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इज़रायल ने UN के लोगों पर हमला किया, भारत को भी बयान जारी करना पड़ा

फ़्रांस और इटली समेत कई देशों ने नाराज़गी जताई है. इटली ने इज़रायल के राजदूत को समन भेजा है.

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UN की पीस-कीपिंग फ़ोर्स 1978 से ही साउथ लेबनान में है.

लेबनान में UN पीस-कीपर्स पर हमले का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. फ़्रांस और इटली समेत कई देशों ने नाराज़गी जताई है. इटली ने इज़रायल के राजदूत को समन भेजा है. भारत ने भी बयान जारी किया है. विदेश मंत्रालय ने लिखा, “हम स्थिति पर नज़र बनाए हुए हैं. पीसकीपर्स की सुरक्षा के लिए ज़रूरी क़दम उठाए जाने चाहिए.”

बवाल की वजह क्या है?

संयुक्त राष्ट्र की एक एजेंसी है, पीस-कीपर्स. अलग-अलग देशों के सैनिक, पुलिस और नागरिक कर्मी, जो दुनिया भर के संघर्ष क्षेत्रों में शांति बनाए रखने के इरादे से काम करते हैं. उनका काम हिंसा रोकना, नागरिकों की रक्षा करना और शांति प्रयासों के राजनीतिक क़दमों का समर्थन करना होता है.

अब गुरुवार, 10 अक्टूबर को इज़रायल ने ब्लू लाइन के पास पीस-कीपर्स के एक टावर पर टैंक से हमला किया था. इसमें इंडोनेशिया के दो सैनिक घायल हो गए. 

ब्लू लाइन, लेबनान और इज़रायल और गोलन हाइट्स के बीच की अस्थाई सीमा रेखा है. गोलन हाइट्स, इज़रायल के उत्तर-पूर्व में है. ये कभी सीरिया का हिस्सा हुआ करता था. 1967 की जंग में इज़रायल ने इस पर क़ब्ज़ा कर लिया था. फिर उसको नहीं छोड़ा. इंटरनैशनल कम्युनिटी इस क़ब्ज़े को अवैध बताती है. 

ब्लू लाइन क्या है? 2000 के बरस में खींची गई थी, जब इज़रायल ने 18 बरस बाद साउथ लेबनान से अपनी सेना निकाली थी. इस लाइन का मक़सद ये देखना था कि इज़रायल पीछे हटा या नहीं.

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वैसे तो यूएन की पीसकीपिंग फ़ोर्स 1978 से ही साउथ लेबनान में है. 2006 से उनका फ़ोकस इज़रायल और हिज़्बुल्लाह के बीच होने वाले संघर्ष पर रहा है. 2006 में दोनों के बीच 34 दिन लंबी जंग हुई थी. फिर संघर्ष विराम समझौता कराया गया. उसके बाद इज़रायल वापस लौटा था.

18 बरस बाद उसने फिर से साउथ लेबनान में ज़मीनी हमला शुरू किया है. UN का कहना है कि इज़रायल के हमले के चलते पीसकीपर्स अपना काम नहीं कर पा रहे हैं. इज़रायल के हमले के बाद स्थिति और चिंताजनक हो गई है.

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