इजरायल के ईरान पर किए गए हमले को लेकर कई अपडेट आ रहे हैं. इस बीच, जानकारी सामने आई है कि इस हमले में इजरायल के 100 से ज्यादा लड़ाकू विमान शामिल थे. बताया गया कि इनमें F-35 लड़ाकू विमान भी शामिल थे. ये F-35 लगभग 2,000 किलोमीटर की दूरी तय कर ईरान की धरती के पास पहुंचे और हमले किए. वहीं, ईरान की तरफ़ से भी इस हमले की पुष्टि की गई है.
ईरान पर 100 विमानों से हुआ अटैक, पर इजरायल ने उसके परमाणु सेंटर को क्यों छोड़ दिया? खुद बताया
Israel ने जिन 100 विमानों का इस्तेमाल किया, उनमें F-35 भी शामिल थे. IDF ने कहा कि हमले का फोकस सिर्फ़ सैन्य ठिकानों की तरफ़ था.
बताया गया कि इन हमलों का मकसद ईरान की क्षमताओं को नुकसान पहुंचाना था. IDF ने भी पुष्टि की है कि हमले का फोकस सिर्फ़ सैन्य ठिकानों की तरफ था. व्यापक संघर्ष ना हो, इसके लिए परमाणु केंद्र और तेल टैकों से दूरी बनाकर रखी गई थी. यरुशलम पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, बड़े पैमाने पर हुए इस हमले में 100 से ज़्यादा विमान शामिल थे. इनमें F-35 फाइटर जेट भी शामिल थे और इसने लगभग 2,000 किलोमीटर की दूरी तय की.
इजरायल में हाई अलर्ट जारी है. क्योंकि उसे सिर्फ़ ईरान से ही नहीं, बल्कि अन्य देशों से भी संभावित जवाबी कार्रवाई की आशंका है. IDF अब ईरान, इराक, यमन, सीरिया और लेबनान की संभावित प्रतिक्रियाओं पर बारीकी से नजर रख रहा है. यरुशलम पोस्ट ने सीनियर इजरायली अधिकारियों के हवाले से बताया कि हमले को लेकर बीती रात, 25 अक्टूबर को सुरक्षा कैबिनेट ने एक फ़ोन कॉन्फ़्रेंस पर बातचीत भी की थी. रक्षा मंत्री योआव गैलेंट और चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ लेफ्टिनेंट जनरल हर्ज़ी हलेवी तेल अवीव में एक बेस पर तैनात हैं.
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वहीं, इसे लेकर अमेरिका से भी प्रतिक्रिया आई है. अमेरिका की तरफ़ से कहा गया है,
ईरानी सैन्य ठिकानों पर इजरायल के हमले उसके आत्मरक्षा के अधिकार के अनुरूप हैं और 1 अक्टूबर को ईरानी मिसाइल हमले का जवाब देते हैं.
अमेरिकी अधिकारियों ने पुष्टि की है कि इजरायल ने ऑपरेशन से कुछ घंटे पहले घटना की जानकारी दी थी. हालांकि, अमेरिका ने दोनों देशों के बीच की लड़ाई को ख़त्म करने पर भी जोर दिया. अमेरिका ने ये भी स्पष्ट किया है कि हमलों में उसकी कोई भागीदारी नहीं है.
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