"BSF के डायरेक्टर जनरल राकेश अस्थाना को दिल्ली का पुलिस कमिश्नर नियुक्त किया जाता है. सक्षम प्राधिकारी ने ITBP के डायरेक्टर जनरल एसएस देसवाल को BSF के डायरेक्टर जनरल पद का अतिरिक्त कार्यभार देने की स्वीकृति दी है. वे इस पद के लिए योग्य अधिकारी के मिलने या अगले आदेश तक ये पदभार संभालेंगे. राकेश अस्थाना को तुरंत रिलीव करने का अनुरोध किया जाता है ताकि वे दिल्ली पुलिस कमिश्नर के रूप में जॉइन कर सकें."कौन हैं राकेश अस्थाना? 1984 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. गृह मंत्रालय का आदेश आने से पहले राकेश अस्थान सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ के डीजी और एनसीबी (नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो) के चीफ के पद पर नियुक्त थे. राकेश अस्थाना धनबाद में सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा के एसपी रह चुके हैं. रांची में वे डीआईजी भी रहे. 1994 में उन्होंने सनसनीखेज पुरुलिया आर्म्स ड्रॉप केस की फील्ड इंवेस्टिगेशन सुपरवाइज की थी. इसके बाद उन्हें बिहार के चर्चित चारा घोटाले की जांच सौंपी गई थी. तब उन्होंने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव को गिरफ्तार कर लिया था. अस्थाना ने ही धनबाद में डीजीएमएस के महानिदेशक को घूस लेते पकड़ा था.

राकेश अस्थाना.
राकेश अस्थाना ने गोधरा कांड की भी जांच की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर आरके राघवन की अगुआई में गठित हुई SIT ने भी सही माना था. अहमदाबाद में 26 जुलाई, 2008 को हुए बम ब्लास्ट की जांच का जिम्मा राकेश को ही दिया गया था. बताया जाता है कि राकेश अस्थाना ने 22 दिनों में ही केस को सुलझा दिया था. विवादों से भी रहा है नाता राकेश अस्थाना देश के सबसे चर्चित आईपीएस अधिकारियों में से एक हैं. कई चर्चित मामलों में उनकी भूमिका या उनका नाम मीडिया में सुर्खियां बने हैं. बता दें कि राकेश अस्थाना वही अधिकारी हैं जिनकी निगरानी में सुशांत सिंह-रिया चक्रवर्ती ड्रग्स कनेक्शन मामले में दो एफआईआर दर्ज की गई थी.
बीएसएफ का डीजी बनाए जाने से पहले राकेश अस्थाना सीबीआई में स्पेशल डायरेक्टर भी रह चुके हैं. उनके इस पद पर रहते तत्कालीन सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा ने उनके खिलाफ कथित रूप से रिश्वत लेने के आरोप में मामला दर्ज किया था. वहीं, अस्थाना ने भी आलोक वर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए. देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी के शीर्ष अधिकारियों के बीच पैदा हुए विवाद को खत्म करने के लिए केंद्र सरकार ने दोनों अधिकारियों को अलग-अलग विभागों में भेज दिया था. बाद में आलोक वर्मा ने अपनी सेवा से इस्तीफा दे दिया. वहीं, राकेश अस्थाना बीएसएफ के डीजी बनाए गए.
सीबीआई में आने से पहले राकेश अस्थाना गुजरात में सूरत के कमिश्नर रहे. उन्होंने आसाराम मामले में एक महत्वपूर्ण जांच अपनी निगरानी में शुरू की थी, जिसमें आसाराम और उसके बेटे नारायण साईं की गिरफ्तारी भी की गई थी. इसके अलावा राकेश अस्थाना ने दिल्ली, मुंबई और देश के कई राज्यों में नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की कमान संभालते हुए कई बड़े ड्रग्स ऑपरेशन किए हैं. रिटायर्मेंट से ठीक पहले मिला एक्सटेंशन राकेश अस्थाना 31 जुलाई को रिटायर होने वाले थे. लेकिन उससे पहले ही सरकार ने उन्हें एक साल का एक्सटेंशन देते हुए दिल्ली का पुलिस आयुक्त बना दिया है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, अस्थाना की नियुक्ति को 'स्पेशल केस' मानते हुए 'जनहित में' उनका सेवाकाल एक साल के लिए बढ़ाया गया है.
वहीं, एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि अस्थाना की नियुक्ति को लेकर दिल्ली पुलिस में बेचैनी है. उनका कहना है कि दिल्ली पुलिस विभाग में अस्थाना को 'बाहरी' के रूप में देखा जाता है. वहीं, कुछ पुलिस अधिकारियों ने ये कहकर भी अस्थाना की नियुक्ति पर सवाल उठाया है कि मौजूदा पुलिस कमिश्नर बालाजी श्रीवास्तव को ये पदभार संभाले एक महीना भी मुश्किल से हुआ है.

गृह मंत्री अमित शाह (बाएं) के साथ राकेश अस्थाना. (तस्वीरी- पीटीआई)
गौरतलब है कि राकेश अस्थाना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का करीबी माना जाता है. मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के समय से ही अस्थाना उनके और अमित शाह के खास पुलिस अधिकारियों में गिने जाते रहे हैं. मोदी सरकार ने जब राकेश अस्थाना को सीबीआई का स्पेशल डायरेक्टर बनाया था तो तत्कालीन सीबीआई चीफ आलोक वर्मा ने इसका विरोध किया था. बाद में दोनों के बीच की तनातनी खुलकर सामने आ गई थी. अब देखना होगा कि राकेश अस्थाना को दिल्ली पुलिस कमिश्नर बनाए जाने के बाद क्या कोई नया विवाद पैदा होगा.