तब महाराजगंज के एसपी थे जसवीर सिंह. जसवीर ने मामले में कार्रवाई करते हुए सांसद योगी आदित्यनाथ पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून( रासुका) के तहत कार्रवाई शुरू कर दी. उस वक्त केंद्र में थी अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार तो यूपी में बीजेपी के ही सहयोग से राज कर रही थीं मायावती. जसवीर पर प्रेशर आया कि ये क्या कर दिया. उनको रासुका हटाने को कहा गया. पर जसवीर नहीं माने. दो दिन बाद जसवीर का ट्रांसफर फूड सेल में कर दिया गया.
ये प्रेशर और दो दिन बाद ट्रांसफर करने वाली बात आईपीएस जसवीर सिंह ने 30 जनवरी 2019 को हफिंग्टन पोस्ट को इंटरव्यू देते हुए कह दी. वो ये भूल गए कि तब तो योगी सिर्फ सांसद थे. मगर अब मुख्यमंत्री हैं. नतीजा सिर्फ ट्रांसफर नहीं होगा. निलंबन होगा. जी हां, इस वक्त एडीजी रूल्स ऐंड मैनुअल्स के पद पर तैनात जसवीर सिंह को यूपी सरकार ने निलंबित कर दिया है. कार्रवाई का कारण जो हमने बताया. निजी वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में सरकार विरोधी बयान देना और सरकार की नीतियों के खिलाफ बोलना है. इसके अलावा कहा जा रहा है कि जब उनसे इस इंटरव्यू के बारे में जवाब मांगा गया तो जसवीर चार फरवरी से बिना किसी की अनुमति के छुट्टी पर चले गए. और ये दोनों बातें सर्विस कंडक्ट रूल्स के खिलाफ हैं. जसवीर सिंह के निलंबन क ये कार्रवाई 14 फरवरी को ही हो गई थी. उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने इसकी पुष्टि की है.
35 दिन से ज्यादा किसी जिले में टिके नहीं जसवीर
जसवीर सिंह 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. मूलतः पंजाब के होशियारपुर के रहने वाले हैं. पिता सेना में थे. तो बचपन से ही अनुशासन का पाठ मिला. उसी का असर उनकी नौकरी में दिखता है. 26 साल के उनके करियर पर कोई भ्रष्टाचार का दाग नहीं है. मिजाज भी हटी रहा है. किसी भी हालत में नियम कानून से समझौता नहीं. इसीलिए नौकरी की शुरुआत से ही उनका हर सरकार से पंगा रहा है. तभी तो उन्हें जिलों की तैनाती मुश्किल से छह महीने के लिए ही मिली और 35 दिन से ज्यादा किसी जिले में वह टिके नहीं.

आईपीएस जसवीर सिंह कहीं भी ज्यादा दिन नहीं टिक पाते.
अपने इस मिजाज पर जसवीर ने कुछ साल पहले दिल्ली में एक ऐंटी करप्शन कार्यक्रम में बात की थी. बोले थे कि उनके यह संस्कार उनके पिताजी की वजह से हैं, जो सेना में हवलदार थे. उनके मुताबिक, पिता ने कहा था -
बेटा गोली खा लेना पर रिश्वत न खाना.इसी वजह से वह तमाम लोगों के समझाने के बावजूद व्यवस्था में चलने का मध्यममार्गी रवैया अख्तियार नहीं कर पाए. उनका कहना है कि पुलिस महकमे की तथाकथित मेनस्ट्रीम वह है, जिसमें बलात्कारियों व हत्यारों तक से भी केस कमजोर करने की एवज में पैसा खाया जाता है. उन्होंने तब पुलिस महकमे में व्याप्त विभागीय भ्रष्टाचार और राजनीतिक गठजोड़ की भी जमकर बखिया उधेड़ी थी. कहा था कि इस व्यवस्था में सिर्फ थाना और सिपाही ही नहीं बल्कि पुलिस के बड़े-बड़े अफसर भी बिकते हैं. इसमें नेताओं के नाम भी हैं.
