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हमास ने इजरायल पर हमले के लिए किस बात का फायदा उठाया, नेतन्याहू कैसे चूके, एक्सपर्ट ने बताया

हमास के हमले के बाद शुरू हुआ ये संघर्ष क्या इजरायल से बाहर भी बढ़ेगा?

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इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने क्या गलती की? (फोटो- रॉयटर्स)

इजरायल पर चरमपंथी समूह हमास के हमले और फिर इजरायल की गाजा पर जवाबी कार्रवाई में अब तक 1500 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. जवाबी कार्रवाई के तौर पर इजरायल गाजा पट्टी पर लगातार एयर स्ट्राइक कर रहा है. साथ ही उसने गाजा में पूरी तरह से बिजली, पानी, खाने और इमरजेंसी सप्लाई को रोक दिया. इन सबके बीच एक बड़ा सवाल उठ रहा है कि हमास इजरायल पर इतना बड़ा हमला कैसे कर पाया?  अंतरराष्ट्रीय मामलों के कई जानकार इसे अब तक का सबसे बड़ा और अप्रत्याशित हमला बता रहे हैं. और इस हमले के बाद शुरू हुआ ये संघर्ष क्या इजरायल से बाहर भी बढ़ेगा?

इंडिया टुडे से बातचीत में अमेरिकी पॉलिटिकल साइंटिस्ट इयान ब्रेमर ने बताया कि इजरायल की न सिर्फ खुफिया एजेंसी मजबूत है बल्कि कब्जे वाले इलाकों में उसकी स्थिति और बॉर्डर सिक्योरिटी बेस्ट मानी जाती है. लेकिन पिछले 6 महीनों से इजरायल अपने संवैधानिक संकट के कारण इस पर ध्यान नहीं दे रहा था. ज्यूडिशियल रिफॉर्म के कारण आंतरिक कलह ज्यादा बढ़ गई थी. इजरायली डिफेंस फोर्सेज (IDF) के कई सदस्यों ने कह दिया था कि अगर ज्यूडिशियल रिफॉर्म लागू हुआ तो वे सर्विस में नहीं रहेंगे.

ब्रेमर पॉलिटिकल रिस्क रिसर्च और कंसल्टेंसी फर्म 'यूरेशिया ग्रुप' के फाउंडर हैं. उन्होंने बताया कि इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भी पिछले कुछ समय से वेस्ट बैंक में विस्तार पर ज्यादा ध्यान दे रहे थे. ब्रेमर के मुताबिक, 

"इजरायली डिफेंस फोर्सेज के कई बटालियन वेस्ट बैंक और उसके आसपास के इलाकों में भेजे गए थे. ताकि वहां इजरायली कब्जे की कोशिश को सुरक्षा सुनिश्चित हो. क्योंकि वहां भी इजरायल को फिलिस्तीन के विरोध और हिंसक प्रदर्शनों से निपटना पड़ रहा था. इसलिए गाजा और हमास पर उसका ध्यान बहुत कम था. यहां तक कि हमले के कुछ दिन पहले तक इजरायल को भरोसा था कि युद्ध की कोई योजना नहीं बन रही है. ये उनकी प्राथमिकता से हटा हुआ था."

इयान ब्रेमर की माने तो ये सब मिलाकर हमास को काफी समय मिला. हमास उग्रवादियों ने असाधारण तरीके से ट्रेनिंग ली. ब्रेमर के मुताबिक, जो हुआ उसकी प्लानिंग निश्चित रूप से कई महीनों से नहीं, बल्कि सालों से चल रही होगी.

वेस्ट बैंक इजरायल की पूर्वी सीमा पर बसा है. यहां करीब 30 लाख फिलिस्तीनी रहते हैं. 1967 युद्ध के दौरान इजरायल ने इस इलाके पर कब्जा कर लिया था. तब से उसने वेस्ट बैंक में लाखों इजरायली नागरिकों को बसाया है. जबरन कब्जे के आधार पर बस्तियां बसाकर. इसके जरिए पूरे वेस्ट बैंक पर कब्जा करने की कोशिश चल रही है.

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ब्रेमर के मुताबिक, ये साफ है...इजरायली सरकार मानकर चलती है कि उसके लिए फिलिस्तीन का मुद्दा उनके लिए मायने नहीं रखता है. इसलिए कोई भी दो राष्ट्र के समाधान पर बात नहीं कर रहा था, कोई समझौते पर ध्यान नहीं दे रहा था. नेतन्याहू और उनके दक्षिणपंथी गठबंधन सहयोगी भी मान रहे थे कि फिलिस्तीनी अब उनके लिए खतरा नहीं हैं. इसलिए वे और अधिक क्षेत्रों पर कब्जा कर सकते हैं और वेस्ट बैंक में इजरायली आबादी बढ़ा सकते हैं.

ब्रेमर ने इंडिया टुडे को आगे बताया, 

"इन सबके बीच फिलिस्तीनियों की स्थिति खासकर गाजा में बद से बदतर हो रही थी. 50 फीसदी से ज्यादा आबादी गरीबी में है. 70 फीसदी लोगों के पास पीने का साफ पानी तक नहीं है. इन सब माहौल में इजरायल को अपने बॉर्डर और इंटेलिजेंस पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत थी. लेकिन देश अपने घरेलू संकट में फंसा था. इसलिए अब नेतन्याहू को लेकर भी सवाल उठेंगे."

इस मामले में कई अरब देश खुलकर फिलिस्तीन के समर्थन में आए हैं. वहीं अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देश इजरायल के साथ खड़े हैं. क्या अब ये मामला इजरायल और फिलिस्तीन से आगे बढ़ जाएगा? इस पर ब्रेमर ने कहा कि ईरान हमास के साथ खड़ा है. लेकिन उसने इस हमले में अपनी भागीदारी से इनकार किया. ब्रेमर के मुताबिक, ईरान हमास को मिलिट्री सपोर्ट भी करता रहा है. लेकिन अभी अमेरिका ने भी कहा कि हमले में ईरान के सहयोग लेकर कोई पुख्ता सबूत नहीं हैं. ऐसा नहीं लगता है कि अभी ये मामला इजरायल से आगे बढ़ेगा.

गाजा पट्टी में करीब 23 लाख लोग रहते हैं. 41 किलोमीटर लंबे और 10 किलोमीटर चौड़े वाले इस इलाके को दुनिया का सबसे सघन आबादी वाला इलाका माना जाता है. इजरायल के ब्लॉकेड के बाद गाजा पट्टी में मानवीय संकट का खतरा मंडरा रहा है.

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