बांग्लादेश ने कथित तौर पर ISKCON के 60 से ज्यादा सदस्यों को भारत आने से रोका है. कोलकाता में ISKCON के प्रवक्ता ने ये आरोप लगाया है. कोलकाता ISKCON के उपाध्यक्ष राधारमण दास का कहना है कि बांग्लादेश ISKCON के 63 सदस्यों के पास वैध वीजा और पासपोर्ट था, इसके बावजूद उन्हें बॉर्डर पार कर भारत नहीं आने दिया गया. बांग्लादेश सरकार ने आधिकारिक रूप से ISKCON के इन आरोपों पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
बांग्लादेश ने ISKCON के 63 संतों को भारत आने से क्यों रोका?
ISKCON के प्रवक्ता ने आरोप लगाया है कि ISKCON के 63 से ज्यादा सदस्यों को भारत आने से रोका गया है. जबकि सभी सदस्यों के पास वैध वीजा और पासपोर्ट था.
रविवार, एक दिसंबर को राधारमण दास ने ‘X’ पर पोस्ट किया,
“बांग्लादेश ने 63 ISKCON ब्रह्मचारियों को भारत में प्रवेश करने से रोक दिया है. उनके पास सभी वैध भारतीय वीज़ा और दूसरे डॉक्यूमेंट्स थे. लेकिन बांग्लादेशी सीमा पुलिस ने कहा कि बांग्लादेशी खुफिया विभाग ने उन्हें भारत में एंट्री ना देने के लिए कहा है. उन्होंने पहले ही हमारे 4 ब्रह्मचारियों को गिरफ़्तार कर लिया है और अब अन्य ब्रह्मचारियों को भारत की यात्रा करने की अनुमति नहीं दे रहे हैं.”
राधारमण दास ने कहा कि अल्पसंख्यकों, साधु-संतों और ब्रह्मचारियों पर लगातार हो रहे 'अत्याचारों' के बाद से वे सभी डरे हुए हैं और दहशत में हैं. उनमें से कुछ के पास वीजा था और वे भारत आना चाहते थे.
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वहीं बांग्लादेश के अधिकारियों का कहना है कि उन्हें इन लोगों को सीमा पार जाने देने की अनुमति नहीं दी गई थी. आजतक की खबर के मुताबिक, 54 सदस्य शनिवार को और 9 सदस्य रविवार को बांग्लादेश से भारत रवाना होने के लिए बेनापोल बंदरगाह पहुंचे थे, लेकिन उन्हें वापस लौटा दिया गया. बेनापोल इमिग्रेशन पुलिस के प्रभारी इम्तियाज अहसानुल कादर भुइयां ने एक बांग्लादेशी अखबार को बताया,
“हमने पुलिस की स्पेशल ब्रांच से बात की और पूछा कि इन लोगों को सीमा पार करने दिया जाए या नहीं. लेकिन हमें परमिशन नहीं दी गई."
इम्तियाज ने आगे बताया कि यात्रा के लिए उनके पास स्पेशल सरकारी परमिशन नहीं होने की वजह से उन्हें वापस लौटा दिया गया.
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