार संपर्क करने की कोशिश की. 20 अगस्त को भी ये प्रयास जारी रहा. पर इसका कोई नतीजा नहीं निकला. शुरूआती एनालिसिस में पाया गया है कि हमने जो रास्ता तय किया था, लैंडर उससे इतर चलने लगा और ऐसे ऑर्बिट में घुस गया था, जहां उसे नहीं जाना चाहिए था.
रॉसकॉसमॉस ने आगे बताया कि लुना-25 चांद की सतह से जा टकराया है. रूसी एजेंसी ने एक अंतर्विभागीय कमीशन का गठन किया है. ये कमीशन लुना-25 से हुए नुकसान की तहकीकात करेगा. रूस ने करीब 47 साल बाद चांद पर कोई मिशन भेजा था. लेकिन उसका पांच दशक पुराना सपना पूरा नहीं हो सका. Luna-25 को लेकर दावा किया जा रहा था कि वह Chandrayaan-3 से पहले चांद पर लैंड करेगा.
Luna-25 को 11 अगस्त की सुबह 4:40 बजे अमूर ओब्लास्ट के वोस्तोनी कॉस्मोड्रोम से लॉन्च किया गया था. इसे सोयुज 2.1बी रॉकेट से लॉन्च किया गया था. इस पूरे मिशन का नाम लूना-ग्लोब (Luna-Glob) मिशन रखा गया था. 1976 के लूना-24 मिशन के बाद चांद तक पहुंचने का ये रूस का पहला प्रयास था. लुना-25 चांद तक पहुंचा जरूर, पर क्रैश हो गया.

रूस द्वारा सार्वजनिक की गई जानकारी के मुताबिक लुना-25 लैंडर को 21 या 22 अगस्त को चांद की सतह पर उतरना था. इसका लैंडर चांद की सतह से 18 km दूर से ही लैंडिंग शुरू करता. 15 km के बाद आखिर के 3 km की ऊंचाई से पैसिव डिसेंट शुरू किया जाना था. 700 मीटर ऊंचाई से थ्रस्टर्स तेजी से ऑन होते, जिससे इसकी गति को धीमा किया जाता. आखिरी के 20 मीटर की ऊंचाई पर इंजन को धीमा कर दिया जाता, ताकि लैंडिंग आराम से हो.
लुना-25 को एक साल की तैयारी के साथ चांद पर भेजा गया था. इसका वजन 1.8 टन था. 31 kg के तो सिर्फ वैज्ञानिक यंत्र लगे थे. एक यंत्र ऐसा भी था जो चांद की सतह की 6 इंच खुदाई करके, पत्थर और मिट्टी का सैंपल जमा करता. इससे चांद पर जमे हुए पानी की खोज हो सकती थी. Luna-25 चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास मौजूद बोगुस्लावस्की क्रेटर (Boguslavsky Crater) के पास उतरने वाला था.
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