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न्यूक्लियर डील पर आखिरकार मिले ईरान और अमेरिका, ये देश लाया दोनों को साथ

Iran-US Nuclear Deal: ईरान और अमेरिका ने ओमान में परमाणु कार्यक्रम को लेकर पहली वार्ता की. इस बातचीत अगला दौर 19 अप्रैल को होगा. Donald Trump के सत्ता में आने के बाद ईरान और अमेरिका के बीच यह न्यूक्लियर प्रोग्राम पर पहली बातचीत है.

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अमेरिका-ईरान के बीच न्यूक्लियर प्रोग्राम पर बात हुई. (X)

ईरान और अमेरिका के बीच लंबे समय बाद न्यूक्लियर डील पर आमने-सामने चर्चा हुई. शनिवार, 12 अप्रैल को तेहरान और वाशिंगटन ने ओमान की राजधानी मस्कट में बात की. ईरान के सरकारी टेलीविजन ने जानकारी दी कि दोनों पक्षों के बीच पहले दौर की बातचीत हुई. दोनों देशों के बीच बातचीत का अगला दौर 19 अप्रैल को तय किया गया है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के सत्ता में वापस आने के बाद न्यूक्लियर प्रोग्राम पर अमेरिका और ईरान के बीच पहली बार बात हुई है. एपी की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी अधिकारियों की तरफ से अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. बराक ओबामा प्रशासन के बाद दोनों देशों ने पहली बार न्यूक्लियर डील पर इस तरह चर्चा की है.

हालांकि, ईरान की सरकारी टीवी ने दावा किया कि ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराक़ची और अमेरिका के मिडिल-ईस्ट मामलों के दूत स्टीव विटकॉफ़ के बीच बात हुई है. अराक़ची ने बातचीत को "संक्षिप्त, शिष्टाचारपूर्ण और प्रारंभिक" बताया, जिससे यह संकेत मिलता है कि बातचीत आगे बढ़ने की संभावना है.

यह मुलाकात दो घंटे से कुछ ज्यादा समय तक चली. बातचीत के लिए मस्कट के बाहरी इलाके में मौजूद एक कॉम्प्लैक्स को चुना गया, जहां अमेरिकी और ईरानी डेलिगेशन पहुंचा. अमेरिकी काफिला बाद में मस्कट में अमेरिकी दूतावास के इलाके में देखा गया.

इससे पहले ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बाघेई ने एक्स पर जानकारी दी थी,

विदेश मंत्री डॉ. अराक़ची और मध्य पूर्व के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति के विशेष प्रतिनिधि स्टीव विटकॉफ के बीच अप्रत्यक्ष वार्ता ओमानी विदेश मंत्री बद्र अल-बुसैदी की मध्यस्थता से शुरू हुई.

बातचीत में चार राउंड के मैसेज का आदान-प्रदान हुआ. अमेरिकी दूत विटकॉफ़ ने पहले साफ किया था कि अमेरिका का मुख्य उद्देश्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह खत्म करना है और वो 'हथियारकरण' की किसी भी संभावना को बर्दाश्त नहीं करेगा.

वहीं, ईरान अपने अधिकारों पर अडिग है और अपने यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम को पूरी तरह बंद करने को तैयार नहीं है. ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई पहले ही कह चुके हैं कि अमेरिका पर पूरी तरह भरोसा नहीं किया जा सकता, जैसा कि लीबिया के साथ हुआ था.

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