अब ईरान के राष्ट्रपति ने भी खुले तौर पर हमास को सपोर्ट (Iran Supports Hamas Attack) कर दिया है. इब्राहिम रायसी ने 8 अक्टूबर को कहा कि ईरान फिलिस्तीनियों के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन करता है. इतना ही नहीं उन्होंने इजरायल पर हमास के हमले को उसकी 'जीत' करार दिया और इसके लिए फिलिस्तीनियों को बधाई भी दी.
'फिलिस्तीनी जीते', हमास को सपोर्ट दे ईरानी राष्ट्रपति ने मुस्लिम देशों से क्या करने को कह दिया?
ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने हमास को लेकर मुस्लिम मुल्कों से बड़ी अपील की है. उन्होंने फिलिस्तीन पर कहा क्या है?

ईरान की समाचार एजेंसी IRNA के मुताबिक, राष्ट्रपति रायसी ने कहा कि राष्ट्रों की सुरक्षा को खतरे में डालने के लिए इजराइल और उसके समर्थक जिम्मेदार हैं और उन्हें इस मामले में जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए. उन्होंने मुस्लिम देशों की सरकारों से 'फिलिस्तीनी राष्ट्र का समर्थन' करने का आग्रह किया. इसके साथ ही हमास, फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद (पीआईजे), सीरिया, लेबनान और इराक के प्रयासों की तारीफ की. तेहरान में एक कैबिनेट बैठक के दौरान रायसी ने कहा कि ये हमला 'प्रतिरोध की अभिव्यक्ति' था.
खबर है कि रायसी ने 8 अक्टूबर को हमास और पीआईजे के नेताओं से भी बात की. उन्होंने पीआईजे के महासचिव जियाद अल-नखला और हमास प्रमुख इस्माइल हनीयेह के साथ फोन कॉल में फिलिस्तीन के घटनाक्रम पर चर्चा की.
इससे पहले हमास के प्रवक्ता गाजी हमद ने कहा कि उन्हें हमले के लिए ईरान की तरफ से सीधा समर्थन मिला था. आगे कहा कि ईरान का समर्थन मिलना उनके लिए गर्व की बात है. वो बोले कि हमास को कई और देशों का भी सपोर्ट मिला था, लेकिन वो इस बारे में ज्यादा विस्तार से नहीं बताना चाहते.
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ईरान के विदेश मंत्रालय ने हमास के हमले को फिलिस्तीनियों का ‘सेल्फ डिफेंस एक्ट’ बताया था. यानी आत्मरक्षा में उठाया गया कदम. ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता कनानी ने कहा कि ये ऑपरेशन सत्ता हथियाने वाले शासन के चरमपंथियों के खिलाफ फिलिस्तीनियों की स्वाभाविक प्रतिक्रिया थी.
इससे पहले ईरानी नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के वरिष्ठ सलाहकार ने भी इजरायल पर हमास के हमले को सपोर्ट किया था और इसे 'गौरवपूर्ण ऑपरेशन' करार दिया था.
ईरान के अलावा इराक, कतर, सीरिया, सऊदी अरब जैसे देशों ने भी हमास के हमले के लिए इजरायल को ही जिम्मेदार ठहराया. कहा कि हमास का ये ऑपरेशन कई सालों से हो रहे व्यवस्थित उत्पीड़न और अधिकारों के हनन का परिणाम है.