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चार महीने बाद मणिपुर में इंटरनेट बैन हटा, सरकार ने लोगों को क्या अल्टीमेटम दिया?

मणिपुर सरकार ने 3 मई को पहली बार जातीय हिंसा होने के बाद इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया था.

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मणिपुर में हटा इंटरनेट बैन, पर समस्या अब भी है (तस्वीर - पीटीआई)

मणिपुर में शुरू हुई जातीय हिंसा के करीब साढ़े चार महीने बाद इंटरनेट से बैन हटा लिया गया है. राज्य में 3 मई को हिंसा शुरू होने के बाद से ही इंटरनेट पूरी तरह बंद था. इससे पहले जुलाई में बहुत सीमित तरीके से इंटरनेट बहाल किया गया था. मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह (N Biren Singh) ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि मणिपुर में आज (23 सितंबर) से इंटरनेट प्रतिबंध हटा दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि राज्य में हालत सुधरी है, जिसके कारण ये फैसला लिया जा रहा है.  

23 सितंबर की सुबह सीएम एन बीरेन सिंह ने इम्फ़ाल में प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान उन्होंने बताया,

“अफवाह, वीडियो, फ़ोटो और मेसेज के प्रसार को रोकने के लिए एहतियाती उपाय के रूप में ये फैसला लिया गया था. ऐसा ना किया जाता तो राज्य की कानून व्यवस्था की स्थिति पर प्रभाव पड़ सकता था. इसलिए राज्य सरकार ने इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा दिया था. लेकिन आज से इंटरनेट बैन हटा दिया जाएगा.”

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य के गृह विभाग ने 25 जुलाई को ब्रॉडबैंड सर्विस चला दी थी, हालांकि, इन पर कुछ शर्तें रखी गई थीं. उस वक्त मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को बंद ही रखा गया था. इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध लगने की वजह से कार्यालय, शैक्षणिक संस्थान, स्वास्थ्य सुविधाएं और ऑनलाइन सेवाएं जैसे अलग-अलग क्षेत्र प्रभावित हुए हैं.

सरकार ने दिया था अल्टीमेटम

22 सितंबर को मणिपुर सरकार ने राज्य के किसी भी व्यक्ति या समूह को अवैध हथियारों को पुलिस को सौंपने की अपील की. सरकार ने इसके लिए 15 दिन का वक्त भी दिया है. 22 सितंबर की शाम जारी की गई एक प्रेस रिलीज में सरकार ने कहा कि जो लोग इन 15 दिनों में अवैध हथियार जमा कर देंगे, उनके खिलाफ दर्ज मामलों पर विचार किया जाएगा.

“15 दिनों के बाद केंद्र और राज्य सरकार के सुरक्षा बल ऐसे हथियारों को बरामद करने के लिए पूरे राज्य में एक मजबूत और व्यापक तलाशी अभियान चलाएंगे. किसी के पास भी अवैध हथियार मिलता है तो उससे जुड़े व्यक्ति से गंभीरता से निपटा जाएगा.”

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इस विज्ञप्ति में आगे लिखा था,

“इन अवैध हथियारों का इस्तेमाल कर बदमाश जबरन वसूली, धमकी और अपहरण कर रहे हैं. यह एक गंभीर मामला है. राज्य सरकार ऐसे समूहों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी.”

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, 3 मई को हिंसा भड़कने के बाद से अब तक 160 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. 70 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हुए. 

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असम राइफल्स जैसे ट्रक

एक तरफ जहां सीएम कह रहे हैं कि राज्य में हालात बेहतर हैं, वहीं दूसरी तरफ असम राइफल्स ने मणिपुर पुलिस से एक नई शिकायत की है. अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक असम राइफल्स का आरोप है कि बदमाश लोग और ग्रुप्स सिविल ट्रक्स को असम राइफल्स के रंग में रंग दे रहे हैं. असम राइफस्ल ने इसके लिए Valley Based Insurgent Groups (VBIGs) को ज़िम्मेदार ठहराया है. आसान भाषा में बताएं तो ये वो ग्रुप्स हैं, जो घाटी में रहते हैं. घाटी में आमतौर पर मैतेई समुदाय के लोग रहते हैं. इस पूरे मसले पर असम राइफल्स ने चुराचांदपुर के एसपी को चिट्ठी लिखी है.

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