The Lallantop

इजरायल पर हमला करने वाला हमास का मास्टरमाइंड, जो कभी सामने नहीं आता

7 अक्टूबर को हमास के हमले के दिन भी उसका वीडियो आया, लेकिन बिल्कुल अंधेरे से रिकॉर्ड किया हुआ.

post-main-image
हमास की मिलिट्री विंग का कमांडर है हमले का मास्टरमाइंड (फोटो- रॉयटर्स)

7 अक्टूबर की सुबह गाजा पट्टी से हमास ने जिस तरीके से इजरायल पर हमला किया, उसने इजरायल के साथ-साथ पूरी दुनिया को चौंका दिया. किसी को इस तरह के अचानक हुए इस बड़े हमले की उम्मीद नहीं थी. इस हमले में अब तक 700 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं इजरायल की जवाबी कार्रवाई में गाजा पट्टी में करीब 500 लोग मारे गए हैं. इस अप्रत्याशित हमले के बाद दशकों से चला आ रहा विवाद और गहराता दिख रहा है. इस हमले का मास्टरमाइंड मोहम्मद देईफ को बताया जा रहा है. देईफ फिलिस्तीन चरमपंथी समूह हमास की मिलिट्री विंग का कमांडर है. उसके बारे में बहुत कम जानकारी सार्वजनिक रूप से मौजूद है. लेकिन हमले के बाद उसका एक वीडियो सामने आया, हालांकि इसमें भी वो दिख नहीं रहा है.

ब्रिटिश अखबार फायनेंशियल टाइम्स के रिपोर्टर मेहुल श्रीवास्तव ने मोहम्मद देईफ के बारे में एक रिपोर्ट की है. रिपोर्ट के मुताबिक इस वीडियो में देईफ कहता है, 

"हमारे लोगों के खिलाफ लगातार अपराध हो रहा है, जबरन कब्जा किया हुआ है और अंतरराष्ट्रीय कानूनों और प्रस्तावों को खारिज किया जा रहा है, अमेरिका और पश्चिम देश इसका समर्थन कर रहे हैं, ये सब देखते हुए हमने इन सबको खत्म करने का फैसला लिया है. ताकि दुश्मन (इजरायल) को समझ में आए कि उसे बिना जिम्मेदार ठहराए, वो अब ये सब नहीं कर सकता."

जब देईफ का मैसेज ब्रॉडकास्ट हो रहा था, तभी सैकड़ों हमास चरमपंथी इजरायली सीमा में घुस रहे थे. हमास ने करीब 100 इजरायली नागरिकों को बंधक बना लिया. हमास ने इन सबका वीडियो भी अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर किया.

देईफ को "गेस्ट" भी कहा जाता है. उसके लिए ये अब तक का सबसे बड़ा घातक हमला था. "गेस्ट" टर्म का इस्तेमाल उन 'फिलिस्तीनी लड़ाकों' के लिए किया जाता है, जो अलग-अलग समर्थकों के घर हर रोज रात बिताते हैं. ताकि इजरायली इंटेलिजेंस उनके आसपास न फटके. इजरायल को देईफ की तलाश सालों से है. 20 साल पहले वो एक एयर स्ट्राइक में मरने की स्थिति में पहुंच गया था. एक पैर और एक हाथ गंवाने के बाद वो कथित रूप से व्हीलचेयर पर चला गया. इजरायल के खिलाफ लड़ाई में देईफ की क्षमता ने उसे फिलिस्तीन लड़ाकों के बीच हीरो बना दिया.

ये भी पढ़ें- इज़रायल पर रॉकेट दागने वाले इस्लामिस्ट चरमपंथी समूह 'हमास' की पूरी कहानी

गाजा की अल-अजहर यूनिवर्सिटी में राजनीति के प्रोफेसर खैमर अबु सदा ने फायनेंशियल टाइम्स को बताया कि सिर्फ अभी नहीं, काफी पहले से देईफ हमास के भीतर और फिलिस्तीनियों के बीच भी काफी सम्मानित लीडर जैसा है. अब इस हमले के बाद युवाओं के बीच "भगवान" जैसा बन जाएगा.

रिपोर्ट में लिखा है कि इजरायली और फिलिस्तीनी एक्सपर्ट देईफ को एक शांत लेकिन अपने लक्ष्य को लेकर उग्र व्यक्ति मानते हैं. जिसे अलग-अलग फिलिस्तीनी गुटों के बीच के झगड़े से ज्यादा मतलब नहीं है. इजरायल-अरब संघर्ष को लेकर उसका स्टैंड बहुत ही फोकस्ड है, वो है हिंसा के सहारे लक्ष्य को हासिल करना. कई साल पहले देईफ से मिल चुके एक राजनेता (पहले फिलिस्तीनी लड़ाके) ने अखबार को बताया, 

"वो कहता है कि आपको इजरायलियों से इजरायल के भीतर लड़ना चाहिए और उन्हें जो लगता है कि वो कब्जे वाली जमीन पर सुरक्षित रह सकते हैं, इस मुगालते को नष्ट कर देना चाहिए."

देईफ उन लोगों में भी है जो 1990 के दशक में हुए 'ओस्लो शांति समझौतों' को धोखा मानता है. 1993 के इस समझौते में दो चीजें हुई थीं- पहला, फ़िलिस्तीनी नेतृत्व की ओर से इज़रायल को मान्यता दे दी गई. दूसरा, गाज़ा और वेस्ट बैंक में स्व-शासन के लिए फिलिस्तीनियों की अंतरिम सरकार पर समझौता. इस समझौते पर फिलिस्तीनी लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन ने साइन किया था. फिर 1994 में ओस्लो समझौते हुए. इसके मुताबिक़, गाजा और वेस्ट बैंक के प्रशासन के लिए PA यानी 'फिलिस्तीनियन अथॉरिटी' का गठन हुआ. लेकिन हमास इन समझौतों का विरोध करता रहा.

ये भी पढ़ें- अल-अक्सा मस्जिद का इतिहास क्या है?

देईफ का जन्म 1960 के दशक में एक रिफ्यूजी कैंप में हुआ था. उसके बैकग्राउंड के बारे में बहुत कम जानकारी पब्लिक डोमेन में है. सिर्फ एक तस्वीर दुनिया के सामने उपलब्ध है. देईफ के साथ जेल में रह चुके हमास के एक पोलित ब्यूरो मेंबर गाजी हमाद ने अखबार को बताया कि शुरुआत से ही उसका लक्ष्य मिलिट्री अटैक का था. हमाद उसे काफी "दयालु" बताते हैं, जो हमेशा कार्टून बनाता रहता था.

इजरायल कई आत्मघाती हमलों के लिए देईफ को जिम्मेदार ठहरा चुका है. इसमें 1996 का आत्मघाती हमला भी शामिल है, जिसमें 50 से ज्यादा नागरिक मारे गए थे.

वीडियो: अपने ही नागरिकों की हत्या पर क्यों मजबूर हुआ हमास?