बाहुबली राजा भैया से भी रहा है पंगा
1997 में जसवीर प्रतापगढ़ में बतौर एसपी तैनात थे. वही प्रतापगढ़ जिसे राजा भैया का गढ़ कहा जाता है. मगर जसवीर ने इसका लोड नहीं लिया. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि एक हत्या के मामले में रघुराज प्रताप सिंह को गिरफ्तार कर लिया. मगर राजा भैया के जनसंपर्क अधिकारी ने इस गिरफ्तारी के दावे को खारिज किया है. इस संबंध में एक लेटर भी जारी किया है. देखिए -

ये लेटर जारी हुआ है राजा भैया के पीआरओ की तरफ से.
इसके एक हफ्ते बाद जसवीर का ट्रांसफर हो गया. हालांकि फिर वो 2007 के करीब फूड सेल में पहुंचे तो उस दौरान भी उन्होंने राजा भैया पर शिकंजा कसा. राजा भैया तब खाद्यान्न मंत्री थे. जसवीर ने तब खाद्यान्न चोरी की जांच शुरू की तो पता चला हजारों करोड़ का राशन दूसरे प्रदेशों और देशों को भेजा जा रहा है. सरकार से सीबीआई जांच की मांग की. उन्होंने तब कैबिनेट मंत्री राजा भैया से जान का खतरा भी बताते हुए सुरक्षा मांगी थी. पर मिला ट्रांसफर.
ट्रांसफर पर ट्रांसफर...
# जसवीर ने कालेधन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक रिट पिटीशन भी दाखिल की थी. इस वजह से उनके खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई भी शुरू हुई थी, पर वह आगे न बढ़ सकी. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के वक्त में उन्हें अनाज घोटाले की जांच सौंपी गई थी, जिसमें उन्होंने कई सत्ताधारियों की संलिप्तता उजागर की थी. बाद में उन्हें इस जांच से हटा दिया गया था.
# मुख्यमंत्री मायावती के कार्यकाल में उन्हें मुजफ्फरनगर का एसएसपी बनाया गया था. वहां उन्होंने बसपा के ही लोगों पर कार्रवाई कर दी. एक बार फिर क्या हुआ. ट्रांसफर.
# 2017 में जसवीर फायर सेफ्टी विभाग पहुंचे तो वहां भी उन्होंने भ्रष्टाचार का मामला उठाया. इस पर उन्हें होमगार्ड विभाग में भेज दिया गया. एडीजी होमगार्ड रहते हुए उन्होंने वहां भी भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया. एक बार फिर ट्रांसफर हाथ आया. उन्हें एडीजी रूल्स ऐंड मैनुअल्स के पद पर तैनाती दे दी गई.
# एडीजी रूल्स एंड मैनुअल्स में उन्होंने काम न होने की बात कही तो उनसे अपने मन के विषय पर रिसर्च करने को कहा गया. इस पर सिंह ने लिखकर पूछा - जिस विभाग में काम नहीं, उसे बनाया क्यों गया. इसका जवाब कभी नहीं दिया गया.
# अब लौटते हैं उस इंटरव्यू में जिसके कारण जसवीर ताजा-ताजा निलंबित हुए हैं. आरोप है कि उसमें उन्होंने सरकार की एनकाउंटर नीति, अफसरों के तबादलों और तैनातियों समेत कई बिंदुओं पर विरोधी बयान दिए. उन्होंने इंटरव्यू में यह भी बताया कि कैसे उन्हें बिना काम के सरकार सैलरी दे रही है और रूल्स ऐंड मैनुअल्स में कोई काम न होने के बावजूद वहां स्टाफ को बैठाकर वेतन दिया जा रहा है. उन्होंने यह भी कहा था कि नेता चाहते हैं कि अधिकारी उनके प्रति निष्ठावान रहें, जोकि असंवैधानिक है.
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